बिलासपुर: हिमाचल में कर्फ्यू लगने के कारण प्रवासी मजदूरों को काफी परेशानी की सामना करना पड़ रहा है. जहां एक ओर बद्दी-नालागढ़ में चंबा और किन्नौर जैसे दूर दराज इलाकों से आये मजदूर और फैक्ट्री कर्मचारी अपने घरों तक पहुंचने के लिए कई मिलों का पैदल सफर ही तय करने को मजबूर हैं.
यही नहीं जम्मू कश्मीर से आए प्रवासी मजदूर तो एक टेंट के नीचे गुजर-बसर करने को लाचार हैं. कोरोना संक्रमण से विश्वभर में बने हालातों को देखते हुए जहां डब्ल्यूएचओ द्वारा इसे महामारी घोषित किया गया है. वहीं, कोविड-19 को फैलने से रोकने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा देश को 21 दिनों तक लॉकडाउन करने की घोषणा करते हुए लोगों से अपने घरों में रहने की अपील की है.
लॉकडाउन के चलते जहां रेस्तरां, होटल, फैक्ट्रियों सहित कई संस्थान बंद कर दिए गए हैं तो वहीं इसका सीधा असर प्रवासी मजदूरों पर पड़ रहा है. गौरतलब है कि बद्दी-नालागढ़ स्थित फैक्ट्रियों में काम करने वाले कई मिलों का सफर पैदल ही तय करना पड़ रहा है.
बिलासपुर के नैनादेवी विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत जामली, छड़ोल, कल्लर सहित कई ऐसे इलाके है जहां काफी संख्या में प्रवासी मजदूर जम्मू कश्मीर से आये हैं और कर्फ्यू के चलते कुछ दिनों से एक ही टेंट के नीचे रहने को मजबूर हैं.
मजदूरों की कोरोना वायरस संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए जहां पीएम मोदी सोशल डिस्टेंसिंग की बात कह रहे है मगर बीते कुछ दिनों से सभी मजदूर एक ही टेंट के नीचे रहने को मजबूर हैं.
बिलासपुर उपायुक्त राजेश्वर गोयल का कहना है कि बिलासपुर जिले में 10,800 प्रवासी मजदूर रह रहे हैं जिनके लिए विभिन्न एनजीओ के माध्यम से निशुल्क भोजन उपलब्ध करवाने की व्यवस्था की जा रही है. साथ ही उन्होंने सड़क मार्ग से जाने वाले दूर दराज के मजदूरों को होटल और ढाबा बंद होने की स्थिती में नजदीकी पैट्रोल पंप में भी निशुल्क खाना उपलब्ध होने की बात कही.