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प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के प्रचार के लिए अभियान शुरू, किसान उठा सकेंगे लाभ

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना 2020 के प्रचार-प्रसार के लिए एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी और कृषि विभाग की ओर से विशेष अभियान चलाया जा रहा है. जिसके तहत प्रचार वैन गांव-गांव में जाकर इस योजना का प्रचार करेगी. प्रचार वैन को कृषि उप. निदेशक डाॅ. केएस पटियाल ने हरी झंडी दिखा कर रवाना किया.

agricultural department bilaspur
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Published : Nov 23, 2020, 4:42 PM IST

बिलासपुर: प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना 2020 के प्रचार-प्रसार के लिए एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी व कृषि विभाग की ओर से विशेष अभियान चलाया जा रहा है. जिसके तहत प्रचार वैन गांव-गांव में जाकर इस योजना का प्रचार करेगी. प्रचार वैन को कृषि उप. निदेशक डाॅ. केएस पटियाल ने हरी झंडी दिखा कर रवाना किया.

कृषि उपनिदेशक बिलासपुर डाॅ. केएस पटियाल ने बताया कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना 2020 के तहत फसल गेहूं का बीमा करवाने की अंतिम तिथि 15 दिसंबर है. गेहूं फसल की कुल बीमित राशि 30 हजार रुपये प्रति हैक्टेयर, मक्का प्रीमियम 16 प्रतिशत कुल राशि 4800 प्रति हैक्टेयर निर्धारित की गई है. जिसमें किसान ने 1.5 प्रतिशत रुपये 450 प्रति हैक्टेयर, 36 प्रति बीघा वहन की जाएगी. साथ ही शेष राशि सरकार द्वारा अनुदान के रूप में भरपाई करेगी. जिला के लिए योजना के तहत दी एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी अधिकृत की गयी है.

गैर ऋणी किसानों से अनुरोध किया कि वह अपने राजस्व पत्रों और फसल बिजाई प्रमाण पत्र सहित जो कि पटवारी द्वारा सत्यापित हो अपने नजदीकी लोकमित्र केंद्र पर जा कर इस समय अवधि के अंदर अपनी गेहूं की फसल का बीमा करवा लें, ताकि मौसम की प्रतिकूल परिस्थितियों से होने वाले नुक्सान की भरपाई हो सके.

इस योजना के तहत, गेहूं फसल के जोखिम जिनके कारण फसल का नुकसान होता है, तो उनकी भरपाई की जाएगी. उन्होंने बताया कि बाधित बुआई ध्रोपण जोखिम बीमाकृत क्षेत्र में कम वर्षा अथवा प्रतिकूल मौसमी दशाओं के कारण बुआई ध्रोपण क्रिया न होने एवं होने वाली हानि से सुरक्षा प्रदान करेगा.

खड़ी फसल बुआई से लेकर कटाई तक गैर बाधित जोखिमों और सूखे, लंबी शुष्क कृमि व रोग, बाढ़, जल भराव, फसल कटाई के बाद होने वाले नुकसान, यह बीमा आच्छादन ऐसी फसलों को काटे जाने से अधिकतम दो सप्ताह के लिए चक्रवात और चक्रवातीय वर्षा एवं गैर मौसमी वर्षा के मामले में दिया जाता है. जिन्हें फसल कटाई के बाद खेत में सूखने के लिए छोड़ा जाता है, स्थानीयकृत आपदाएं अधिसूचित क्षेत्र में पृथक कृषि-भूमि को प्रभावित करने वाली ओला वृष्टि, भूस्खलन और जलभराव के अभिचिन्हित स्थानीयकृत जोखिमों से होने वाले नुकसानध्क्षति.

कृषि उपनिदेशक ने जिला के किसानों से आग्रह किया है कि गेहूं की फसल का बीमा करवाने के लिए हल्का पटवारी से अपनी जमीन की जमाबंदी नक्ल व फसल प्रमाण पत्र जारी करने के बाद इसे अपनी लोकमिंत्र केंद्र में ले जाकर प्रपत्र भरकर जमा करवाएं. साथ ही प्रीमियम की रसीद भी प्राप्त कर लें.

कृषि उपनिदेशक ने बीमा कंपनी के प्रतिनिधियों से आग्रह किया है कि वह कृषि विभाग और अन्य विभागों द्वारा लगाए गए प्रशिक्षण शिविरों में जाकर किसानों को फसल बीमा की योजना के बारें में जागरूक करें और किसानों की फसलों केा बीमा के तहत लाने में सहायता प्रदान करें.

फसल बीमा योजना से संबंधित जानकारी शंका समाधान के लिए एग्रीकल्चर इन्सुरेंस कंपनी बिलासपुर के शाखा प्रबंधक के फोन नंबर 98570-75081 से संपर्क कर सकते हैं. इस अवसर पर कृषि विभाग व एग्रीकल्चर इन्सुरेंस कंपनी के अन्य अधिकारी उपस्थित रहे.

