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गोविंद सागर झील के बीचोंबीच टापू पर बना है शिव मंदिर, हर मनोकामना होती है पूरी!

हिमाचल के भव्य मंदिर और यहां के लोगों की अटूट आस्था राज्य को विश्व में 'देवभूमि' की पहचान दिलाती है. हिमालय के खूबसूरत पहाड़ों पर बने मंदिरों में हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु अपनी मन्नतें लेकर पहुंचते हैं.

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Published : Oct 26, 2019, 3:20 PM IST

baba garib nath temple

ऊना: अनछुआ हिमाचल की इस कड़ी में हम आपको बताएंगे जिला ऊना की कुटलैहड़ विधानसभा क्षेत्र के बाबा गरीब नाथ मंदिर के बारे में. चारों ओर पानी से घिरे इस मंदिर में हजारों श्रद्धालू अपनी मन्नतें लेकर पहुंचते हैं. गोविंद सागर झील के बीचोंबीच स्थित इस मंदिर को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने के लिए सरकार के नजर-ए-इनायत की जरूरत है.

वीडियो.

कैसे पहुंचे बाबा गरीब नाथ मंदिर

बाबा गरीब नाथ मंदिर में ऊना जिला मुख्यालय से होकर दो रास्तों से पहुंचा जा सकता है. पहला रास्ता थानाकलां से होकर गुजरता है. दूसरा रास्ता पीरनिगाह मंदिर से होकर जाता है. सड़क ठीक न होने के चलते इस रास्ते से श्रद्धालुओं को कुछ हद तक परेशानी उठानी पड़ सकती है, लेकिन इस रास्ते से मंदिर तक पहुंचने में अपना अलग ही रोमांच है. इस रास्ते में जंगल से गुजरते हुए दूर-दूर तक फैली झील का नजारा देखने को मिलता है. वहीं, नंगल से आने वाले श्रद्धालु भाखड़ा बांध वाले रास्ते से अंदरौली पहुंच सकते हैं. इस मंदिर तक पहुंचने के लिए बस सुविधा भी उपलब्ध है.

मंदिर तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को नाव का सहारा लेना पड़ता है. यहां श्रद्धालु अक्सर झील के पानी के साथ अटखेलियां करते नजर आते हैं. मंदिर परिसर में बनी भगवान शिव की विशालकाय प्रतिमा श्रद्धालुओं के साथ-साथ गोविंद सागर झील देखने आए पर्यटकों को मंदिर में बाबा के दर्शन करने के लिए प्रेरित करती है.

हर साल पंजाब, हरियाणा, दिल्ली व हिमाचल प्रदेश के लाखों श्रद्धालु बाबा जी के चरणों में शीश नवाने पहुंचते हैं. बरसात के दिनों में गोविंद सागर झील का जलस्तर बढ़ जाता है और ये खूबसूरत नजारा देखने के लिए पर्यटकों की खासी भीड़ उमड़ती है. मंदिर में श्रद्धालुओं को रात के ठहरने की उचित व्यवस्था उपलब्ध है. यहां श्रद्धालुओं के लिए 24 घण्टे लंगर की सुविधा है. सुरक्षा के मध्य नजर रखते हुए मंदिर को चारों ओर से सीसीटीवी कैमरों से लैस किया गया है. यहां श्रद्धालुओं द्वारा मांगी गई सभी मन्नते पूरी होती है.

गरीब नाथ मंदिर का इतिहास

बाबा गरीब नाथ जी के मंदिर का इतिहास बेहद रोचक है. माना जाता है कि 1977 में एनडीएलएफ में बतौर इंजीनियर सेवाएं दे रहे कैंसर से पीड़ित नसीब सिंह पीजीआई से इलाज करवा रहे थे, लेकिन उनकी हालत में कोई सुधार नहीं हो रहा था. इसी दौरान नसीब सिंह को बाबा गरीब नाथ जी की ज्योति ने दर्शन दिए और उन्होंने नसीब सिंह से कहा कि आप अंदरौली में जाकर मेरी तपोस्थली में साफ-सफाई और भक्ति का कार्य देखें, आपको कुछ नहीं होगा. नसीब सिंह अस्पताल छोड़ अपने परिजनों सहित अंदरौली पहुंचे. जहां पर उन्होंने बाबा गरीब नाथ की तपोस्थली में साफ-सफाई कर मंदिर का निर्माण शुरू करवाया. इसके बाद नसीब सिंह पूरी तरह से ठीक हो गए. नसीब सिंह 2001 में प्रभु के चरणों मे ब्रह्मलीन हो गए. इसके अलावा भी स्थानीय लोगों द्वारा कई ऐसे किस्से सुनाए जाते हैं जिनसे बाबा के मंदिर प्रतिष्ठित होने का पता चलता है.

