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चंबा में अवैध शिकार पर लगेगी लगाम, वन विभाग ने तैयार किया मास्टर प्लान - strict action against hunters chamba

चंबा के जंगलों में हो रहे अवैध शिकार को रोकने के लिए वन विभाग लगातार प्रयास कर रहा है. इसको लेकर वन विभाग के कर्मचारियों और अधिकारी को निर्देश दिए गए हैं. उन्हें निर्देश दिए गए कि वह ऐसे लोगों पर नजर बनाए रखें, जो अवैध रूप से शिकार करते हैं.

चंबा में अवैध शिकार
चंबा में अवैध शिकार
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Published : Mar 1, 2021, 1:17 PM IST

चंबा: हिमाचल के पहाड़ी जिलों में भारी बर्फबारी के बाद अकसर जंगली जानवर मैदानी इलाकों का रूख करते हैं जिसके चलते शिकारी अवैध शिकार को अंजाम देते हैं. इसका नुकसान जंगली जानवरों को झेलना पड़ता है.

अवैध शिकार पर पुलिस रखेगी नजर

बता दें कि दिसंबर से लेकर मार्च तक भारी बर्फबारी चंबा जिला के पहाड़ी इलाकों में होती है. उसी के चलते जंगली जानवरों का समूह मैदानी इलाकों का रूख करता है और शिकारी शिकार करने से नहीं चूकते. इसी को देखते हुए अब वन विभाग चंबा मंडल ने शिकारियों पर शिकंजा कसने के लिए मास्टर प्लान तैयार किया है.

वीडियो

हर क्षेत्र में वन विभाग की टीम तैनात रहेगी और ऐसे लोगों की पहचान की जाएगी जो अवैध शिकार को अंजाम देते हैं और जंगली जानवरों को नुकसान पहुंचाने का काम करते हैं. इसी को देखते हुए डीएफओ चंबा निशांत मढोत्रा ने विभाग के सभी कर्मचारियों और अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वह ऐसे लोगों की निगरानी रखें जो अवैध शिकार को अंजाम देते हैं.

शिकारी रात के समय करते हैं शिकार

हाल ही में एक पिजड़ को कुछ शिकारियों ने मौत के घाट उतारा था जिसके बाद वन विभाग की टीम ने उन शिकारियों को भी वन अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया था. हालांकि बाद में वह लोग जमानत पर रिहा हुए थे. वन विभाग ने शिकार के दौरान किए गए इस्तेमाल हत्थियार को भी बरामद किया था.

जंगली जानवरों को नुकसान ना हो इसका भी ख्याल रखा जा रहा है. अकसर शिकारी रात के समय बैटरी के माध्यम से जंगली जानवरों का शिकार करते हैं जिसको देखते हुए वन विभाग सख्त हुआ है. जंगलों में यह शिकारी जंगली मुर्गों जैसे कोलसा, खखरोले, नील और फुलगर आदि लुप्त होती प्रजातियों का शिकार करने को बेताब होते हैं और अधिकतर नुकसान भी इन्हीं का होता है. इसके अलावा पिजड़, कक्कड़, सांभर, कर्थ और जंगली हिरण भी शामिल हैं.

क्या कहते हैं डीएफओ निशांत मढोत्रा
वन विभाग के मंडल डीएफओ चंबा निशांत मढोत्रा का कहना है कि जंगलों में हो रहे अवैध शिकार को रोकने के लिए विभाग लगातार प्रयास कर रहा है. इसको लेकर वन विभाग के कर्मचारियों और अधिकारी को निर्देश दिए गए हैं. उन्हें निर्देश दिए गए कि वह ऐसे लोगों पर नजर बनाए रखें, जो अवैध रूप से शिकार करते हैं. पिछले कुछ दिनों हमने कुछ शिकारियों को भी पकड़ा था जो अवैध शिकार करते पाए गए थे. जंगली जानवरों की प्रजातियां धीरे-धीरे खत्म होती जा रही है, उन्हें बचाने के लिए हम सभी को आगे आना चाहिए ताकि हम अपनी प्राकृतिक सुंदरता को बचाए रखें.
ये भी पढ़ें: एक बार फिर खुला गेयटी थियेटर, एक साल बाद फिर से कलाकारों को मिलेगा मंच

