बिलासपुर: सिखों के दसवें गुरु के विवाह उत्सव को लेकर गुरुद्वारा गुरु का लाहौर और सेहरा साहब बसी में तैयारियां पूरी कर ली गई है. दोनों गुरुद्वारों को रंग बिरंगी लाइटों से दुल्हन की तरह सजाया गया है. वहीं, यहां आने वाले लाखों श्रद्धालुओं के लिए लंगर की व्यवस्था भी की गई है.
बता दें कि प्राचीन इतिहास के अनुसार सेहरा साहब गुरुद्वारा में गुरु महाराज की सेहरा बंदी हुई थी और गुरु महाराज के लावा फेरे (सिख धर्म की वैवाहिक रस्में) गुरु के लाहौर में संपन्न हुए थे. 29 जनवरी को गुरु महाराज की बारात सेहरा साहब गुरुद्वारा से नगर कीर्तन के रूप में चलेगी. गुरु का लाहौर में गुरु महाराज का विवाह विधिवत रूप से पूरा होगा.
बसंत पंचमी के उपलक्ष्य पर लगने वाले इस दो दिवसीय मेले के दौरान पुलिस और प्रशासन की ओर से पुख्ता इंतजाम किए गए है. कहा जाता है कि गुरु गोविंद सिंह जी का विवाह लाहौर में माता जीत कौर से होना था, लेकिन उसमें पाकिस्तान में स्थिती ठीक ना होने के कारण गुरु महाराज ने जिला बिलासपुर के चंगर क्षेत्र में खड़ा नाला गांव को गुरु के लाहौर का नाम दे दिया और उनका विवाह उत्सव गुरु के लाहौर में ही संपन्न हुआ.
आज तक बसंत पंचमी के उपलक्ष्य पर यहां पर गुरु के लाहौर में गुरु गोविंद सिंह का विवाह उत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. लाखों की संख्या में श्रद्धालु गुरु महाराज के दर्शन के लिए यहां पहुंचते हैं. यहां पर त्रिवेणी साहब भी है जहां पर गुरु महाराज ने त्रिवेणी साहब का निर्माण किया था.
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