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प्रदेश में मतस्य पालन के लिए 24 प्रोजेक्टों को केंद्र की हरी झंडी, 40 करोड़ होंगे खर्च

हिमाचल के 40 करोड़ के 24 प्रोजेक्टों को केंद्र की हरी झंडी मिल चुकी है. 23 प्रोजेक्टों में लाभार्थियों को पौंड निर्माण सहित अन्य कार्यों के लिए सब्सिडी दी जाएगी और शेष एक प्रोजेक्ट के तहत आठ लाख रेनबो व ब्राऊन ट्राउट बीज की खरीददारी डेनमार्क से की जाएगी.

fisheries in Himachal
मतस्यकी निदेशालय, हिमाचल प्रदेश.
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Published : Oct 28, 2020, 4:36 PM IST

बिलासपुर: हिमाचल में मत्स्य पालन को बढ़ावा देने और बेरोजगारों के लिए ज्यादा से ज्यादा स्वरोजगार के अवसर सृजित करने को लेकर केंद्र से 40 करोड़ के विभिन्न 24 प्रोजेक्टों को हरी झंडी मिल गई है. हिमाचल प्रदेश के मत्स्य विभाग निदेशक सतपाल मेहता ने इस बात की पुष्टि की है.

बताया कि इनमें से 23 प्रोजेक्ट ऐसे हैं, जिनमें लाभार्थियों को पौंड निर्माण सहित विभिन्न कार्यों के लिए सब्सिडी प्रदान की जाएगी, जबकि शेष एक प्रोजेक्ट के तहत डेनमार्क से ब्राऊन व रेनबो ट्राउट प्रजाति की मछली के बीज की खरीददारी की जाएगी जिसके तहत कुल आठ लाख बीज खरीदा जाएगा. इसमें से 5 लाख रैनबो और ब्राऊन ट्राउट प्रजाति की मछली का ती लाख का बीज शामिल है.

वीडियो.

बता दें कि प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत 59.14 करोड़ की 35 विभिन्न परियोजनाएं स्वीकृति के लिए केंद्र सरकार को प्रेषित की गई थी. इसमें 35.79 करोड़ केंद्र और 3.48 करोड़ का शेयर राज्य सरकार का होगा, जबकि 19.85 करोड़ का शेयर लाभार्थियों का रहेगा, लेकिन अभी 40 करोड़ के 24 प्रोजेक्टों की सेंक्शन आई है. इसके तहत 18.75 करोड़ की हिस्सदारी केंद्र सरकार की है, जबकि दस फीसदी हिस्सा राज्य सरकार और बाकि लाभार्थी की हिस्सेदारी रहेगी.

इस योजना के तहत प्रदेश के विभिन्न जिलों के लिए अलग-अलग प्लान हैं. मत्स्य पौंड, रेयरिंग एंड ग्रोअर यूनिट्स, ट्राउट रेस-वे, रेफ्रिजरेटिड व्हीकल, मोटरसाईकिल व थ्री-व्हीलर, किश्तियां व जाल, फीड मिल, बायोफ्लॉक सिस्टम के तहत तालाबों का निर्माण और अन्य योजनाएं भी शुमार हैं.

जानकारी के मुताबिक प्रदेश में ट्राउट रेस-वे 120 और 120 हैक्टेयर एरिया में कार्प मछली की प्रजाति के लिए तालाबों के निर्माण की योजना है. इसके साथ फिश कयोस्क भी प्रस्तावित हैं जिसके तहत लाभार्थी मछली फ्राई की दुकान या एक्वेरियम इत्यादि का संचालन कर सकते हैं. इसके साथ ही पांच हैक्टेयर एरिया में रेयरिंग यूनिट्स लगाए जाएंगे. लाभार्थियों के लिए रेफ्रिजरेटिड व्हीकल, थ्रीव्हीलर व मोटरसाईकिल इत्यादि अनुदान पर उपलब्ध करवाए जाएंगे.

योजनाओं के तहत 500से ज्यादा लोगों को रोजगार देने का लक्ष्य रखा गया है. योजना के तहत बिलासपुर जिला में फिश पौंड निर्माण के साथ ही रेयरिंग एंड ग्रोअर पौंड तैयार किए जाएंगे. इसके साथ ही दो करोड़ लागत की फीड मिल भी प्रस्तावित है. इसी प्रकार डेढ़ करोड़ लागत से एक कोल्ड स्टोर बनाने की भी योजना है, जहां पकड़ी गई मछली को सुरक्षित रखा जा सकेगा. लाभार्थियों की सुविधा के लिए थ्रीव्हीलर और मोटरसाइकिल भी योजना में शामिल किए गए हैं तो वहीं, बोट्स व नेट भी लाभार्थियों को प्रदान किए जाएंगे.

इसके अलावा वायोफ्लॉक सिस्टम के तहत भी मछली पालन करवाया जाएगा. कम पानी में ज्यादा मछली पैदावार कैसे की जाए इस बाबत लाभार्थियों को बाकायदा ट्रेनिंग भी दी जाएगी. इसके अलावा दस लाख के बजट में एक एंग्लिंग कंपीटीशन करवाए जाने की भी योजना है.