ये भी पढ़े:- विधायक दल की बैठक में तय होगी विपक्ष की आगे की रणनीति, निलंबित नेता सदन के बाहर करेंगे प्रर्दशन

चंबा: हिमाचल के पहाड़ी जिलों में भारी बर्फबारी के बाद अकसर जंगली जानवर मैदानी इलाकों का रूख करते हैं जिसके चलते शिकारी अवैध शिकार को अंजाम देते हैं. इसका नुकसान जंगली जानवरों को झेलना पड़ता है.

अवैध शिकार पर पुलिस रखेगी नजर

बता दें कि दिसंबर से लेकर मार्च तक भारी बर्फबारी चंबा जिला के पहाड़ी इलाकों में होती है. उसी के चलते जंगली जानवरों का समूह मैदानी इलाकों का रूख करता है और शिकारी शिकार करने से नहीं चूकते. इसी को देखते हुए अब वन विभाग चंबा मंडल ने शिकारियों पर शिकंजा कसने के लिए मास्टर प्लान तैयार किया है.

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हर क्षेत्र में वन विभाग की टीम तैनात रहेगी और ऐसे लोगों की पहचान की जाएगी जो अवैध शिकार को अंजाम देते हैं और जंगली जानवरों को नुकसान पहुंचाने का काम करते हैं. इसी को देखते हुए डीएफओ चंबा निशांत मढोत्रा ने विभाग के सभी कर्मचारियों और अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वह ऐसे लोगों की निगरानी रखें जो अवैध शिकार को अंजाम देते हैं.

शिकारी रात के समय करते हैं शिकार

हाल ही में एक पिजड़ को कुछ शिकारियों ने मौत के घाट उतारा था जिसके बाद वन विभाग की टीम ने उन शिकारियों को भी वन अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया था. हालांकि बाद में वह लोग जमानत पर रिहा हुए थे. वन विभाग ने शिकार के दौरान किए गए इस्तेमाल हत्थियार को भी बरामद किया था.

जंगली जानवरों को नुकसान ना हो इसका भी ख्याल रखा जा रहा है. अकसर शिकारी रात के समय बैटरी के माध्यम से जंगली जानवरों का शिकार करते हैं जिसको देखते हुए वन विभाग सख्त हुआ है. जंगलों में यह शिकारी जंगली मुर्गों जैसे कोलसा, खखरोले, नील और फुलगर आदि लुप्त होती प्रजातियों का शिकार करने को बेताब होते हैं और अधिकतर नुकसान भी इन्हीं का होता है. इसके अलावा पिजड़, कक्कड़, सांभर, कर्थ और जंगली हिरण भी शामिल हैं.

क्या कहते हैं डीएफओ निशांत मढोत्रा
वन विभाग के मंडल डीएफओ चंबा निशांत मढोत्रा का कहना है कि जंगलों में हो रहे अवैध शिकार को रोकने के लिए विभाग लगातार प्रयास कर रहा है. इसको लेकर वन विभाग के कर्मचारियों और अधिकारी को निर्देश दिए गए हैं. उन्हें निर्देश दिए गए कि वह ऐसे लोगों पर नजर बनाए रखें, जो अवैध रूप से शिकार करते हैं. पिछले कुछ दिनों हमने कुछ शिकारियों को भी पकड़ा था जो अवैध शिकार करते पाए गए थे. जंगली जानवरों की प्रजातियां धीरे-धीरे खत्म होती जा रही है, उन्हें बचाने के लिए हम सभी को आगे आना चाहिए ताकि हम अपनी प्राकृतिक सुंदरता को बचाए रखें.
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