सोलन: हिमाचल की महिलाओं के लिए संजना गोयल आज मिसाल बन गई हैं. अक्षम होने के बावजूद भी उन्होंने कभी हिम्मत नहीं हारी. संजना 18 सालों से अपना जीवन व्हील चेयर पर काट रही हैं और दर्जनों महिलाओं को जीवन में स्वावलंबी बना चुकी हैं.
संजना गोयल मस्कुलर डिस्ट्राफी नामक बीमारी से ग्रसित हैं. इस बीमारी में मांसपेशियां कमजोर होने लगती हैं और समय पर उपचार न मिलने पर न केवल इससे पीड़ित व्यक्ति चलने में असमर्थ हो जाते हैं, बल्कि उनकी मौत भी हो जाती है.
इस बीमारी ने संजना गोयल की टांगों को इतना कमजोर कर दिया है कि वो चल नहीं पाती हैं, लेकिन इसके बावजूद भी उन्होंने कभी हार नहीं मानी.
संजना गोयल ने बताया कि कुछ करने की सोच हो तो कुछ भी किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि कई बार वे अपने जीवन से हारी, लेकिन मुश्किलों का सामना करते हुए वो आगे बढ़ती रही.
संजना ने बताया कि मस्कुलर डिस्ट्रॉफी बीमारी की वजह से वो कही भी आ-जा नही सकती थी, जिससे उनको भारी परेशानी का सामना करना पड़ता था. कई बार वो स्कूल की सीढ़ियों में गिर जाती थी, लेकिन उठी और फिर चली.
आत्मविश्वास हो तो हर बीमारी से जीत सकता है इंसान
संजना गोयल ने कहा कि आत्मविश्वास के बिना व्यक्ति कुछ भी नहीं है. आत्मविश्वास ना हो तो व्यक्ति जीवन भर अधूरा रहता है. उन्होंने कहा कि मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के लिए कोई इलाज नहीं है, लेकिन आत्मविश्वास इस बीमारी का सबसे बड़ा इलाज है.
संजना गोयल ने कहा कि यहां आने वाला हर एक व्यक्ति आत्मविश्वास से जीना सीखता है जो की सबसे बड़ी दवा है. उन्होंने कहा कि हम मानव मंदिर मस्कुलर डिस्ट्रॉफी सेंटर में फिजियोथैरेपी हाइड्रोथेरेपी दिल्ली काउंसलिंग जैसी एक्सरसाइज करवाई जाती है, जिसमें मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से पीड़ित बच्चों और बड़ों को जीवन जीने के लिए प्रेरित किया जाता है.
अभी भी बहुत कुछ करने की जरूरत: संजना गोयल
संजना गोयल ने कहा कि मस्कुलर डिस्ट्रॉफी सेंटर सोलन मानव मंदिर को प्रदेश सरकार की तरफ से हर तरह का सहयोग मिलता है और उसे हेल्थ विभाग में भी लिया गया है. उन्होंने कहा कि जो इंसान 30 फीसदी डिस्ट्रॉफी से पीड़ित है, वो आने वाले समय में ज्यादा पीड़ित होता रहेगा. इसलिए सरकार को ध्यान देने की जरूरत है.
उन्होंने कहा कि सरकार जितनी भी पॉलिसी बनाएं उसमें मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से पीड़ित लोगों का खास ध्यान रखा जाए, ताकि वो भी समाज के साथ आगे बढ़ पाए.
संजना गोयल ने बीएससी होम साइंस और फैशन डिजाइनिंग में पीजी डिप्लोमा किया है और आज वो सोलन में अपना जाना माना बुटीक चला रही हैं. साथ-साथ इंडियन ऐसोसिएशन ऑफ मस्कुलर डिस्ट्राफी संस्था का कार्यभार भी देख रही हैं.
संजना बच्चों को निशुल्क दवाइयां और चिकित्सक सेवाएं दे रही हैं और डिस्ट्राफी से प्रभावित बच्चों के परिजनों को जागरूक कर रही हैं.
नेशनल अवॉर्ड भी जीत चुकी हैं संजना
संजना को 2004 में नेशनल अवॉर्ड, 2011 में राज्य स्तरीय अवॉर्ड, 2008 में आईबीएन 7 एचीवमेंटस अवॉर्ड और 2014 में अंतर राष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर राज्य स्तरीय अवॉर्ड से नवाजा जा चुका है.
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