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जोशीमठ की तरह नैना देवी मंदिर का अस्तित्व खतरे में, क्या फिर होगी 1978 जैसी तबाही? - नैना देवी की पहाड़ी पर भूस्खलन

विश्व विख्यात शक्तिपीठ श्री नैना देवी का अस्तित्व खतरे में है. ऐसा इसलिए कह रहे हैं कि जिस पहाड़ी पर मंदिर बना है वो पहाड़ी दरक रही है. पहाड़ी पर मकान, होटल और विभिन्न प्रोजेक्टों के निर्माण के चलते पहाड़ी खोखली हो रही है. हालांकि भू वैज्ञानिकों ने 1978 में यहां हुए भूस्खलन के समय ही कह दिया था कि ये पहाड़ी डेंजर जोन में है और इस पहाड़ी के साथ किसी भी तरह का खिलवाड़ न किया जाए लेकिन पहाड़ खोखला हो रहा है. ऐसे में यहां के लोगों को डर है कि जोशीमठ जैसे हालात यहां भी पैदा न हो जाएं. (Naina Devi Temple Bilaspur) (landslide in Naina Devi) (Joshimath like situation in Nainadevi)

Naina Devi Temple Bilaspur
Naina Devi Temple Bilaspur
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Published : Jan 23, 2023, 6:47 PM IST

नैना देवी मंदिर की पहाड़ी पर भूस्खलन का खतरा

बिलासपुर: हिमाचल प्रदेश के जिला बिलासपुर में 5000 फीट की ऊंचाई पर स्थित विश्व विख्यात शक्तिपीठ श्री नैना देवी में अगर जल्द पहाड़ों की खुदाई का कार्य बंद नहीं किया गया तो जोशीमठ जैसा खतरा पैदा हो सकता है. नैना देवी मंदिर 52 शक्तिपीठों में से एक है. हर साल यहां लाखों पर्यटक देश के अन्य राज्यों से पहुंचते हैं. जिसे देखते हुए इस ऊंची पहाड़ी पर बड़े-बड़े होटल, मकान, सड़कों का निर्माण धड़ाधड़ हो रहा है. स्थानीय कांग्रेस नेताओं से लेकर स्थानीय लोग और मंदिर के पुजारी के मुताबिक यहां जोशीमठ की तरह खतरे की घंटी बज रही है. जिसे वक्त रहते नहीं सुना गया तो 1978 जैसे हालात हो सकते हैं.

1978 में भी हुई थी भारी तबाही: श्री नैना देवी में 1978 में भारी भूस्खलन हो चुका है. जिसमें इस धार्मिक स्थल का बस अड्डा, आस पास की दुकानें, मकान चपेट में आ गए थे. भूस्खलन होने से रातों रात लोग बेघर हो गए थे. उस समय भू वैज्ञानिकों ने इस क्षेत्र का निरीक्षण किया था और श्री नैना देवी की पहाड़ी को डेंजर जोन में घोषित किया गया था. लेकिन ऐसा प्रतीत होता कि ना तो सरकार ने और ना ही प्रशासन ने इस तरफ कोई ध्यान दिया. हालांकि समय-समय पर लोगों के द्वारा यह मांग उठती रही कि इस धार्मिक स्थल के बचाव के लिए पहाड़ों की खुदाई और पेड़ों का कटान बंद किया जाना चाहिए.

Naina Devi Temple Bilaspur
नैना देवी मंदिर की पहाड़ी पर भूस्खलन का खतरा

क्या बोले- पूर्व मंत्री रामलाल ठाकुर: इस मामले में पूर्व मंत्री रामलाल ठाकुर का कहना है कि वह कई बार इस मुद्दे को उठा चुके हैं. उन्होंने कहा कि 1977-78 में जो श्री नैना देवी में भूस्खलन हुआ उस समय भारी तबाही हुई थी. यहां तक कि कोला वाला टोबा तक उसका असर देखने को मिला था और उस समय कि दरारें अभी भी नजर आती हैं. रामलाल ठाकुर ने कहा कि उस समय भू वैज्ञानिकों ने यह रिपोर्ट दी थी कि यह पहाड़ी डेंजर जोन में है लेकिन भाजपा की पिछली सरकार ने यहां पर बड़े-बड़े प्रोजेक्ट पास करके इस पहाड़ी के लिए खतरा पैदा कर दिया है. इस पहाड़ी कि लगातार खुदाई की जा रही है. बड़ी-बड़ी चट्टानें, जेसीबी मशीनों से बाहर निकाल दी गई हैं, जिससे ये पहाड़ खोखला होता जा रहा है.

