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जानें, क्यों NASA को दूसरी बार टालना पड़ा चंद्र रॉकेट का परीक्षण - चंद्र रॉकेट का परीक्षण

नासा ने एक बार फिर से चंद्र रॉकेट के परीक्षण को टाल दिया है. परीक्षण दल ने इस सप्ताह अपनी दूसरी कोशिश की, लेकिन दोबारा इस कार्यक्रम को टालना पड़ गया. वजह जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर...

नासा
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Published : Sep 3, 2022, 7:47 PM IST

केप केनवरल : अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के महत्वाकांक्षी नए चंद्र रॉकेट से शनिवार को उस समय फिर से खतरनाक रिसाव हुआ, जब इसके परीक्षण की अंतिम तैयारियों के लिए इसमें ईंधन भरा जा रहा था. परीक्षण दल ने इस सप्ताह अपनी दूसरी कोशिश के तहत, नासा के अब तक के सबसे शक्तिशाली 322 फुट लंबे रॉकेट में 10 लाख गैलन ईंधन भरना शुरू किया था, लेकिन इसमें रिसाव शुरू होने लगा.

इससे पहले सोमवार को की गई कोशिश में इंजन का खराब सेंसर और ईंधन रिसाव के कारण समस्या पैदा हुई थी. नासा के 'लॉन्च कंट्रोल' ने बताया कि जैसे ही सूर्योदय हुआ, अति-दबाव का अलार्म बज गया और ईंधन टंकी भरने के अभियान को कुछ समय के लिए रोक दिया गया, लेकिन कोई नुकसान नहीं हुआ और फिर से प्रयास किया गया. बहरहाल, कुछ मिनट बाद, रॉकेट के निचले हिस्से में इंजन के क्षेत्र से हाइड्रोजन ईंधन का रिसाव होने लगा. इसके बाद नासा ने अभियान रोक दिया और नासा के इंजीनियर ने सील के पास एक छेद को बंद करने की जद्दोजहद की.

रॉकेट के दोपहर में उड़ान भरने के लिए उलटी गिनती शुरू हो गई थी और इसके लिए नासा के पास शनिवार को दो घंटे का समय था. नासा रॉकेट के जरिये चंद्रमा के आसपास 'क्रू कैप्सूल' भेजना चाहता है और इसके बाद अंतरिक्ष यात्रियों को अगली उड़ान से चांद पर भेजने की योजना है. यदि पुतलों के साथ ‘कैप्सूल’ के परीक्षण का पांच सप्ताह का प्रदर्शन सफल रहता है, तो अंतरिक्ष यात्री 2024 में चंद्रमा के लिए उड़ान भर सकते हैं और 2025 में उस पर पहुंच सकते हैं. आखिरी बार 50 साल पहले अंतरिक्ष यात्री ने चंद्रमा पर चहलकदमी की थी.

मौसम वैज्ञानिकों ने शनिवार को परीक्षण के लिए निर्धारित किए गए दो घंटे के समय में 'केनेडी स्पेस स्टेशन' पर मौसम अनुकूल रहने का अनुमान जताया था. इसके अलावा, रॉकेट के प्रमुख इंजीनियर ने ईंधन आपूर्ति की दुरूस्त की गई लाइन और प्रक्रियात्मक बदलावों पर भरोसा जताया था. यह अंतरिक्षयान 322 फुट या 98 मीटर लंबा है, जो नासा द्वारा बनाया गया अब तक का सबसे ताकतवर रॉकेट है और अपोलो कार्यक्रम के अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा तक ले जाने वाले सैटर्न-5 से भी शक्तिशाली है.

इससे पहले, सोमवार को अंतिम तैयारियों के दौरान ईंधन के रिसाव और फिर एक इंजन में खामी आने की वजह से इसके निर्धारित परीक्षण को टालना पड़ा था. इस रॉकेट के परीक्षण को देखने के लिए हजारों लोग समुद्र तट के पास जमा हुए थे. अब जब भी यह प्रक्षेपण होगा, तो यह नासा के 21वीं सदी के चंद्रमा अन्वेषण कार्यक्रम के तहत यह पहली उड़ान होगी. इसका नाम यूनानी पौराणिक मान्यता के अनुसार अपोलो की जुड़वां बहन आर्टेमिस के नाम पर रखा गया है.

