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Womens Day Special: 18 साल से व्हील चेयर पर बैठीं संजना लोगों के लिए बनीं मिसाल

मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है. ये पक्तियां बेशक हरिवंश राय बच्चन जी की है, लेकिन ये पक्तियां हिमाचल प्रदेश के मशरुम सिटी में रहने वाली दिव्यांग संजना गोयल जो 18 सालों से अपना जीवन व्हील चेयर पर काट रही हैं उन पर सटीक बैठती हैं.

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Published : Mar 3, 2020, 9:20 PM IST

Special story on sanjana goyal
डिजाइन फोटो

सोलन: हिमाचल की महिलाओं के लिए संजना गोयल आज मिसाल बन गई हैं. अक्षम होने के बावजूद भी उन्होंने कभी हिम्मत नहीं हारी. संजना 18 सालों से अपना जीवन व्हील चेयर पर काट रही हैं और दर्जनों महिलाओं को जीवन में स्वावलंबी बना चुकी हैं.

संजना गोयल मस्कुलर डिस्ट्राफी नामक बीमारी से ग्रसित हैं. इस बीमारी में मांसपेशियां कमजोर होने लगती हैं और समय पर उपचार न मिलने पर न केवल इससे पीड़ित व्यक्ति चलने में असमर्थ हो जाते हैं, बल्कि उनकी मौत भी हो जाती है.

वीडियो.

इस बीमारी ने संजना गोयल की टांगों को इतना कमजोर कर दिया है कि वो चल नहीं पाती हैं, लेकिन इसके बावजूद भी उन्होंने कभी हार नहीं मानी.

संजना गोयल ने बताया कि कुछ करने की सोच हो तो कुछ भी किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि कई बार वे अपने जीवन से हारी, लेकिन मुश्किलों का सामना करते हुए वो आगे बढ़ती रही.

Special story on sanjana goyal
बच्चों के साथ संजना गोयल

संजना ने बताया कि मस्कुलर डिस्ट्रॉफी बीमारी की वजह से वो कही भी आ-जा नही सकती थी, जिससे उनको भारी परेशानी का सामना करना पड़ता था. कई बार वो स्कूल की सीढ़ियों में गिर जाती थी, लेकिन उठी और फिर चली.

आत्मविश्वास हो तो हर बीमारी से जीत सकता है इंसान

संजना गोयल ने कहा कि आत्मविश्वास के बिना व्यक्ति कुछ भी नहीं है. आत्मविश्वास ना हो तो व्यक्ति जीवन भर अधूरा रहता है. उन्होंने कहा कि मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के लिए कोई इलाज नहीं है, लेकिन आत्मविश्वास इस बीमारी का सबसे बड़ा इलाज है.

Special story on sanjana goyal
मस्कुलर डिस्ट्राफी की थेरेपी देते लोग

संजना गोयल ने कहा कि यहां आने वाला हर एक व्यक्ति आत्मविश्वास से जीना सीखता है जो की सबसे बड़ी दवा है. उन्होंने कहा कि हम मानव मंदिर मस्कुलर डिस्ट्रॉफी सेंटर में फिजियोथैरेपी हाइड्रोथेरेपी दिल्ली काउंसलिंग जैसी एक्सरसाइज करवाई जाती है, जिसमें मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से पीड़ित बच्चों और बड़ों को जीवन जीने के लिए प्रेरित किया जाता है.

Special story on sanjana goyal
मस्कुलर डिस्ट्रॉफी सेंटर सोलन

अभी भी बहुत कुछ करने की जरूरत: संजना गोयल

संजना गोयल ने कहा कि मस्कुलर डिस्ट्रॉफी सेंटर सोलन मानव मंदिर को प्रदेश सरकार की तरफ से हर तरह का सहयोग मिलता है और उसे हेल्थ विभाग में भी लिया गया है. उन्होंने कहा कि जो इंसान 30 फीसदी डिस्ट्रॉफी से पीड़ित है, वो आने वाले समय में ज्यादा पीड़ित होता रहेगा. इसलिए सरकार को ध्यान देने की जरूरत है.

उन्होंने कहा कि सरकार जितनी भी पॉलिसी बनाएं उसमें मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से पीड़ित लोगों का खास ध्यान रखा जाए, ताकि वो भी समाज के साथ आगे बढ़ पाए.

Special story on sanjana goyal
संजना गोयल

संजना गोयल ने बीएससी होम साइंस और फैशन डिजाइनिंग में पीजी डिप्लोमा किया है और आज वो सोलन में अपना जाना माना बुटीक चला रही हैं. साथ-साथ इंडियन ऐसोसिएशन ऑफ मस्कुलर डिस्ट्राफी संस्था का कार्यभार भी देख रही हैं.

Special story on sanjana goyal
मस्कुलर डिस्ट्राफी से पीड़ित युवक

संजना बच्चों को निशुल्क दवाइयां और चिकित्सक सेवाएं दे रही हैं और डिस्ट्राफी से प्रभावित बच्चों के परिजनों को जागरूक कर रही हैं.

