चंबा: जिला चंबा अपनी खूबसूरती के लिए दुनिया भर में मशहूर है. यहां की कई चीजें विश्व भर में विख्यात है. 1908 में चंबा जिला में बिजली पहुंचाने में राजाओं ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. तत्कालीन राजा भूरी सिंह ने चंबा स्टेट को बिजली उपलब्ध करवाने के लिए चंबा में 440 किलोवाट का पावर प्रोजेक्ट लगाया था.
शहर को रोशन करने के लिए खंभों को इंग्लैंड से चंबा लाया गया था. जिनका वजन अन्य खंभों के मुकाबले काफी ज्यादा था. वहीं, भारी बारिश और बर्फबारी में भी इन खंभों कोई हानि नहीं पहुंची थी. इंग्लैंड से लाए गए इन बेशकीमती खंभों को चंबा शहर के डीसी कार्यालय, सर्किट हाउस के साथ-साथ शहर के कई अन्य हिस्सों में लगाया गया था.
सौ साल बीत जाने के बाद आज प्रशासन इन ऐतिहासिक धरोहरों को सहेजने में लापरवाही बरत रहा है. स्थानीय लोग कई बार सरकार और प्रशासन से मांग कर चुके कि अगर समय रहते इन चीजों की हिफाजत नहीं की गई तो आने वाले वक्त में युवा पीढ़ी इन चीजों को देख नहीं पाएगी.
चंबा के इतिहासकार दिनेश शर्मा का कहना है कि चंबा जिला में बिजली के लिए पावर प्रोजेक्ट 1930 में लग गया था. उन्होंने बताया कि यह देश के तीसरे पावर प्रोजेक्ट के रूप में शुरू हुआ था. जिसके तहत चंबा जिला को बिजली पहुंचाई गई थी. दिनेश शर्मा ने बताया कि इंग्लैंड से मंगवाए गए यह खंभे चंबा और नाहन में लगाए गए थे. उन्होंने सरकार से दरख्वास्त करते हुए कहा कि सरकार को इन चीजों को सहेजने चाहिए.
बता दें कि उस वक्त चंबा उन चुनिंदा शहरों में शामिल था, जहां पर बिजली की आपूर्ति हुआ करती थी. चंबा में बिजली उपलब्ध करवाने का सारा श्रेय तत्कालीन राजा भूरी सिंह को जाता है. सरकार हिमाचल की धरोहरों का संरक्षण करने में कई कदम उठा रही है, लेकिन चंबा के चौगान में लगे खंभे सरकार की अनदेखी के चलते खस्ताहालत के शिकार हो रहे हैं.
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