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सेब के बगीचों में तेजी से फैल रहा स्कैब रोग, बागवानों की बढ़ी चिंता

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Published : Jun 28, 2019, 6:26 PM IST

शिमला के ऊपरी क्षेत्रों में सेब के बागों में स्कैब रोग तेजी से बढ़ रहा है, जिससे बागवान चिंतित हैं. बता दें कि ये रोग सबसे पहले 1983 में पनपा था, जिसकी चपेट में शिमला जिला के सेब के बगीचे आए थे.

सेब के बगीचे.

रामपुर: शिमला के ऊपरी क्षेत्रों में सेब के बागों में स्कैब रोग तेजी से बढ़ रहा है, जिससे बागवान चिंतित हैं. इसी कड़ी में उद्यान विकास अधिकारी बलवीर चौहान ने बताया कि ये रोग ऐसे क्षेत्रों में होता है, जहां सूर्य की किरणें कम पड़ती है और सेब के बगीचों में स्प्रे सही ढंग से नहीं होता है.

उद्यान विकास अधिकारी बलवीर चौहान ने बताया कि बागवानों को स्कैब रोग से बचने के लिए पतझड़ के समय यूरिया को 5% डालकर सेब के पेड़ व इसके तने के आस-पास स्प्रे करना चाहिए. वहीं, अगर इसका कोई भी उपाय नहीं किया गया तो, स्कैब के रोग का खतरा और भी बढ़ जाता है और पूरा बगीचा नष्ट हो सकता है.

सेब के बगीचे.

बता दें कि प्रदेश में सबसे पहले स्कैब रोग 1983 में पनपा था, जिसकी चपेट में शिमला जिला के सेब के बगीचे आए थे. उस समय बागवानों ने सेब सरकार को बेंचे थे, लेकिन ये सेब सरकार के कुछ काम नहीं आए थे. वहीं, 1990 तक इस रोग पर काबू पा लिया गया था, लेकिन अब फिर से इस रोग से सेब के बाग ग्रस्त हो रहे हैं.

रामपुर: शिमला के ऊपरी क्षेत्रों में सेब के बागों में स्कैब रोग तेजी से बढ़ रहा है, जिससे बागवान चिंतित हैं. इसी कड़ी में उद्यान विकास अधिकारी बलवीर चौहान ने बताया कि ये रोग ऐसे क्षेत्रों में होता है, जहां सूर्य की किरणें कम पड़ती है और सेब के बगीचों में स्प्रे सही ढंग से नहीं होता है.

उद्यान विकास अधिकारी बलवीर चौहान ने बताया कि बागवानों को स्कैब रोग से बचने के लिए पतझड़ के समय यूरिया को 5% डालकर सेब के पेड़ व इसके तने के आस-पास स्प्रे करना चाहिए. वहीं, अगर इसका कोई भी उपाय नहीं किया गया तो, स्कैब के रोग का खतरा और भी बढ़ जाता है और पूरा बगीचा नष्ट हो सकता है.

सेब के बगीचे.

बता दें कि प्रदेश में सबसे पहले स्कैब रोग 1983 में पनपा था, जिसकी चपेट में शिमला जिला के सेब के बगीचे आए थे. उस समय बागवानों ने सेब सरकार को बेंचे थे, लेकिन ये सेब सरकार के कुछ काम नहीं आए थे. वहीं, 1990 तक इस रोग पर काबू पा लिया गया था, लेकिन अब फिर से इस रोग से सेब के बाग ग्रस्त हो रहे हैं.

Intro:रामपुर बुशहर 28जून मीनाक्षी


Body:शिमला जिला के ऊपरी क्षेत्रों में आए दिन सेब के बागों में स्कैब रोग तेजी से बढ़ रहा है जिससे कई बागवान चिंतित हैं । जानकारी देते हुए उद्यान विकास अधिकारी बलवीर चौहान ने बताया कि अधिकतर यह यह रोग ऐसे क्षेत्र में पनपता है जहाँ पर सुर्य की किरणें कम पडती है और सेब के बगीचों में स्प्रे सही ढंग से नहीं करते ऐसे क्षेत्रों में यह रोग लगता है । उन्होंने कहा कि इससे निपटने के लिए बागवान पतझड के समय यूरिया की 5% डालकर सेब के पेड़ व इसके तने के आस पास सप्रे करें । ताकि इसके झंडे हुए पत्ते नष्ट हो जाएंगे । यदि इसका कोई भी उपाय नहीं किया गया तो स्कैब के रोग का खतरा और भी बढ़ जाता है । जिसकी चपेट में पुरा बगीचा भी आ सकता है ।
उन्होंने बताया कि यदि जहां पर भी सेब के पेड़ में यह पनपता दिखाई देता है वहां पर तुरंत सप्रे करें । हर साल सप्रे को समय पर करते रहें ।

बताया दें कि हिमाचल प्रदेश में सबसे पहले यह स्कैब रोग 1983 में पनपा था जिसकी चपेट में शिमला जिला के सेब से बगीचे आ गए थे । उस समय हिमाचल सरकार ने यह से बागवानों से ले लिए थे । लेकिन यह सेब सरकार के कुछ काम नहीं आया था । लेकिन 1990 तक इस रोग पर हद तक काबू पा लिया गया था । इसके बाद यह रोग कम ही देखा जाता था । लेकिन अब फिर से इस रोग से सेब के बाग ग्रस्त हो रहे हैं ।

हालांकि रामपुर में इस रोग का अभी तक कोई मामला नहीं आया है । इसके बावजूद उद्यान विभाग इस रोग से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार है।

बाईट: उद्यान विकास अधिकारी बलवीर ।


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