श्रद्धालुओं व स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर हिमाचल सरकार इस स्थान को धार्मिक पर्यटन की दृष्टि से विकसित करे तो युवाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़ेंगे. देवी-देवताओं की अद्भुत शक्तियों के प्रतीक हिमाचल के मंदिरों को अगर धार्मिक पर्यटन की दृष्टि से विकसित किया जाता है तो बेशक हिमाचल की अर्थव्यवस्था को इसका खासा लाभ मिलेगा.

ऊना: अनछुआ हिमाचल की इस कड़ी में हम आपको बताएंगे जिला ऊना की कुटलैहड़ विधानसभा क्षेत्र के बाबा गरीब नाथ मंदिर के बारे में. चारों ओर पानी से घिरे इस मंदिर में हजारों श्रद्धालू अपनी मन्नतें लेकर पहुंचते हैं. गोविंद सागर झील के बीचोंबीच स्थित इस मंदिर को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने के लिए सरकार के नजर-ए-इनायत की जरूरत है.

वीडियो.

कैसे पहुंचे बाबा गरीब नाथ मंदिर

बाबा गरीब नाथ मंदिर में ऊना जिला मुख्यालय से होकर दो रास्तों से पहुंचा जा सकता है. पहला रास्ता थानाकलां से होकर गुजरता है. दूसरा रास्ता पीरनिगाह मंदिर से होकर जाता है. सड़क ठीक न होने के चलते इस रास्ते से श्रद्धालुओं को कुछ हद तक परेशानी उठानी पड़ सकती है, लेकिन इस रास्ते से मंदिर तक पहुंचने में अपना अलग ही रोमांच है. इस रास्ते में जंगल से गुजरते हुए दूर-दूर तक फैली झील का नजारा देखने को मिलता है. वहीं, नंगल से आने वाले श्रद्धालु भाखड़ा बांध वाले रास्ते से अंदरौली पहुंच सकते हैं. इस मंदिर तक पहुंचने के लिए बस सुविधा भी उपलब्ध है.

मंदिर तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को नाव का सहारा लेना पड़ता है. यहां श्रद्धालु अक्सर झील के पानी के साथ अटखेलियां करते नजर आते हैं. मंदिर परिसर में बनी भगवान शिव की विशालकाय प्रतिमा श्रद्धालुओं के साथ-साथ गोविंद सागर झील देखने आए पर्यटकों को मंदिर में बाबा के दर्शन करने के लिए प्रेरित करती है.

हर साल पंजाब, हरियाणा, दिल्ली व हिमाचल प्रदेश के लाखों श्रद्धालु बाबा जी के चरणों में शीश नवाने पहुंचते हैं. बरसात के दिनों में गोविंद सागर झील का जलस्तर बढ़ जाता है और ये खूबसूरत नजारा देखने के लिए पर्यटकों की खासी भीड़ उमड़ती है. मंदिर में श्रद्धालुओं को रात के ठहरने की उचित व्यवस्था उपलब्ध है. यहां श्रद्धालुओं के लिए 24 घण्टे लंगर की सुविधा है. सुरक्षा के मध्य नजर रखते हुए मंदिर को चारों ओर से सीसीटीवी कैमरों से लैस किया गया है. यहां श्रद्धालुओं द्वारा मांगी गई सभी मन्नते पूरी होती है.

गरीब नाथ मंदिर का इतिहास

बाबा गरीब नाथ जी के मंदिर का इतिहास बेहद रोचक है. माना जाता है कि 1977 में एनडीएलएफ में बतौर इंजीनियर सेवाएं दे रहे कैंसर से पीड़ित नसीब सिंह पीजीआई से इलाज करवा रहे थे, लेकिन उनकी हालत में कोई सुधार नहीं हो रहा था. इसी दौरान नसीब सिंह को बाबा गरीब नाथ जी की ज्योति ने दर्शन दिए और उन्होंने नसीब सिंह से कहा कि आप अंदरौली में जाकर मेरी तपोस्थली में साफ-सफाई और भक्ति का कार्य देखें, आपको कुछ नहीं होगा. नसीब सिंह अस्पताल छोड़ अपने परिजनों सहित अंदरौली पहुंचे. जहां पर उन्होंने बाबा गरीब नाथ की तपोस्थली में साफ-सफाई कर मंदिर का निर्माण शुरू करवाया. इसके बाद नसीब सिंह पूरी तरह से ठीक हो गए. नसीब सिंह 2001 में प्रभु के चरणों मे ब्रह्मलीन हो गए. इसके अलावा भी स्थानीय लोगों द्वारा कई ऐसे किस्से सुनाए जाते हैं जिनसे बाबा के मंदिर प्रतिष्ठित होने का पता चलता है.

