चंबा: पंजाब के होशियारपुर के शिवभक्तों की भगवान भोले नाथ के प्रति गूढ आस्था के आगे यहां हर कोई नतमस्तक हो गया है. शिवभक्तों ने मणिमहेश डल झील के पास स्थित कमलकुंड में 31 फुट ऊंचा त्रिशूल स्थापित कर दिया. उत्तरी भारत के प्रसिद्व इस धार्मिक स्थल तक पहुंचने के लिए दुर्गम घाटियों से होकर 13 किलोमीटर का लंबा सफर तय करना पड़ता है. लिहाजा होशियारपुर के मणि बाबा की अगुवाई में 18 युवाओं की टीम तीन दिनों तक पैदल सफर तय यह उंचा त्रिशूल स्थापित किया है.
बता दें कि मणिमहेश डल झील की समुद्र तल से करीब 14 हजार फुट की उंचाई है, जबकि कैलाश पर्वत की 18,564 फुट है. कमलकुंड डल झील और कैलाश पर्वत के बीच में है. अनुमानित इस जगह की उंचाई साढे पंद्रह हजार फुट है. नतीजतन साढे पंद्रह हजार फुट की उंचाई पर 31 फुट ऊंचा त्रिशूल स्थापित कर होशियारपुर के शिवभक्तों की इस आस्था को देखकर हर कोई हैरान है.
उल्लेखनीय है कि भरमौर का मणिमहेश उतरी भारत का प्रसिद्व धार्मिक स्थल है. हर वर्ष जन्माष्टमी से लेकर राधा अष्टमी तक यहां पर प्रसिद्व मणिमहेश यात्रा का अधिकारिक तौर पर आयोजन चलता है और इसमें लाखों की संख्या में देश के विभिन्न हिस्सों से शिवभक्त यहां पहुंच पवित्र डल में आस्था की डुबकी लगाते हैं. हांलाकि इस वर्ष वैश्विक कोरोना माहामारी के चलते मणिमहेश यात्रा का आयोजन नहीं हो सका और महज सदियों से चली आ रही परंपराओं का ही निर्वाहन ही किया गया था.
लिहाजा हिमाचल सरकार की ओर से धार्मिक स्थलों के कपाट श्रद्वालुओं के लिए खोलने के निर्णय के बाद होशियारपुर के मणि बाबा की अगुवाई में शिवभक्तों ने मणिमहेश डल झील की ओर रूख कर लिया. इस दौरान 31 फुट ऊंचा त्रिशूल को वाहन के माध्यम से भरमौर के हडसर गांव तक पहुंचाया.
वहीं, हड़सर से आगे 13 किलोमीटर का लंबा सफर पैदल तय किया और बड़ी बात यह रही कि 31 फुट ऊंचे त्रिशूल को दो हिस्सों में कंधे पर उठाकर कमलकुंड तक पहुंचाया और इसे यहां पर स्थापित कर दिया. पता चला है कि होशियारपुर के मणिबाबा ने इस त्रिशूल को खुद बनाया है और यह मणिमहेश धाम में स्थापित किया गया छठा त्रिशूल है. कमलकुंड तक त्रिशूल पहुंचाने में मणि बाबा के अलावा मनवीर कुमार, पकंज, लव कुमार, गोल्डी, विक्की, रमन, मनी कुमार, साहिल, लखन, भारत, प्रथम, नितिन, सागर, अजय, अवतार और सूक्ष्म कुमार आदि युवा शामिल रहे.
उन्होंने बताया कि इस त्रिशूल को गौरीकुंड से शिवकुंड और बाद में शिवकुंड से कमलकुंड तक पहुंचाया गया. उन्होंने बताया कि कमलकुंड में त्रिशूल स्थापित करने की उनकी काफी पहले ही योजना तैयार हो चुकी थी, लेकिन कोरोना माहामारी के चलते उस दौरान इसे स्थापित नहीं किया जा सका. लिहाजा सरकार की ओर से धार्मिक स्थलों पर जाने की अनुमति मिलते ही इसे कमलकुंड में स्थापित कर दिया गया है.
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