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बिलासपुर की बसों में फर्स्ट एड किट हैं फिट, ईटीवी भारत ने लिया जायजा

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Published : Feb 9, 2021, 10:09 PM IST

ईटीवी भारत ने बिलासपुर में सरकारी और निजी बसों में फर्स्ट एड किट की व्यवस्था का जायजा लिया. यहां बसों में किट और उसमें होने वाला जरूरी सामान मौजूद था. यहां बसों में किट और उसमें होने वाला जरूरी सामान मौजूद था. इसके साथ ही ड्राइवर और कंडक्टर को इसके इस्तेमाल की भी पूरी जानकारी थी.

ETV India takes stock of first aid kit in government and private buses in Bilaspur
फोटो

बिलासपुर: सार्वजनिक परिवहन किसी भी राज्य की परिवहन व्यवस्था का मुख्य आधार होती है. हिमाचल जैसे पहाड़ी राज्यों में सार्वजनिक और निजी बसें ही लोगों को मंजिल तक पहुंचाने का सहारा है. नियमों के मुताबिक बसों में एक प्राथमिक चिकित्सा किट यानि फर्स्ट एड किट का होना जरूरी है. ईटीवी भारत ने बिलासपुर में सरकारी और निजी बसों में फर्स्ट एड किट की व्यवस्था का जायजा लिया. यहां बसों में किट और उसमें होने वाला जरूरी सामान मौजूद था. इसके साथ ही ड्राइवर और कंडक्टर को इसके इस्तेमाल की भी पूरी जानकारी थी.

फर्स्ट एड किट है जरूरी

बस में सफर के दौरान आपने भी बसों में ये फर्स्ट एड किट देखा होगा. इस किट में डेटॉल, एंटीसेप्टिक क्रीम, रूई, पट्टी आदि चीजें होना जरूरी है. जिनका आपात काल के दौरान इस्तेमाल किया जा सके.

वीडियो

सड़क हादसा कभी भी और कहीं भी हो सकता है. हिमाचल जैसे पहाड़ी राज्यों में हादसों की आशंका बनी ही रहती है. ऐसे में किसी हादसे के दौरान अगर बस में बैठे यात्रियों को चोट पहुंचती है तो फर्स्ट एड किट संजीवनी साबित हो सकती है. इस किट के माध्यम से घायल को प्राथमिक इलाज दिया जा सकता है ताकि अस्पताल पहुंचने तक स्थिति गंभीर ना हो.

ड्राइवर-कंडक्टर दी जाती है ट्रेनिंग

बिलासपुर में बसों में मौजूद फर्स्ट एड किट की जांच के दौरान पाया गया कि प्राथमिक चिकित्सा किट में एंटीसेप्टिक क्रीम, डेटॉल, बेंडेज, वाटर प्रूफ प्लास्टर समेत अन्य जरूरी सामान मौजूद था. वहीं ड्राइवर और कंडक्टर को भी इस किट के इस्तेमाल की जानकारी थी. बस चालक और परिचालकों को फर्स्ट एड किट की अहमियत भी पता है. उनके मुताबिक किसी हादसे के दौरान फर्स्ट एड किट बहुत काम आती है.

बस अड्डा इंचार्ज कमल किशोर ने बताया कि बस ड्राइवरों को बस चलाने की ट्रेनिंग दी जाती है. उसे बताया जाता है कि बस चलाते वक्त सवारियों की सुरक्षा सबसे बड़ी जिम्मेदारी है इसलिये रफ्तार पर नियंत्रण, ओवरटेक करने से बचे और सवारियों को बस में चढ़ाते और बस से उतारते वक्त ध्यान रखे ताकि कोई हादसा ना हो. बस में फर्स्ट एड किट ना होने पर तुरंत इसे मुहैया करवाया जाता है और इसके इस्तेमाल की जानकारी भी ड्राइवर-कंडक्टर को दी जाती है. एचआरटीसी की तरफ से सभी बस ड्राइवर और कंडक्टरों को फर्स्ट एड बॉक्स रखने और समय-समय पर उसकी जांच के आदेश दिए हैं.

फर्स्ट एड किट नहीं तो लगता है जुर्माना

फर्स्ट एड किट बसों में होना बहुत जरूरी है. परिवहन विभाग समय-समय पर बसों की फिटनेस की जांच करता है और इसी दौरान बस में फर्स्ट एड किट का भी निरीक्षण किया जाता है.

बिलासपुर आरटीओ योगराज धीमान के मुताबिक समय-समय पर बसों का निरीक्षण किया जाता है और बसों में फर्स्ट एड किट होती है. क्योंकि बस में फर्स्ट एड किट का होना जरूरी है और ना होने पर जुर्माने का प्रावधान है.