श्रद्धालुओं व स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर हिमाचल सरकार इस स्थान को धार्मिक पर्यटन की दृष्टि से विकसित करे तो युवाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़ेंगे. देवी-देवताओं की अद्भुत शक्तियों के प्रतीक हिमाचल के मंदिरों को अगर धार्मिक पर्यटन की दृष्टि से विकसित किया जाता है तो बेशक हिमाचल की अर्थव्यवस्था को इसका खासा लाभ मिलेगा.

Intro:स्लग--गोविंद सागर झील के पानी से घिरा बाबा का मंदिर, श्रद्धालुओं की मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं बाबा गरीव नाथ, पर्यटकों की पहली पसंद बना बाबा का मंदिर, हर साल लाखों श्रद्धालु नवाते हैं बाबा गरीब नाथ मंदिर में शीश।


Body:एंकर -- हिमाचल प्रदेश को देवी देवताओं की भूमि माना जाता है।यहां सैकड़ों ऐसे मंदिर है जो बहुत ही प्रसिद्ध हैं। ऐसा ही एक मंदिर जिला ऊना की कुटलैहड़ विधानसभा क्षेत्र में मौजूद है। जो लाखों श्रद्धालुओं व पर्यटकों की पहली पसंद बन चुका है। यह बाबा गरीब नाथ मंदिर है जो झील के पानी से चारों तरफ से घिर जाता है। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को नाव का सहारा लेना पड़ता है। वहीं श्रद्धालुओं व स्थानीय लोगों का कहना है कि हिमाचल सरकार यहां नजरे-ए-इनायत करे तो यह स्थान पर्यटन की दृष्टि से विकसित होकर बेरोजगार युवाओं के लिए रोजगार के साधन जुटा सकता है।

वी ओ 1-- जिला ऊना के कुटलैहड़ विधानसभा क्षेत्र के अंदरौली में एक ऐसा मंदिर मौजूद है ,जो लाखों श्रद्धालुओं की श्रद्धा का प्रतीक है। यहां आए दिन श्रद्धालु बाबा गरीब नाथ जी के चरणों में शीश नवाते है। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए जिला मुख्यालय से दो रास्तों से होकर पहुंचा जा सकता है। पहले रास्ता थानाकलां से होकर गुजरता है। वहीं दूसरा रास्ता पीरनिगाह मंदिर से होकर जाता है । यह सिंगल रास्ता है, जिसे जल्द ही नेशनल हाईवे द्वारा डबल किया जाएगा। जिसका कुछ हिस्सों में काम शुरू हो चुका है। हालांकि इस रास्ते से श्रद्धालुओं को सड़क ठीक न होने के चलते कुछ हद तक परेशानी उठानी पड़ सकती है।लेकिन इस रास्ते से मंदिर तक पहुंचने में अपना अलग ही रोमांच है। यहां हरे भरे जंगल से गुजरना पड़ता है, साथ ही दूर दूर तक फैली झील का नजारा देखने को मिलता है। वहीं नंगल से आने वाले श्रद्धालु भाखड़ा बांध वाले रास्ते से अंदरौली पहुंच सकते हैं। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए बस सुविधा भी उपलब्ध है।

मंदिर में हर साल पंजाब, हरियाणा, दिल्ली व हिमाचल प्रदेश के लाखों श्रद्धालु बाबा जी के चरणों में शीश नवाने पहुंचते हैं। इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि ये मंदिर बरसात के समय गोविंद सागर झील के पानी से चारों ओर से घिर जाता है। जिसकी वजह से यह मंदिर जुलाई से नवंबर माह तक पानी से घिरा रहता है। जिसे दिखने के लिये पर्यटकों की वीकेंड में खासी भीड़ उमड़ पड़ती है। गोविंद सागर झील के चारों तरफ छाई हरियाली व खुला बातावरण अन्दौरली में पर्यटकों के लिए पसंदीदा स्थल बनता जा रहा है। यहां आने वाले पर्यटक पहले झील में बने बाबा गरीबनाथ मंदिर के दर्शन करते हैं। बाबा जी के मंदिर तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को नाव का सहारा लेकर पहुंचना पड़ता है। जो बड़ा ही आनंददायक प्रतीत होता है, यहां श्रद्धालु झील के पानी के साथ अटखेलियां करते नजर आते हैं
इसके बाद झील में मोटर बोट का लुफ्त उठाते हैं । मंदिर परिसर में बनी भगवान शिव की विशालकाय प्रतिमा श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करती है।

