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शूलिनी विश्वविद्यालय में विधिक संगोष्ठी, जानिए मंत्री सुरेश भारद्वाज ने क्या कहा - Shoolini University Solan

सोलन के शूलिनी विश्वविद्यालय में मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि भारत के संविधान में प्रत्येक नागरिक के लिए मौलिक अधिकार एवं मौलिक कर्तव्य निर्धारित किए गए और इनकी अनुपालना हम सभी का दायित्व है. वह संविधान दिवस के अवसर पर आयोजित प्रथम विधिक संगोष्ठी (Legal Seminar at Shoolini University)के विदाई सत्र को संबोधित कर रहे थे.

Shoolini University Solan
शूलिनी विश्वविद्यालय में विधिक संगोष्ठी
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Published : Dec 3, 2021, 6:23 PM IST

सोलन: शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि भारत के संविधान में प्रत्येक नागरिक के लिए मौलिक अधिकार एवं मौलिक कर्तव्य निर्धारित किए गए और इनकी अनुपालना हम सभी का दायित्व है. सुरेश भारद्वाज शूलिनी विश्वविद्यालय (Programs in Shoolini University Solan)द्वारा संविधान दिवस के अवसर पर आयोजित प्रथम विधिक संगोष्ठी (Legal Seminar at Shoolini University)के विदाई सत्र को संबोधित कर रहे थे. भारद्वाज ने कहा कि मौलिक अधिकार एवं मौलिक कर्तव्य सभी नागरिकों के लिए समान है. उन्होंने कहा कि हमें सदैव यह स्मरण रखना चाहिए कि अधिकार और कर्तव्य एक-दूसरे के पूरक है. इन दोनों के अनुपालना जहां भारत को एक उत्तरदायी राष्ट्र के रूप में स्थापित करती . वहीं, नागरिकों को सही मार्ग का अनुसरण करना भी सिखाती है.



विधि मंत्री ने कहा कि भारत जैसे विशाल देश में संविधान और विधिक नियमों की जानकारी प्रत्येक नागरिक के लिए आवश्यक है. उन्होंने विधि के छात्रों का आह्वान किया कि वे अपने परिवेश में लोगों को संविधान और विधि की जानकारी अवश्य प्रदान करें ,ताकि कोई भी नागरिक न्याय से वंचित न रहे. सुरेश भारद्वाज ने कहा कि भारत का संविधान विश्व का श्रेष्ठतम संविधान है. हमारे संविधान निर्माताओं ने संविधान की रचना करते समय यह सुनिश्चित कर लिया था कि संविधान को समय के साथ कैसे परिवर्तनशील रखा जाए. इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए संविधान संशोधन का प्रावधान किया गया. उन्होंने कहा कि संविधान के अनुरूप राज्य का कार्यभार चलाने के लिए विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका को विधि सम्मत अधिकार एवं कर्तव्य प्रदान किए गए.


शहरी विकास मंत्री ने कहा कि संविधान की जानकारी के लिए छात्रों को उनकी मातृभाषा में शिक्षा प्रदान किया जाना आवश्यक है. उन्होंने कहा कि वर्तमान में देश स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहा. यह अवसर हमें स्वाधीनता संग्राम में अपने प्राणों की आहूति देने वाले प्रत्येक जन को नमन करने का अवसर प्रदान करता है. उन्होंने कहा कि इस अवसर पर हमें यह भी निर्णय लेना होगा कि प्रत्येक नागरिक जहां अपने अधिकारों के प्रति जागरूक बनें वहीं,मौलिक कर्तव्यों के पालन से भी पीछे न हटे. उन्होंने कहा कि अधिकारों का सम्मान होना चाहिए.

सोलन: शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि भारत के संविधान में प्रत्येक नागरिक के लिए मौलिक अधिकार एवं मौलिक कर्तव्य निर्धारित किए गए और इनकी अनुपालना हम सभी का दायित्व है. सुरेश भारद्वाज शूलिनी विश्वविद्यालय (Programs in Shoolini University Solan)द्वारा संविधान दिवस के अवसर पर आयोजित प्रथम विधिक संगोष्ठी (Legal Seminar at Shoolini University)के विदाई सत्र को संबोधित कर रहे थे. भारद्वाज ने कहा कि मौलिक अधिकार एवं मौलिक कर्तव्य सभी नागरिकों के लिए समान है. उन्होंने कहा कि हमें सदैव यह स्मरण रखना चाहिए कि अधिकार और कर्तव्य एक-दूसरे के पूरक है. इन दोनों के अनुपालना जहां भारत को एक उत्तरदायी राष्ट्र के रूप में स्थापित करती . वहीं, नागरिकों को सही मार्ग का अनुसरण करना भी सिखाती है.



विधि मंत्री ने कहा कि भारत जैसे विशाल देश में संविधान और विधिक नियमों की जानकारी प्रत्येक नागरिक के लिए आवश्यक है. उन्होंने विधि के छात्रों का आह्वान किया कि वे अपने परिवेश में लोगों को संविधान और विधि की जानकारी अवश्य प्रदान करें ,ताकि कोई भी नागरिक न्याय से वंचित न रहे. सुरेश भारद्वाज ने कहा कि भारत का संविधान विश्व का श्रेष्ठतम संविधान है. हमारे संविधान निर्माताओं ने संविधान की रचना करते समय यह सुनिश्चित कर लिया था कि संविधान को समय के साथ कैसे परिवर्तनशील रखा जाए. इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए संविधान संशोधन का प्रावधान किया गया. उन्होंने कहा कि संविधान के अनुरूप राज्य का कार्यभार चलाने के लिए विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका को विधि सम्मत अधिकार एवं कर्तव्य प्रदान किए गए.


शहरी विकास मंत्री ने कहा कि संविधान की जानकारी के लिए छात्रों को उनकी मातृभाषा में शिक्षा प्रदान किया जाना आवश्यक है. उन्होंने कहा कि वर्तमान में देश स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहा. यह अवसर हमें स्वाधीनता संग्राम में अपने प्राणों की आहूति देने वाले प्रत्येक जन को नमन करने का अवसर प्रदान करता है. उन्होंने कहा कि इस अवसर पर हमें यह भी निर्णय लेना होगा कि प्रत्येक नागरिक जहां अपने अधिकारों के प्रति जागरूक बनें वहीं,मौलिक कर्तव्यों के पालन से भी पीछे न हटे. उन्होंने कहा कि अधिकारों का सम्मान होना चाहिए.

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