योगराज धीमान बताते हैं कि विभाग की तरफ से समय-समय पर बसों की फिटनेस से लेकर अन्य दस्तावेजों के संबंध में निरीक्षण होता है और फिलहाल बिना फर्स्ट एड किट के कोई भी बस नहीं मिली है.

ये भी पढ़ेंः- धामण पुल हुआ क्षतिग्रस्त, वाहनों की आवाजाही बंद

बिलासपुर: सार्वजनिक परिवहन किसी भी राज्य की परिवहन व्यवस्था का मुख्य आधार होती है. हिमाचल जैसे पहाड़ी राज्यों में सार्वजनिक और निजी बसें ही लोगों को मंजिल तक पहुंचाने का सहारा है. नियमों के मुताबिक बसों में एक प्राथमिक चिकित्सा किट यानि फर्स्ट एड किट का होना जरूरी है. ईटीवी भारत ने बिलासपुर में सरकारी और निजी बसों में फर्स्ट एड किट की व्यवस्था का जायजा लिया. यहां बसों में किट और उसमें होने वाला जरूरी सामान मौजूद था. इसके साथ ही ड्राइवर और कंडक्टर को इसके इस्तेमाल की भी पूरी जानकारी थी.

फर्स्ट एड किट है जरूरी

बस में सफर के दौरान आपने भी बसों में ये फर्स्ट एड किट देखा होगा. इस किट में डेटॉल, एंटीसेप्टिक क्रीम, रूई, पट्टी आदि चीजें होना जरूरी है. जिनका आपात काल के दौरान इस्तेमाल किया जा सके.

वीडियो

सड़क हादसा कभी भी और कहीं भी हो सकता है. हिमाचल जैसे पहाड़ी राज्यों में हादसों की आशंका बनी ही रहती है. ऐसे में किसी हादसे के दौरान अगर बस में बैठे यात्रियों को चोट पहुंचती है तो फर्स्ट एड किट संजीवनी साबित हो सकती है. इस किट के माध्यम से घायल को प्राथमिक इलाज दिया जा सकता है ताकि अस्पताल पहुंचने तक स्थिति गंभीर ना हो.

ड्राइवर-कंडक्टर दी जाती है ट्रेनिंग

बिलासपुर में बसों में मौजूद फर्स्ट एड किट की जांच के दौरान पाया गया कि प्राथमिक चिकित्सा किट में एंटीसेप्टिक क्रीम, डेटॉल, बेंडेज, वाटर प्रूफ प्लास्टर समेत अन्य जरूरी सामान मौजूद था. वहीं ड्राइवर और कंडक्टर को भी इस किट के इस्तेमाल की जानकारी थी. बस चालक और परिचालकों को फर्स्ट एड किट की अहमियत भी पता है. उनके मुताबिक किसी हादसे के दौरान फर्स्ट एड किट बहुत काम आती है.

बस अड्डा इंचार्ज कमल किशोर ने बताया कि बस ड्राइवरों को बस चलाने की ट्रेनिंग दी जाती है. उसे बताया जाता है कि बस चलाते वक्त सवारियों की सुरक्षा सबसे बड़ी जिम्मेदारी है इसलिये रफ्तार पर नियंत्रण, ओवरटेक करने से बचे और सवारियों को बस में चढ़ाते और बस से उतारते वक्त ध्यान रखे ताकि कोई हादसा ना हो. बस में फर्स्ट एड किट ना होने पर तुरंत इसे मुहैया करवाया जाता है और इसके इस्तेमाल की जानकारी भी ड्राइवर-कंडक्टर को दी जाती है. एचआरटीसी की तरफ से सभी बस ड्राइवर और कंडक्टरों को फर्स्ट एड बॉक्स रखने और समय-समय पर उसकी जांच के आदेश दिए हैं.

फर्स्ट एड किट नहीं तो लगता है जुर्माना

फर्स्ट एड किट बसों में होना बहुत जरूरी है. परिवहन विभाग समय-समय पर बसों की फिटनेस की जांच करता है और इसी दौरान बस में फर्स्ट एड किट का भी निरीक्षण किया जाता है.

बिलासपुर आरटीओ योगराज धीमान के मुताबिक समय-समय पर बसों का निरीक्षण किया जाता है और बसों में फर्स्ट एड किट होती है. क्योंकि बस में फर्स्ट एड किट का होना जरूरी है और ना होने पर जुर्माने का प्रावधान है.

योगराज धीमान बताते हैं कि विभाग की तरफ से समय-समय पर बसों की फिटनेस से लेकर अन्य दस्तावेजों के संबंध में निरीक्षण होता है और फिलहाल बिना फर्स्ट एड किट के कोई भी बस नहीं मिली है.

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