बाइट--श्रद्धालु
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बाइट--श्रद्धालु
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बाइट--श्रद्धालु
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वी ओ 2-- वहीं डीसी ऊना संदीप कुमार की माने तो जिला ऊना के कुटलैहड़ में बाबा गरीबनाथ मंदिर के साथ साथ अनेकों रमणीक स्थल है जहां पर पर्यटक स्थलों को विकसित किया जा रहा है। जिसके लिए कुटलैहड़ टूरिज्म सोसाइटी का गठन किया गया है। सरकार से बजट का प्रभावधान होते ही यहां पर्यटन को विकसित करने के लिए कार्य शुरू का शुभारंभ किया जाएगा।

बाइट-- संदीप कुमार ( उपायुक्त, ऊना)
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गरीब नाथ मंदिर का इतिहास

वहीं बाबा गरीब नाथ जी के मंदिर का इतिहास बड़ा ही रोचक रहा है। पौराणिक कथाओं के अनुसार बाबा गरीब नाथ नौ नाथों में से एक थे । जिन्होंने अंदरौली में 40 वर्ष तक एक पेड़ के नीचे तपस्या की थी। जो पेड़ आज भी मंदिर में मौजूद है। बाबा यहां पर तपस्या में 40 वर्ष तक लीन रहे, यह बात किसी को भी मालूम नही थी। कई साल बीत जाने के बाद 1977-78 में एनडीएलएफ में बतौर इंजीनियर की सेवाएं दे रहे नसीब सिंह को बाबा गरीब नाथ जी ने ज्योति के रूप में दर्शन दिये। नसीब सिंह उस समय कैंसर के रोग से पीड़ित थे। पीजीआई में उनका केंसर का उपचार चल रहा था। लेकिन उनकी तबियत में सुधार की बजाए और बिगड़ती गई । डॉक्टरों ने भी उपचार करने से मना कर, परिजनों को सेवा करने के लिए कहा । इसी दौरान नसीब सिंह को बाबा गरीब नाथ जी की ज्योति आई और उन्होंने नसीब सिंह से कहा कि आप अंदरौली में जाकर मेरी तपोस्थली में साफ सफाई और भक्ति का कार्य देखें। आपको कुछ नही होगा, नसीब सिंह अस्पताल छोड़ अपने परिजनों सहित अंदरौली पहुंचे । जहां पर उन्होंने बाबा गरीब नाथ की तपोस्थली को पाया, और साफ-सफाई कर मंदिर का निर्माण शुरू करवाया। इसके बाद नसीब सिंह पूरी तरह से तन्दरुस्त हो गए। फिर अचानक नसीब सिंह को बाबा गरीब नाथ जी दोबारा ज्योति आई और उन्होंने कहा कि नंगल बस स्टैंड पर एक गूंगी व बैहरी लड़की है। जिसे आप हाथ से छुओगे,तो वह बोलना व सुनने लगेगी। नसीब सिंह ने वही किया जो बाबा ने जोत में कहा था। लड़की उसी तरह सुनने व बोलने लगी। इसके बाद बाबा गरीब नाथ जी के नाम से यह मंदिर प्रतिष्ठित हो गया। यहां हर रोज ग्रामीणों द्वारा पूजा अर्चना की जाने लगी। उसके पश्चात नसीब सिंह 2001 में प्रभु के चरणों मे ब्रह्मलीन हो गए। उसके बाद उनकी पत्नी शीला देवी गद्दीशीन
हुई। वही ही अब मंदिर ट्रस्ट का कार्यभार देख रही है। मंदिर में श्रद्धालुओं को रात के ठहरने का उचित व्यवस्था उपलब्ध है। यहां श्रद्धालुओं के लिए 24 घण्टे लंगर की सुविधा है। सुरक्षा के मध्य नजर रखते हुए मंदिर को चारों ओर से सीसीटीवी कैमरों से लैस किया गया है। यहां श्रद्धालुओं द्वारा मांगी गई सभी मन्नते पूर्ण होती है।

बाइट -- सतीश राणा (मंदिर कमेटी, सदस्य)

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