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बिलासपुर के इस गांव में महामारी का खतरा, कंपनी का सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बना सिरदर्द - villagers of Jamthal

जमथल गांव के लोगों का कहना है कि गांव का प्राकृतिक जल स्त्रोत इस प्लांट के नजदीक है. प्लांट से रिसने वाला गंदा पानी अब इस प्राकृतिक जल स्त्रोत में भी मिल रहा है. जल स्त्रोत का पानी प्रदूषित होने की वजह से गांव में कोरोना के साथ-साथ एक और भयंकर महामारी फैलने का खतरा है.

demand shifting of sewerage treatment plant
जमथल गांव.
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Published : May 2, 2020, 3:46 PM IST

बिलासपुर: नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन कंपनी द्वारा 800 मेगा वॉट की एक जल विद्युत परियोजना बिलासपुर में स्थापित और संचालित की गई है. इस प्रोजेक्ट की रिहायशी कॉलोनी के नजदीक जमथल गांव में बनाई गई है. एनटीपीसी ने मल निकासी के लिए गांव के बिल्कुल नजदीक एक सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाया है, जिसे लेकर ग्रामीणों को परेशानियां झेलनी पड़ रही है.

ग्रामीणों का आरोप है कि एनटीपीसी द्वारा इस प्लांट का रख रखाव सही तरीके से नहीं किया जाता है. इस प्लांट को खुला रखा गया है, जिसके चलते पूरे गांव में बदबू फैल रही है और ऐसे में गांव वालों का सांस लेना भी मुश्किल हो रहा है. वहीं, पर्यावरण की दृष्टि से भी गांव के जल स्त्रोतों को काफी नुकसान हो रहा है.

वीडियो

जमथल गांव के लोगों का कहना है कि गांव का प्राकृतिक जल स्त्रोत इस प्लांट के नजदीक है. प्लांट से रिसने वाला गंदा पानी अब इस प्राकृतिक जल स्त्रोत में भी मिल रहा है. जल स्त्रोत का पानी प्रदूषित होने की वजह से गांव में कोरोना के साथ-साथ एक और भयंकर महामारी फैलने का खतरा है.

अधिवक्ता सुमन ठाकुर ने बताया कि गांव वाले मामले को कई बार पंचायत और एनटीपीसी के समक्ष उठा चुके हैं, लेकिन एनटीपीसी ने इस विषय में अभी तक कोई भी सकारात्मक कदम नहीं उठाया है. लिहाजा गांव वालों की मांग है कि इस सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट को कहीं दूसरी जगह शिफ्ट किया जाए, ताकि ग्रामीण साफ हवा में सांस ले सकें.

बिलासपुर: नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन कंपनी द्वारा 800 मेगा वॉट की एक जल विद्युत परियोजना बिलासपुर में स्थापित और संचालित की गई है. इस प्रोजेक्ट की रिहायशी कॉलोनी के नजदीक जमथल गांव में बनाई गई है. एनटीपीसी ने मल निकासी के लिए गांव के बिल्कुल नजदीक एक सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाया है, जिसे लेकर ग्रामीणों को परेशानियां झेलनी पड़ रही है.

ग्रामीणों का आरोप है कि एनटीपीसी द्वारा इस प्लांट का रख रखाव सही तरीके से नहीं किया जाता है. इस प्लांट को खुला रखा गया है, जिसके चलते पूरे गांव में बदबू फैल रही है और ऐसे में गांव वालों का सांस लेना भी मुश्किल हो रहा है. वहीं, पर्यावरण की दृष्टि से भी गांव के जल स्त्रोतों को काफी नुकसान हो रहा है.

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जमथल गांव के लोगों का कहना है कि गांव का प्राकृतिक जल स्त्रोत इस प्लांट के नजदीक है. प्लांट से रिसने वाला गंदा पानी अब इस प्राकृतिक जल स्त्रोत में भी मिल रहा है. जल स्त्रोत का पानी प्रदूषित होने की वजह से गांव में कोरोना के साथ-साथ एक और भयंकर महामारी फैलने का खतरा है.

अधिवक्ता सुमन ठाकुर ने बताया कि गांव वाले मामले को कई बार पंचायत और एनटीपीसी के समक्ष उठा चुके हैं, लेकिन एनटीपीसी ने इस विषय में अभी तक कोई भी सकारात्मक कदम नहीं उठाया है. लिहाजा गांव वालों की मांग है कि इस सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट को कहीं दूसरी जगह शिफ्ट किया जाए, ताकि ग्रामीण साफ हवा में सांस ले सकें.

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