'सरकार सभी खुदाई के कार्यों पर लगाएगी रोक': उन्होंने कहा कि मंदिर के आसपास की पहाड़ी से तो बिल्कुल छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए थी. लेकिन जिस तरह से पहाड़ी की खुदाई करके बड़ी-बड़ी इमारतें बनाई जा रही हैं, उससे यहां पर जोशीमठ जैसे हालात पैदा होने वाले हैं. रामलाल ठाकुर ने यह भी कहा कि पहाड़ी से नीचे रेलवे का कार्य चल रहा है. उसमें सुरंगे बनाई जा रही हैं. जिससे आसपास के पहाड़ों को भी खतरा पैदा हो गया है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार सत्तारूढ़ हो चुकी है और अब इस पहाड़ी पर सभी खुदाई के कार्यों को जल्द से जल्द बंद कर दिया जाएगा. ताकि माता रानी की पहाड़ी पूरी तरह से सुरक्षित रह सके और जोशीमठ जैसे हालात यहां पर पैदा ना हो.

Naina Devi Temple Bilaspur
नैना देवी मंदिर की पहाड़ी पर भूस्खलन का खतरा

स्थानीय लोगोंं को सता रहा डर: इस मुद्दे पर स्थानीय लोगों से जब बात की गई तो उन्होंने कहा कि 1978 में भूस्खलन में तबाही का मंजर उन्होंने देखा है. उस आपदा ने कई लोगों से उनके घर छीने थे. आज भी जब वो मंजर याद आता है तो डरा देता है. स्थानीय लोगों ने कहा कि उस समय भू वैज्ञानिकों की रिपोर्ट के अनुसार इस पहाड़ी से छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए थी, लेकिन जिस तरह से यहां पर निर्माण कार्य किए जा रहे हैं, उससे खतरा और ज्यादा बढ़ गया है. उन्होंने सरकार से मांग की है कि जल्द ही इस दिशा में उचित कदम उठाए जाएं.

क्या बोले मंदिर के पुजारी: श्री नैना देवी मंदिर में पुजारियों का भी कहना है कि मंदिर में पानी की निकासी भी सही नहीं है और जगह जगह पर पहाड़ी खिसक रही है. यहां तक कि वार्ड नंबर 3 में कई जगह स्लाइड जोन बने हुए हैं, लेकिन फिर भी इस पहाड़ी पर अतिरिक्त बोझ डालने का कार्य किया जा रहा है जो कि यहां पर हालात और भी खराब कर सकता है. आने वाले कुछ सालों में यहां पर जोशीमठ जैसे हालात पैदा होने वाले हैं. उन्होंने प्रदेश सरकार से मांग करते हुए कहा कि यहां पर पहाड़ी की खुदाई और पेड़ों के कटान पर जल्द ही रोक लगाई जानी चाहिए.

ये भी पढ़ें: कुल्लू में पैराग्लाइडिंग कोर्स के नाम पर बांटे नकली सर्टिफिकेट, 2 लोग गिरफ्तार

नैना देवी मंदिर की पहाड़ी पर भूस्खलन का खतरा

बिलासपुर: हिमाचल प्रदेश के जिला बिलासपुर में 5000 फीट की ऊंचाई पर स्थित विश्व विख्यात शक्तिपीठ श्री नैना देवी में अगर जल्द पहाड़ों की खुदाई का कार्य बंद नहीं किया गया तो जोशीमठ जैसा खतरा पैदा हो सकता है. नैना देवी मंदिर 52 शक्तिपीठों में से एक है. हर साल यहां लाखों पर्यटक देश के अन्य राज्यों से पहुंचते हैं. जिसे देखते हुए इस ऊंची पहाड़ी पर बड़े-बड़े होटल, मकान, सड़कों का निर्माण धड़ाधड़ हो रहा है. स्थानीय कांग्रेस नेताओं से लेकर स्थानीय लोग और मंदिर के पुजारी के मुताबिक यहां जोशीमठ की तरह खतरे की घंटी बज रही है. जिसे वक्त रहते नहीं सुना गया तो 1978 जैसे हालात हो सकते हैं.

