चंबा: मणिमहेश यात्रा के तहत जन्माष्टमी पर्व पर परंपरा का निर्वाहन करते हुए करीब तीन सौ श्रद्धालुओं ने डल झील में आस्था की डुबकी लगाई. इस दौरान पड़ोसी राज्य जम्मू कश्मीर से आई पवित्र छड़ियों ने भी डल झील में स्नान किया. सांकेतिक रूप से आयोजित की जा रही उत्तर भारत की प्रसिद्ध मणिमहेश यात्रा का छोटा न्हौण सोमवार मध्यरात्रि के बाद संपन्न हो गया.
बता दें कि मणिमहेश यात्रा को इस वर्ष भी कोरोना माहामारी के चलते सांकेतिक रूप से मनाया जा रहा है. इसके तहत यात्रा में छड़ियों के साथ आने वाले यात्रियों को सीमित संख्या और स्थानीय लोगों को परंपरा निभाने के लिए ही डल झील की ओर जाने की अनुमति प्रशासन दे रहा है.
रविवार शाम को थोड़ी देर बर्फबारी होने के बाद मौसम भी खुल गया. बावजूद इसके प्रशासन ने रात के समय कुछ यात्रियों को डल झील व अन्य को गौरीकुंड शिफ्ट कर दिया था. हड़सर समेत अन्य पड़ावों पर भी बीती रात यात्रियों को प्रशासन के आदेशों के बाद सुरक्षित ठिकानों पर रोक दिया गया था. रात को मौसम खुलने के बाद भद्रवाह की छड़ियों के साथ आए यात्रियों ने डल में जन्माष्टमी पर्व का सबसे पहले पवित्र स्नान किया. जिसके बाद सोमवार को दिन भर थोड़ी-थोड़ी संख्या में यात्रियों ने डल में आस्था की डुबकी लगाई.
बता दें कि मणिमहेश यात्रा का 30 अगस्त को अधिकारिक तौर पर आगाज हुआ है और यह यात्रा सांकेतिक रूप से 13 सितंबर तक चलेगी. उधर, मणिमहेश न्यास के सदस्य सचिव एवं एसडीएम भरमौर मनीष सोनी ने कहा कि जन्माष्टमी पर्व पर तीन सौ के करीब यात्रियों ने डल झील में पवित्र स्नान किया है. उन्होंने कहा कि आम यात्रियों को डल झील की ओर जाने की अनुमति नहीं है. उन्होंने लोगों से भी अपील की है कि वह प्रशासन का सहयोग करें.
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