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युवाओं की अनूठी पहल, 25 साल बाद फिर शुरु हुआ बांडा महोत्सव

शरद ऋतु के आरंभ होते ही बांडा उत्सव का आयोजन सदियों से दयोल गांव में होता रहा है, लेकिन आज से 25 साल पहले यह आयोजन बंद हो गया था और लोग भी धीरे-धीरे इसे भूलते चले गए. वहीं 25 सालों के लंबे अंतराल के बाद गांव के युवाओं की पहल से यह पारंपरिक आयोजन फिर से शुरू हो गया.

बांडा महोत्सव
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Published : Sep 19, 2019, 7:37 PM IST

चंबा: जिला के जनजातीय क्षेत्र भरमौर के युवाओं ने पहल करते हुए 25 साल पहले बंद हो चुके बांडा महोत्सव को फिर से आयोजित किया. अढ़ाई दशकों के लंबे अंतराल के बाद गांव में बांडा महोत्सव फिर से मनाया जा रहा है. गद्दी समुदाय में किसी जमाने में विशेष उत्सव के रूप में होने वाला बांडा महोत्सव का आयोजन गांव के युवाओं की पहल के बाद फिर से शुरू हो गया है.

वीडियो.

शरद ऋतु के आरंभ होते ही बांडा उत्सव का आयोजन सदियों से दयोल गांव में होता रहा है, लेकिन आज से 25 साल पहले यह आयोजन बंद हो गया था और लोग भी धीरे-धीरे इसे भूलते चले गए. वहीं 25 सालों के लंबे अंतराल के बाद गांव के युवाओं की पहल से यह पारंपरिक आयोजन फिर से शुरू हो गया. उत्सव के शुभारंभ के मौके पर गांव के 105 वर्षीय बुजुर्ग राहडू राम ने बतौर मुख्यातिथि शिरक्त की. इस दौरान उन्होंने युवाओं के इस कदम की खूब प्रशंसा करते हुए अपनी कला-संस्कृति से जुड़े बांडा महोत्सव का आयोजन हर साल मनाने का भी आग्रह किया.

तीन दिनों तक चलने वाले इस आयोजन में खेलों के साथ-साथ सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन होगा. वहीं, गद्दी समुदाय के लोग रात को बड़ी-बड़ी मशालों की रोशनी के बीच महिला और पुरूष पारंपरिक नृत्य करते हैं. कृषि विज्ञान केंद्र चंबा में बतौर वैज्ञानिक सेवाएं देने वाले स्थानीय गांव के डॉ. केहर सिंह ने बताया कि 25 सालों के बाद यह आयोजन हो रहा है. जो कि इस समुदाय की कला और संस्कृति का प्रतीक है. 25 साल पहले यहां मशालें लगाकर गांव की महिला और पुरूष नृत्य करते थे, लकिन यह परंपरा पिछले काफी समय से बंद पड़ी थी. लिहाजा अब 25 साल पहले की तरह ही इस आयोजन को मनाने का प्रयास किया जा रहा है.

चंबा: जिला के जनजातीय क्षेत्र भरमौर के युवाओं ने पहल करते हुए 25 साल पहले बंद हो चुके बांडा महोत्सव को फिर से आयोजित किया. अढ़ाई दशकों के लंबे अंतराल के बाद गांव में बांडा महोत्सव फिर से मनाया जा रहा है. गद्दी समुदाय में किसी जमाने में विशेष उत्सव के रूप में होने वाला बांडा महोत्सव का आयोजन गांव के युवाओं की पहल के बाद फिर से शुरू हो गया है.

वीडियो.

