चंबा: जांच अभियान के दौरान टीम ने मुख्य बाजार चंबा, सपदी, सुल्तानपुर, परेल व बालू मके ढाबों व दुकानों में दबिश दी. लेकिन इस दौरान कोई भी चौदह वर्ष या चौदह वर्ष से कम आयु का बच्चा काम करता हुआ नहीं पाया गया. अभियान के दौरान चौदह वर्ष से ऊपर और अठारह वर्ष से कम आयु के आठ बच्चे काम करते हुए पाए गए.
ऐसे बच्चों व उनके नियोक्ताओं को निर्देश दिये गए कि ऐसे बच्चों को तुरंत घर वापिस भेजा जाए, नहीं तो उनके विरुद्ध भी कार्रवाई की जाएगी. बाल-श्रम अधिनियम 2016 के अनुसार चौदह वर्ष या चौदह वर्ष से कम आयु का बच्चा किसी भी स्थिति में बाल-श्रम नहीं कर सकता. वहीं चौदह वर्ष से ऊपर व अठारह वर्ष से कम आयु का बच्चा काम कर सकता है लेकिन भारी श्रम, बर्तन मांजना, भवन निर्माण, या ऐसा कोई काम करना जिसमें बच्चे के आत्म सम्मान को ठेस पहुंचे या उसकी जान को खतरा हो ऐसा कोई भी काम बच्चे से नहीं करवाया जा सकता. इस आयु वर्ग का बच्चा केवल छोटे-मोटे कामों में ही हाथ बंटा सकता है.
साथ ही इस आयु वर्ग का बच्चा पुरे दिन में छह घंटे से ऊपर कार्य नहीं कर सकता. इन छ: घंटों के दौरान बच्चे को डेढ़ घंटे का आराम भी दिया जायेगा लेकिन नियोक्ता द्वारा बच्चे को पूरा मेहनताना देना होगा. ऐसा बच्चा किसी दुकान में शाम के सात बजे के बाद और सुबह के सात से पहले कार्यस्थल पर नहीं आ सकता. यह अपराध है.
ऐसी स्थिति अगर पाई जाती है तो नियोक्ता एवं बच्चों के माता-पिता के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जा सकती है, जिसमें अधिकतम 2 वर्ष की कैद एवं पचास हजार रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है. ऐसे बच्चे अगर अत्यंत गरीब, अनाथ या असहाय स्थिति में हैं तो बाल विकास विभाग द्वारा उनकी शिक्षा का भी प्रबंध किया जाएगा. श्रम-विभाग द्वारा यह भी बताया गया कि कामगारों हेतु न्यूनतम वेतनमान भी सुनिश्चित किया जाए.