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चंबा में चाइल्ड लाइन की दबिश, होटल और ढाबा मलिकों को दिए गए निर्देश

शनिवार को  को श्रम विभाग, पुलिस विभाग व चाइल्ड लाइन चंबा की संयुक्त टीम द्वारा मुख्य बाजार चंबा सपडी मोहल्ला, सुल्तानपुर मोहल्ला, परेल व बालू बाजार में बाल श्रम के विरुद्ध विशेष जांच अभियान चलाया.

चंबा में चाइल्डलाइन की दबिश
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Published : Feb 2, 2019, 11:41 PM IST

चंबा: जांच अभियान के दौरान टीम ने मुख्य बाजार चंबा, सपदी, सुल्तानपुर, परेल व बालू मके ढाबों व दुकानों में दबिश दी. लेकिन इस दौरान कोई भी चौदह वर्ष या चौदह वर्ष से कम आयु का बच्चा काम करता हुआ नहीं पाया गया. अभियान के दौरान चौदह वर्ष से ऊपर और अठारह वर्ष से कम आयु के आठ बच्चे काम करते हुए पाए गए.

चंबा में चाइल्ड लाइन की दबिश
चंबा में चाइल्ड लाइन की दबिश
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ऐसे बच्चों व उनके नियोक्ताओं को निर्देश दिये गए कि ऐसे बच्चों को तुरंत घर वापिस भेजा जाए, नहीं तो उनके विरुद्ध भी कार्रवाई की जाएगी. बाल-श्रम अधिनियम 2016 के अनुसार चौदह वर्ष या चौदह वर्ष से कम आयु का बच्चा किसी भी स्थिति में बाल-श्रम नहीं कर सकता. वहीं चौदह वर्ष से ऊपर व अठारह वर्ष से कम आयु का बच्चा काम कर सकता है लेकिन भारी श्रम, बर्तन मांजना, भवन निर्माण, या ऐसा कोई काम करना जिसमें बच्चे के आत्म सम्मान को ठेस पहुंचे या उसकी जान को खतरा हो ऐसा कोई भी काम बच्चे से नहीं करवाया जा सकता. इस आयु वर्ग का बच्चा केवल छोटे-मोटे कामों में ही हाथ बंटा सकता है.

साथ ही इस आयु वर्ग का बच्चा पुरे दिन में छह घंटे से ऊपर कार्य नहीं कर सकता. इन छ: घंटों के दौरान बच्चे को डेढ़ घंटे का आराम भी दिया जायेगा लेकिन नियोक्ता द्वारा बच्चे को पूरा मेहनताना देना होगा. ऐसा बच्चा किसी दुकान में शाम के सात बजे के बाद और सुबह के सात से पहले कार्यस्थल पर नहीं आ सकता. यह अपराध है.

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ऐसी स्थिति अगर पाई जाती है तो नियोक्ता एवं बच्चों के माता-पिता के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जा सकती है, जिसमें अधिकतम 2 वर्ष की कैद एवं पचास हजार रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है. ऐसे बच्चे अगर अत्यंत गरीब, अनाथ या असहाय स्थिति में हैं तो बाल विकास विभाग द्वारा उनकी शिक्षा का भी प्रबंध किया जाएगा. श्रम-विभाग द्वारा यह भी बताया गया कि कामगारों हेतु न्यूनतम वेतनमान भी सुनिश्चित किया जाए.

चंबा: जांच अभियान के दौरान टीम ने मुख्य बाजार चंबा, सपदी, सुल्तानपुर, परेल व बालू मके ढाबों व दुकानों में दबिश दी. लेकिन इस दौरान कोई भी चौदह वर्ष या चौदह वर्ष से कम आयु का बच्चा काम करता हुआ नहीं पाया गया. अभियान के दौरान चौदह वर्ष से ऊपर और अठारह वर्ष से कम आयु के आठ बच्चे काम करते हुए पाए गए.

चंबा में चाइल्ड लाइन की दबिश
चंबा में चाइल्ड लाइन की दबिश
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ऐसे बच्चों व उनके नियोक्ताओं को निर्देश दिये गए कि ऐसे बच्चों को तुरंत घर वापिस भेजा जाए, नहीं तो उनके विरुद्ध भी कार्रवाई की जाएगी. बाल-श्रम अधिनियम 2016 के अनुसार चौदह वर्ष या चौदह वर्ष से कम आयु का बच्चा किसी भी स्थिति में बाल-श्रम नहीं कर सकता. वहीं चौदह वर्ष से ऊपर व अठारह वर्ष से कम आयु का बच्चा काम कर सकता है लेकिन भारी श्रम, बर्तन मांजना, भवन निर्माण, या ऐसा कोई काम करना जिसमें बच्चे के आत्म सम्मान को ठेस पहुंचे या उसकी जान को खतरा हो ऐसा कोई भी काम बच्चे से नहीं करवाया जा सकता. इस आयु वर्ग का बच्चा केवल छोटे-मोटे कामों में ही हाथ बंटा सकता है.