पढ़ें: कोरोना संक्रमित मरीज IGMC से फरार, सुरक्षा कर्मी से भी की लड़ाई

पढ़ें: हिमाचल सचिवालय में कोरोना का कहर, अधिकारियों व कर्मचारियों को मिला वर्क फ्रॉमहोम

बिलासपुर: प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना 2020 के प्रचार-प्रसार के लिए एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी व कृषि विभाग की ओर से विशेष अभियान चलाया जा रहा है. जिसके तहत प्रचार वैन गांव-गांव में जाकर इस योजना का प्रचार करेगी. प्रचार वैन को कृषि उप. निदेशक डाॅ. केएस पटियाल ने हरी झंडी दिखा कर रवाना किया.

कृषि उपनिदेशक बिलासपुर डाॅ. केएस पटियाल ने बताया कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना 2020 के तहत फसल गेहूं का बीमा करवाने की अंतिम तिथि 15 दिसंबर है. गेहूं फसल की कुल बीमित राशि 30 हजार रुपये प्रति हैक्टेयर, मक्का प्रीमियम 16 प्रतिशत कुल राशि 4800 प्रति हैक्टेयर निर्धारित की गई है. जिसमें किसान ने 1.5 प्रतिशत रुपये 450 प्रति हैक्टेयर, 36 प्रति बीघा वहन की जाएगी. साथ ही शेष राशि सरकार द्वारा अनुदान के रूप में भरपाई करेगी. जिला के लिए योजना के तहत दी एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी अधिकृत की गयी है.

गैर ऋणी किसानों से अनुरोध किया कि वह अपने राजस्व पत्रों और फसल बिजाई प्रमाण पत्र सहित जो कि पटवारी द्वारा सत्यापित हो अपने नजदीकी लोकमित्र केंद्र पर जा कर इस समय अवधि के अंदर अपनी गेहूं की फसल का बीमा करवा लें, ताकि मौसम की प्रतिकूल परिस्थितियों से होने वाले नुक्सान की भरपाई हो सके.

इस योजना के तहत, गेहूं फसल के जोखिम जिनके कारण फसल का नुकसान होता है, तो उनकी भरपाई की जाएगी. उन्होंने बताया कि बाधित बुआई ध्रोपण जोखिम बीमाकृत क्षेत्र में कम वर्षा अथवा प्रतिकूल मौसमी दशाओं के कारण बुआई ध्रोपण क्रिया न होने एवं होने वाली हानि से सुरक्षा प्रदान करेगा.

खड़ी फसल बुआई से लेकर कटाई तक गैर बाधित जोखिमों और सूखे, लंबी शुष्क कृमि व रोग, बाढ़, जल भराव, फसल कटाई के बाद होने वाले नुकसान, यह बीमा आच्छादन ऐसी फसलों को काटे जाने से अधिकतम दो सप्ताह के लिए चक्रवात और चक्रवातीय वर्षा एवं गैर मौसमी वर्षा के मामले में दिया जाता है. जिन्हें फसल कटाई के बाद खेत में सूखने के लिए छोड़ा जाता है, स्थानीयकृत आपदाएं अधिसूचित क्षेत्र में पृथक कृषि-भूमि को प्रभावित करने वाली ओला वृष्टि, भूस्खलन और जलभराव के अभिचिन्हित स्थानीयकृत जोखिमों से होने वाले नुकसानध्क्षति.

कृषि उपनिदेशक ने जिला के किसानों से आग्रह किया है कि गेहूं की फसल का बीमा करवाने के लिए हल्का पटवारी से अपनी जमीन की जमाबंदी नक्ल व फसल प्रमाण पत्र जारी करने के बाद इसे अपनी लोकमिंत्र केंद्र में ले जाकर प्रपत्र भरकर जमा करवाएं. साथ ही प्रीमियम की रसीद भी प्राप्त कर लें.

कृषि उपनिदेशक ने बीमा कंपनी के प्रतिनिधियों से आग्रह किया है कि वह कृषि विभाग और अन्य विभागों द्वारा लगाए गए प्रशिक्षण शिविरों में जाकर किसानों को फसल बीमा की योजना के बारें में जागरूक करें और किसानों की फसलों केा बीमा के तहत लाने में सहायता प्रदान करें.

फसल बीमा योजना से संबंधित जानकारी शंका समाधान के लिए एग्रीकल्चर इन्सुरेंस कंपनी बिलासपुर के शाखा प्रबंधक के फोन नंबर 98570-75081 से संपर्क कर सकते हैं. इस अवसर पर कृषि विभाग व एग्रीकल्चर इन्सुरेंस कंपनी के अन्य अधिकारी उपस्थित रहे.

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