मत्स्य विभाग के निदेशक सतपाल मेहता ने केंद्र से 40 करोड़ के प्रोजेक्टों की स्वीकृति की पुष्टि की है. उन्होंने बताया कि लगभग 60 करोड़ के 35 प्रोजेक्ट्स सेंक्शन के लिए केंद्र को भेजे हैं, जिनमें से 40 करोड़ के 24 प्रोजेक्टों की सेंक्शन आ गई है. उम्मीद है कि शेष 11 प्रोजेक्टों की सेंक्शन भी जल्द आएगी.

बिलासपुर: हिमाचल में मत्स्य पालन को बढ़ावा देने और बेरोजगारों के लिए ज्यादा से ज्यादा स्वरोजगार के अवसर सृजित करने को लेकर केंद्र से 40 करोड़ के विभिन्न 24 प्रोजेक्टों को हरी झंडी मिल गई है. हिमाचल प्रदेश के मत्स्य विभाग निदेशक सतपाल मेहता ने इस बात की पुष्टि की है.

बताया कि इनमें से 23 प्रोजेक्ट ऐसे हैं, जिनमें लाभार्थियों को पौंड निर्माण सहित विभिन्न कार्यों के लिए सब्सिडी प्रदान की जाएगी, जबकि शेष एक प्रोजेक्ट के तहत डेनमार्क से ब्राऊन व रेनबो ट्राउट प्रजाति की मछली के बीज की खरीददारी की जाएगी जिसके तहत कुल आठ लाख बीज खरीदा जाएगा. इसमें से 5 लाख रैनबो और ब्राऊन ट्राउट प्रजाति की मछली का ती लाख का बीज शामिल है.

वीडियो.

बता दें कि प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत 59.14 करोड़ की 35 विभिन्न परियोजनाएं स्वीकृति के लिए केंद्र सरकार को प्रेषित की गई थी. इसमें 35.79 करोड़ केंद्र और 3.48 करोड़ का शेयर राज्य सरकार का होगा, जबकि 19.85 करोड़ का शेयर लाभार्थियों का रहेगा, लेकिन अभी 40 करोड़ के 24 प्रोजेक्टों की सेंक्शन आई है. इसके तहत 18.75 करोड़ की हिस्सदारी केंद्र सरकार की है, जबकि दस फीसदी हिस्सा राज्य सरकार और बाकि लाभार्थी की हिस्सेदारी रहेगी.

इस योजना के तहत प्रदेश के विभिन्न जिलों के लिए अलग-अलग प्लान हैं. मत्स्य पौंड, रेयरिंग एंड ग्रोअर यूनिट्स, ट्राउट रेस-वे, रेफ्रिजरेटिड व्हीकल, मोटरसाईकिल व थ्री-व्हीलर, किश्तियां व जाल, फीड मिल, बायोफ्लॉक सिस्टम के तहत तालाबों का निर्माण और अन्य योजनाएं भी शुमार हैं.

जानकारी के मुताबिक प्रदेश में ट्राउट रेस-वे 120 और 120 हैक्टेयर एरिया में कार्प मछली की प्रजाति के लिए तालाबों के निर्माण की योजना है. इसके साथ फिश कयोस्क भी प्रस्तावित हैं जिसके तहत लाभार्थी मछली फ्राई की दुकान या एक्वेरियम इत्यादि का संचालन कर सकते हैं. इसके साथ ही पांच हैक्टेयर एरिया में रेयरिंग यूनिट्स लगाए जाएंगे. लाभार्थियों के लिए रेफ्रिजरेटिड व्हीकल, थ्रीव्हीलर व मोटरसाईकिल इत्यादि अनुदान पर उपलब्ध करवाए जाएंगे.

योजनाओं के तहत 500से ज्यादा लोगों को रोजगार देने का लक्ष्य रखा गया है. योजना के तहत बिलासपुर जिला में फिश पौंड निर्माण के साथ ही रेयरिंग एंड ग्रोअर पौंड तैयार किए जाएंगे. इसके साथ ही दो करोड़ लागत की फीड मिल भी प्रस्तावित है. इसी प्रकार डेढ़ करोड़ लागत से एक कोल्ड स्टोर बनाने की भी योजना है, जहां पकड़ी गई मछली को सुरक्षित रखा जा सकेगा. लाभार्थियों की सुविधा के लिए थ्रीव्हीलर और मोटरसाइकिल भी योजना में शामिल किए गए हैं तो वहीं, बोट्स व नेट भी लाभार्थियों को प्रदान किए जाएंगे.

इसके अलावा वायोफ्लॉक सिस्टम के तहत भी मछली पालन करवाया जाएगा. कम पानी में ज्यादा मछली पैदावार कैसे की जाए इस बाबत लाभार्थियों को बाकायदा ट्रेनिंग भी दी जाएगी. इसके अलावा दस लाख के बजट में एक एंग्लिंग कंपीटीशन करवाए जाने की भी योजना है.

मत्स्य विभाग के निदेशक सतपाल मेहता ने केंद्र से 40 करोड़ के प्रोजेक्टों की स्वीकृति की पुष्टि की है. उन्होंने बताया कि लगभग 60 करोड़ के 35 प्रोजेक्ट्स सेंक्शन के लिए केंद्र को भेजे हैं, जिनमें से 40 करोड़ के 24 प्रोजेक्टों की सेंक्शन आ गई है. उम्मीद है कि शेष 11 प्रोजेक्टों की सेंक्शन भी जल्द आएगी.

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