बिलासपुर: हिमाचल प्रदेश को टीबी रोग मुक्त करने के लिए सरकार लगातार प्रयासरत है. इसी कड़ी में बिलासपुर जिला प्रशासन ने भी एक नया प्लान तैयार किया है. बिलासपुर क्षेत्रीय अस्पताल में टीबी रोगियों के उपचार के लिए अलग सेंटर स्थापित है. जहां इस रोग की पहचान के लिए चेस्ट का एक्स-रे टेस्ट करवाया जाता है, लेकिन एक्स-रे रिपोर्ट मिलने में काफी वक्त लग जाता है. रिपोर्ट चैक करने के बाद ही डाक्टर इस रोग के बारे में जानकारी दे पाते हैं, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. जिला प्रशासन अस्पताल में आधुनिक स्क्रीनिंग टेस्ट एक्स-रे मशीन लगवाने की तैयारी में है. जिससे मरीज के टेस्ट के साथ ही टीबी की रिपोर्ट भी आ जाएगी.
लाखों की लागत की आधुनिक स्क्रीनिंग टेस्ट एक्स-रे मशीन के जरिए रिपोर्ट देखकर आसानी से पता चल सकेगा कि संबंधित व्यक्ति में टीबी रोग के लक्षण हैं या फिर नहीं. इस मशीन में कैमरा के जरिए चेस्ट की साफ फोटो आ जाएगी, जिससे डॉक्टर्स को रोग के लक्षण के बारे में पता करने में आसानी होगी. जिला प्रशासन की ओर से सीएसआर बजट से नई आधुनिक टेस्टिंग मशीन की खरीददारी का फैसला किया गया है.
जिला उपायुक्त आबिद हुसैन सादिक का कहना है कि टीबी रोग की पहचान के लिए जल्द ही एक आधुनिक मशीन खरीदी जाएगी. करीब ₹40 लाख की लागत से यह मशीन सीएसआर बजट (कारपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी) से ली जाएगी. इससे टीबी रोग के लक्षण के बारे में तत्काल पता चल सकेगा.
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टीबी प्रोग्राम जिला अधिकारी डॉ. ऋषि टंडन ने बताया टीबी का संक्रमण खांसने-छींकने से निकलने वाली बूंदों के माध्यम से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है. टीबी के लक्षणों में हल्का बुखार, रात को पसीना आना, वजन कम होना, भूख न लगना, सांस लेने में तकलीफ और सीने में दर्द होना शामिल हैं. संक्रमण से बचाव, लक्षण नजर आते ही जांच और उपचार देश से इस गंभीर बीमारी को खत्म करने के लिए आवश्यक है. नई टेस्टिंग तकनीक की मदद से टीबी को प्राथमिक स्तर पर ही पहचाना जा सकेगा. इस टेस्टिंग तकनीक के जरिए उन बैक्टीरिया की पहचान की जा सकेगी.