शरद ऋतु के आरंभ होते ही बांडा उत्सव का आयोजन सदियों से दयोल गांव में होता रहा है, लेकिन आज से 25 साल पहले यह आयोजन बंद हो गया था और लोग भी धीरे-धीरे इसे भूलते चले गए. वहीं 25 सालों के लंबे अंतराल के बाद गांव के युवाओं की पहल से यह पारंपरिक आयोजन फिर से शुरू हो गया. उत्सव के शुभारंभ के मौके पर गांव के 105 वर्षीय बुजुर्ग राहडू राम ने बतौर मुख्यातिथि शिरक्त की. इस दौरान उन्होंने युवाओं के इस कदम की खूब प्रशंसा करते हुए अपनी कला-संस्कृति से जुड़े बांडा महोत्सव का आयोजन हर साल मनाने का भी आग्रह किया.

तीन दिनों तक चलने वाले इस आयोजन में खेलों के साथ-साथ सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन होगा. वहीं, गद्दी समुदाय के लोग रात को बड़ी-बड़ी मशालों की रोशनी के बीच महिला और पुरूष पारंपरिक नृत्य करते हैं. कृषि विज्ञान केंद्र चंबा में बतौर वैज्ञानिक सेवाएं देने वाले स्थानीय गांव के डॉ. केहर सिंह ने बताया कि 25 सालों के बाद यह आयोजन हो रहा है. जो कि इस समुदाय की कला और संस्कृति का प्रतीक है. 25 साल पहले यहां मशालें लगाकर गांव की महिला और पुरूष नृत्य करते थे, लकिन यह परंपरा पिछले काफी समय से बंद पड़ी थी. लिहाजा अब 25 साल पहले की तरह ही इस आयोजन को मनाने का प्रयास किया जा रहा है.

Intro:अजय शर्मा, चंबा
जिले के जनजातीय क्षेत्र भरमौर के एक गांव के युवाओं की पहल ने अपना वजूद को मिटा चुका उत्सव फिर जीवित हो उठा। पच्चीस साल यानी ठीक अढ़ाई दशकों के लंबे अंतराल के बाद गांव में यह उत्सव फिर से मनाया जा रहा है। साथ ही इसमें प्राचीन परंपराओं को भी निभाया जाएगा। गद्दी समुदाय में किसी जमाने में विशेष उत्सव के रूप में होने वाला यह आयोजन गांव के युवाओं की पहल से फिर से शुरू हो गया है।

Body:बात हो रही है भरमौर के दयोल गांव में गुरूवार से आरंभ हुए बांडा महोत्सव की। शरद ऋतु के आरंभ होते ही बांडा उत्सव का आयोजन सदियों से दयोल गांव में होता रहा है, लेकिन आज से पच्चीस साल पहले यह आयोजन बंद हो गया और लोग भी धीरे-धीरे इसे भूलते चले गए। वहीं 25 सालों के लंबे अंतराल के बाद गांव के युवाओं की पहल से यह पारंपरिक आयोजन फिर से शुरू हो गया। गुरूवार को उत्सव के शुभारंभ के मौके पर गांव के 105 वर्षीय बुजुर्ग राहडू राम ने बतौर मुख्यातिथि शिरक्त की। इस दौरान उन्होंने युवाओं के इस कदम की खूब प्रशंसा करते हुए अपनी कला-संस्कृति से जुड़े बांडा महोत्सव का आयोजन हर साल करने का भी आग्रह किया। तीन दिनों तक चलने वाले इस आयोजन में खेलो के अलावा सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन होगा। वहीं गुरूवार रात को बड़ी-बड़ी मशालों की रोशनी के बीच गद्दी समुदाय के महिला पुरूष पारंपरिक नृत्य इनके बुझने तक करेंगे। Conclusion:कृषि विज्ञान केंद्र चंबा में बतौर वैज्ञानिक सेवाएं देने वाले स्थानीय गांव के डा. केहर सिंह बताते है कि 25 सालों के बाद यह आयोजन हो रहा है। जो कि समुदाय की कला और संस्कृति का प्रतीक है। कहते है कि बचपन में देखा था कि यहां मशालें लगाकर गांव के महिला व पुरूष नृत्य करते थे। यह परंपरा पिछले काफी समय से बंद पड़ी थी। लिहाजा अब पचास साल पहले की तरह ही इस आयोजन को करने का प्रयास किया जा रहा है।
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