1978 में भी हुई थी भारी तबाही: श्री नैना देवी में 1978 में भारी भूस्खलन हो चुका है. जिसमें इस धार्मिक स्थल का बस अड्डा, आस पास की दुकानें, मकान चपेट में आ गए थे. भूस्खलन होने से रातों रात लोग बेघर हो गए थे. उस समय भू वैज्ञानिकों ने इस क्षेत्र का निरीक्षण किया था और श्री नैना देवी की पहाड़ी को डेंजर जोन में घोषित किया गया था. लेकिन ऐसा प्रतीत होता कि ना तो सरकार ने और ना ही प्रशासन ने इस तरफ कोई ध्यान दिया. हालांकि समय-समय पर लोगों के द्वारा यह मांग उठती रही कि इस धार्मिक स्थल के बचाव के लिए पहाड़ों की खुदाई और पेड़ों का कटान बंद किया जाना चाहिए.

Naina Devi Temple Bilaspur
नैना देवी मंदिर की पहाड़ी पर भूस्खलन का खतरा

क्या बोले- पूर्व मंत्री रामलाल ठाकुर: इस मामले में पूर्व मंत्री रामलाल ठाकुर का कहना है कि वह कई बार इस मुद्दे को उठा चुके हैं. उन्होंने कहा कि 1977-78 में जो श्री नैना देवी में भूस्खलन हुआ उस समय भारी तबाही हुई थी. यहां तक कि कोला वाला टोबा तक उसका असर देखने को मिला था और उस समय कि दरारें अभी भी नजर आती हैं. रामलाल ठाकुर ने कहा कि उस समय भू वैज्ञानिकों ने यह रिपोर्ट दी थी कि यह पहाड़ी डेंजर जोन में है लेकिन भाजपा की पिछली सरकार ने यहां पर बड़े-बड़े प्रोजेक्ट पास करके इस पहाड़ी के लिए खतरा पैदा कर दिया है. इस पहाड़ी कि लगातार खुदाई की जा रही है. बड़ी-बड़ी चट्टानें, जेसीबी मशीनों से बाहर निकाल दी गई हैं, जिससे ये पहाड़ खोखला होता जा रहा है.

'सरकार सभी खुदाई के कार्यों पर लगाएगी रोक': उन्होंने कहा कि मंदिर के आसपास की पहाड़ी से तो बिल्कुल छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए थी. लेकिन जिस तरह से पहाड़ी की खुदाई करके बड़ी-बड़ी इमारतें बनाई जा रही हैं, उससे यहां पर जोशीमठ जैसे हालात पैदा होने वाले हैं. रामलाल ठाकुर ने यह भी कहा कि पहाड़ी से नीचे रेलवे का कार्य चल रहा है. उसमें सुरंगे बनाई जा रही हैं. जिससे आसपास के पहाड़ों को भी खतरा पैदा हो गया है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार सत्तारूढ़ हो चुकी है और अब इस पहाड़ी पर सभी खुदाई के कार्यों को जल्द से जल्द बंद कर दिया जाएगा. ताकि माता रानी की पहाड़ी पूरी तरह से सुरक्षित रह सके और जोशीमठ जैसे हालात यहां पर पैदा ना हो.

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नैना देवी मंदिर की पहाड़ी पर भूस्खलन का खतरा

स्थानीय लोगोंं को सता रहा डर: इस मुद्दे पर स्थानीय लोगों से जब बात की गई तो उन्होंने कहा कि 1978 में भूस्खलन में तबाही का मंजर उन्होंने देखा है. उस आपदा ने कई लोगों से उनके घर छीने थे. आज भी जब वो मंजर याद आता है तो डरा देता है. स्थानीय लोगों ने कहा कि उस समय भू वैज्ञानिकों की रिपोर्ट के अनुसार इस पहाड़ी से छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए थी, लेकिन जिस तरह से यहां पर निर्माण कार्य किए जा रहे हैं, उससे खतरा और ज्यादा बढ़ गया है. उन्होंने सरकार से मांग की है कि जल्द ही इस दिशा में उचित कदम उठाए जाएं.

क्या बोले मंदिर के पुजारी: श्री नैना देवी मंदिर में पुजारियों का भी कहना है कि मंदिर में पानी की निकासी भी सही नहीं है और जगह जगह पर पहाड़ी खिसक रही है. यहां तक कि वार्ड नंबर 3 में कई जगह स्लाइड जोन बने हुए हैं, लेकिन फिर भी इस पहाड़ी पर अतिरिक्त बोझ डालने का कार्य किया जा रहा है जो कि यहां पर हालात और भी खराब कर सकता है. आने वाले कुछ सालों में यहां पर जोशीमठ जैसे हालात पैदा होने वाले हैं. उन्होंने प्रदेश सरकार से मांग करते हुए कहा कि यहां पर पहाड़ी की खुदाई और पेड़ों के कटान पर जल्द ही रोक लगाई जानी चाहिए.

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