(पीटीआई-भाषा)

केप केनवरल : अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के महत्वाकांक्षी नए चंद्र रॉकेट से शनिवार को उस समय फिर से खतरनाक रिसाव हुआ, जब इसके परीक्षण की अंतिम तैयारियों के लिए इसमें ईंधन भरा जा रहा था. परीक्षण दल ने इस सप्ताह अपनी दूसरी कोशिश के तहत, नासा के अब तक के सबसे शक्तिशाली 322 फुट लंबे रॉकेट में 10 लाख गैलन ईंधन भरना शुरू किया था, लेकिन इसमें रिसाव शुरू होने लगा.

इससे पहले सोमवार को की गई कोशिश में इंजन का खराब सेंसर और ईंधन रिसाव के कारण समस्या पैदा हुई थी. नासा के 'लॉन्च कंट्रोल' ने बताया कि जैसे ही सूर्योदय हुआ, अति-दबाव का अलार्म बज गया और ईंधन टंकी भरने के अभियान को कुछ समय के लिए रोक दिया गया, लेकिन कोई नुकसान नहीं हुआ और फिर से प्रयास किया गया. बहरहाल, कुछ मिनट बाद, रॉकेट के निचले हिस्से में इंजन के क्षेत्र से हाइड्रोजन ईंधन का रिसाव होने लगा. इसके बाद नासा ने अभियान रोक दिया और नासा के इंजीनियर ने सील के पास एक छेद को बंद करने की जद्दोजहद की.

रॉकेट के दोपहर में उड़ान भरने के लिए उलटी गिनती शुरू हो गई थी और इसके लिए नासा के पास शनिवार को दो घंटे का समय था. नासा रॉकेट के जरिये चंद्रमा के आसपास 'क्रू कैप्सूल' भेजना चाहता है और इसके बाद अंतरिक्ष यात्रियों को अगली उड़ान से चांद पर भेजने की योजना है. यदि पुतलों के साथ ‘कैप्सूल’ के परीक्षण का पांच सप्ताह का प्रदर्शन सफल रहता है, तो अंतरिक्ष यात्री 2024 में चंद्रमा के लिए उड़ान भर सकते हैं और 2025 में उस पर पहुंच सकते हैं. आखिरी बार 50 साल पहले अंतरिक्ष यात्री ने चंद्रमा पर चहलकदमी की थी.

मौसम वैज्ञानिकों ने शनिवार को परीक्षण के लिए निर्धारित किए गए दो घंटे के समय में 'केनेडी स्पेस स्टेशन' पर मौसम अनुकूल रहने का अनुमान जताया था. इसके अलावा, रॉकेट के प्रमुख इंजीनियर ने ईंधन आपूर्ति की दुरूस्त की गई लाइन और प्रक्रियात्मक बदलावों पर भरोसा जताया था. यह अंतरिक्षयान 322 फुट या 98 मीटर लंबा है, जो नासा द्वारा बनाया गया अब तक का सबसे ताकतवर रॉकेट है और अपोलो कार्यक्रम के अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा तक ले जाने वाले सैटर्न-5 से भी शक्तिशाली है.

इससे पहले, सोमवार को अंतिम तैयारियों के दौरान ईंधन के रिसाव और फिर एक इंजन में खामी आने की वजह से इसके निर्धारित परीक्षण को टालना पड़ा था. इस रॉकेट के परीक्षण को देखने के लिए हजारों लोग समुद्र तट के पास जमा हुए थे. अब जब भी यह प्रक्षेपण होगा, तो यह नासा के 21वीं सदी के चंद्रमा अन्वेषण कार्यक्रम के तहत यह पहली उड़ान होगी. इसका नाम यूनानी पौराणिक मान्यता के अनुसार अपोलो की जुड़वां बहन आर्टेमिस के नाम पर रखा गया है.

(पीटीआई-भाषा)

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