बिलासपुर: जिले में वन विभाग की जलभंडारण स्कीम (water storage scheme of forest department) पशु-पक्षियों की पानी की प्यास बुझाने के साथ ही स्थानीय लोगों के लिए मददगार साबित होगी. इस स्कीम के तहत बिलासपुर सर्किल में कुल 17 चेकडैम बनेंगे. इनमें से 14 चेकडैम कैंपा, 2 आईडीपी और एक जायका परियोजना के तहत तैयार किए जाएंगे. बिलासपुर और कुनिहार डिवीजन में साइट्स फाइनल कर ली गई हैं और अभी एस्टीमेट तैयार किए जा रहे हैं, जिन्हें अप्रूवल व फंडिंग के लिए मुख्य कार्यालय शिमला भेजा जाएगा. चेकडैम जहां बनेंगे वहां पर स्रोत से आ रहे पानी की वाटरशेड ट्रीटमेंट की जाएगी और सिल्ट डिटैंशन डैम तैयार करने की भी योजना है, ताकि साल भर पानी की उपलब्ध रहे.
वन विभाग बिलासपुर सर्किल (Forest Department Bilaspur Circle) के मुख्य अरण्यपाल अनिल कुमार शर्मा ने इसकी पुष्टि की है. उन्होंने बताया कि बिलासपुर सर्किल में दो डिवीजन आते हैं जिनमें बिलासपुर और दूसरा कुनिहार डिवीजन शामिल हैं. इन दोनों ही डिवीजन में जलभंडारण स्कीम के तहत 17 चेकडैम बनाए जाएंगे, जिसके तहत बिलासपुर में 9 और कुनिहार में 8 बनेंगे. इसके लिए लगभग साढ़े तीन करोड़ रुपए का बजट खर्च किया जाएगा. उन्होंने बताया कि प्रत्येक चेकडैम 8 से 10 लाख लीटर पानी की क्षमता का होगा और एक डैम निर्माण पर 20 से 25 लाख रुपए की लागत आएगी.
उन्होंने बताया कि इस योजना को मूर्तरूप देने के लिए एक कोर कमेटी गठित की गई है जिसके चेयरमैन वह खुद हैं. अभी तीन दिन पहले ही कोर कमेटी की बैठक हुई है जिसमें जल शक्ति विभाग, ग्रामीण विकास विभाग, कृषि, बागवानी, बीडीओ सहित अन्य संबंधित विभागों के अधिकारियों के साथ चर्चा की गई है. उन्होंने बताया कि साईट्स का चयन कर लिया गया है और जंगलों में जहां चेकडैम बनेंगे वहां पर उपलब्ध पानी का स्थानीय जनता का भी सिंचाई इत्यादि के लिए सदुपयोग कर सकेगी. इसके साथ ही जंगली जानवरों को जंगलों में ही पानी उपलब्ध होगा जिसके चलते उन्हें प्यास बुझाने के लिए रिहायशी इलाकों का रूख नहीं करना पड़ेगा.
सके अलावा चेकडैम के पानी का उपयोग फायर सीजन के दौरान जंगलों में लगने वाली आग पर काबू पाने के लिए भी किया जा सकेगा. हालांकि अभी पानी के उपयोग को लेकर आने वाले समय में गहन चर्चा के बाद ही अगला कोई निर्णय लिया जाएगा. फिलहाल चेकडैम तैयार करने के लिए एस्टीमेट बनाए जा रहे हैं और एक विस्तृत कार्ययोजना तैयार कर फंड स्वीकृति के लिए मुख्य कार्यालय शिमला भेजी जाएगी.
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