साथ ही इस आयु वर्ग का बच्चा पुरे दिन में छह घंटे से ऊपर कार्य नहीं कर सकता. इन छ: घंटों के दौरान बच्चे को डेढ़ घंटे का आराम भी दिया जायेगा लेकिन नियोक्ता द्वारा बच्चे को पूरा मेहनताना देना होगा. ऐसा बच्चा किसी दुकान में शाम के सात बजे के बाद और सुबह के सात से पहले कार्यस्थल पर नहीं आ सकता. यह अपराध है.

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ऐसी स्थिति अगर पाई जाती है तो नियोक्ता एवं बच्चों के माता-पिता के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जा सकती है, जिसमें अधिकतम 2 वर्ष की कैद एवं पचास हजार रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है. ऐसे बच्चे अगर अत्यंत गरीब, अनाथ या असहाय स्थिति में हैं तो बाल विकास विभाग द्वारा उनकी शिक्षा का भी प्रबंध किया जाएगा. श्रम-विभाग द्वारा यह भी बताया गया कि कामगारों हेतु न्यूनतम वेतनमान भी सुनिश्चित किया जाए.

चम्बा के बाजारों में चाइल्ड लाइन की दविष  ,होटल और ढावा मलकों को दो टूक बाल मजदूरी करवाईं तो खैर नहीं ।

निवार को  फरबरी दो हज़ार उनीस् को श्रम विभाग, पुलिस विभाग व चाइल्ड लाइन चम्बा की संयुक्त टीम द्वारा मुख्य बाजार चम्बा, सपडी मोहल्ला, सुल्तानपुर मोहल्ला, परेल व बालू बाजार में बाल–श्रम के विरुद्ध विशेष जांच अभियान चलाया गया. अभियान में श्रम अधिकारी चम्बा आर. के. शर्मा, श्रम निरीक्षक डलहौज़ी-चम्बा एस. आर. वर्मा, पुलिस विभाग से सदर थाना चम्बा की महिला निरीक्षक पूजा कुमारी, चाइल्ड लाइन समन्वयक कपिल, चाइल्ड लाइन टीम सदस्य काजू राम शामिल रहे.

इस दौरान टीम द्वारा सर्वप्रथम मुख्य बाजार चम्बा के ढाबों व दुकानों में दबिश दी गयी. लेकिन इस दौरान कोई भी चौदह वर्ष या चौदह वर्ष से कम आयु का बच्चा काम करता हुआ नहीं पाया गया. इसके बाद टीम द्वारा टीम द्वारा सपदी, सुल्तानपुर, परेल व बालू में दबिश दी गयी. लेकिन यहाँ भी चौदह वर्ष से कम आयु का बच्चा कहीं घर, ढाबा, दूकान या सब्जी की दुकान पर काम करता हुआ नहीं पाया गया, अभियान के दौरान चौदह वर्ष से ऊपर और अठारह वर्ष से कम आयु के आठ बच्चे काम करते हुए पाए गए. ऐसे बच्चों व उनके नियोक्ताओं को यह बताया गया कि ऐसे बच्चे तुरंत घर वापिस जायें और अपनी पढाई पूरी करें नहीं तो उनके विरुद्ध भी कार्यवाही कि जायेगी. बाल-श्रम अधिनियम दो हज़ार सोलह के अनुसार चौदह वर्ष या चौदह वर्ष से कम आयु का बच्चा किसी भी स्थिति में बाल-श्रम नहीं कर सकता |

वहीँ चौदह वर्ष से ऊपर व अठारह वर्ष से कम आयु का बच्चा काम कर सकता है लेकिन भारी श्रम, वर्तन मांजना, भवन निर्माण, या ऐसा कोई काम करना जिसमें बच्चे के आत्म सम्मान को ठेस पहुंचे या उसकी जान को खतरा हो ऐसा कोई भी काम बच्चे से नहीं करवाया जा सकता. इस आयु वर्ग का बच्चा केवल छोटे-मोटे कामों में ही हाथ बंटा सकता है. साथ ही इस आयु वर्ग का बच्चा पुरे दिन में छ: घंटे से ऊपर कार्य नहीं कर सकता. इन छ: घंटों के दौरान बच्चे को डेढ़ घंटे का आराम भी दिया जायेगा लेकिन नियोक्ता द्वारा बच्चे को पूरा मेहनताना देना होगा. ऐसा बच्चा किसी दुकान में शाम के सात बजे के बाद और सुबह के सात से पहले कार्यस्थल पर नहीं आ सकता. यह अपराध है. ऐसी स्थिति अगर पाई जाती है तो नियोक्ता एवं बच्चों के माता-पिता के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही कि जा सकती है जिसमें अधिकतम २ वर्ष की कैद एवं पचास हज़ार रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है. ऐसे बच्चे अगर अत्यंत गरीब, अनाथ, अर्ध-अनाथ या असहाय स्थिति में हैं तो बाल विकास विभाग द्वारा उनकी शिक्षा का भी प्रवंध किया जायेगा.  बच्चे की शिक्षा सर्वोपरि है. श्रम-विभाग द्वारा यह भी बताया गया कि कामगारों हेतु न्यूनतम वेतनमान भी सुनिश्चित किया जाए
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