नेशनल अवॉर्ड भी जीत चुकी हैं संजना

संजना को 2004 में नेशनल अवॉर्ड, 2011 में राज्य स्तरीय अवॉर्ड, 2008 में आईबीएन 7 एचीवमेंटस अवॉर्ड और 2014 में अंतर राष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर राज्य स्तरीय अवॉर्ड से नवाजा जा चुका है.

ये भी पढ़ेंः आईजीएमसी में कोरोना वायरस का संदिग्ध मरीज भर्ती, स्वास्थ्य विभाग में मचा हड़कंप

सोलन: हिमाचल की महिलाओं के लिए संजना गोयल आज मिसाल बन गई हैं. अक्षम होने के बावजूद भी उन्होंने कभी हिम्मत नहीं हारी. संजना 18 सालों से अपना जीवन व्हील चेयर पर काट रही हैं और दर्जनों महिलाओं को जीवन में स्वावलंबी बना चुकी हैं.

संजना गोयल मस्कुलर डिस्ट्राफी नामक बीमारी से ग्रसित हैं. इस बीमारी में मांसपेशियां कमजोर होने लगती हैं और समय पर उपचार न मिलने पर न केवल इससे पीड़ित व्यक्ति चलने में असमर्थ हो जाते हैं, बल्कि उनकी मौत भी हो जाती है.

वीडियो.

इस बीमारी ने संजना गोयल की टांगों को इतना कमजोर कर दिया है कि वो चल नहीं पाती हैं, लेकिन इसके बावजूद भी उन्होंने कभी हार नहीं मानी.

संजना गोयल ने बताया कि कुछ करने की सोच हो तो कुछ भी किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि कई बार वे अपने जीवन से हारी, लेकिन मुश्किलों का सामना करते हुए वो आगे बढ़ती रही.

Special story on sanjana goyal
बच्चों के साथ संजना गोयल

संजना ने बताया कि मस्कुलर डिस्ट्रॉफी बीमारी की वजह से वो कही भी आ-जा नही सकती थी, जिससे उनको भारी परेशानी का सामना करना पड़ता था. कई बार वो स्कूल की सीढ़ियों में गिर जाती थी, लेकिन उठी और फिर चली.

आत्मविश्वास हो तो हर बीमारी से जीत सकता है इंसान

संजना गोयल ने कहा कि आत्मविश्वास के बिना व्यक्ति कुछ भी नहीं है. आत्मविश्वास ना हो तो व्यक्ति जीवन भर अधूरा रहता है. उन्होंने कहा कि मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के लिए कोई इलाज नहीं है, लेकिन आत्मविश्वास इस बीमारी का सबसे बड़ा इलाज है.

Special story on sanjana goyal
मस्कुलर डिस्ट्राफी की थेरेपी देते लोग

संजना गोयल ने कहा कि यहां आने वाला हर एक व्यक्ति आत्मविश्वास से जीना सीखता है जो की सबसे बड़ी दवा है. उन्होंने कहा कि हम मानव मंदिर मस्कुलर डिस्ट्रॉफी सेंटर में फिजियोथैरेपी हाइड्रोथेरेपी दिल्ली काउंसलिंग जैसी एक्सरसाइज करवाई जाती है, जिसमें मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से पीड़ित बच्चों और बड़ों को जीवन जीने के लिए प्रेरित किया जाता है.

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मस्कुलर डिस्ट्रॉफी सेंटर सोलन

अभी भी बहुत कुछ करने की जरूरत: संजना गोयल

संजना गोयल ने कहा कि मस्कुलर डिस्ट्रॉफी सेंटर सोलन मानव मंदिर को प्रदेश सरकार की तरफ से हर तरह का सहयोग मिलता है और उसे हेल्थ विभाग में भी लिया गया है. उन्होंने कहा कि जो इंसान 30 फीसदी डिस्ट्रॉफी से पीड़ित है, वो आने वाले समय में ज्यादा पीड़ित होता रहेगा. इसलिए सरकार को ध्यान देने की जरूरत है.

उन्होंने कहा कि सरकार जितनी भी पॉलिसी बनाएं उसमें मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से पीड़ित लोगों का खास ध्यान रखा जाए, ताकि वो भी समाज के साथ आगे बढ़ पाए.

Special story on sanjana goyal
संजना गोयल

संजना गोयल ने बीएससी होम साइंस और फैशन डिजाइनिंग में पीजी डिप्लोमा किया है और आज वो सोलन में अपना जाना माना बुटीक चला रही हैं. साथ-साथ इंडियन ऐसोसिएशन ऑफ मस्कुलर डिस्ट्राफी संस्था का कार्यभार भी देख रही हैं.

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मस्कुलर डिस्ट्राफी से पीड़ित युवक

संजना बच्चों को निशुल्क दवाइयां और चिकित्सक सेवाएं दे रही हैं और डिस्ट्राफी से प्रभावित बच्चों के परिजनों को जागरूक कर रही हैं.

नेशनल अवॉर्ड भी जीत चुकी हैं संजना

संजना को 2004 में नेशनल अवॉर्ड, 2011 में राज्य स्तरीय अवॉर्ड, 2008 में आईबीएन 7 एचीवमेंटस अवॉर्ड और 2014 में अंतर राष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर राज्य स्तरीय अवॉर्ड से नवाजा जा चुका है.

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