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Himachal Seat Scan: अर्की विधानसभा सीट पर ठाकुरों और ब्राह्मणों का दबदबा, जानिए यहां जातीय समीकरण कैसे बदलते हैं चुनावी नतीजे

हिमाचल विधानसभा चुनाव 2022 (Himachal Assembly Elections 2022) से पहले ETV भारत प्रदेश के सभी 68 विधानसभा क्षेत्रों के सूरत-ए-हाल से रू-ब-रू करवा रहा (himachal seat scan) है. हिमाचल सीट स्कैन में आज हम बात करने जा रहे हैं अर्की विधानसभा क्षेत्र (Arki Assembly Constituency) की. कुल 68 विधानसभा क्षेत्रों में ये 50वीं विधानसभा सीट है. अर्की विधानसभा सीट पर ठाकुरों और ब्रह्मणों का ही दबदबा रहा है. जातीय समीकरण यहां चुनावी नतीजे बदल देते हैं. आज हम जानेंगे अर्की विधानसभा सीट पर आखिर इस साल क्या है चुनावी समीकरण...

Arki assembly seat ground report
अर्की विधानसभा सीट की ग्राउंड रिपोर्ट.
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Published : Aug 8, 2022, 5:24 PM IST

सोलन/अर्की: हिमाचल प्रदेश में साल 2022 चुनावी साल है. ऐसे में सभी राजनीतिक दलों ने जनता के बीच जाकर जनसंपर्क करना भी शुरू कर दिया है. हालांकि इस साल किसकी जीत होगी किसकी हार होगी ये तो चुनावी नतीजे ही बताएंगे. हिमचल सीट स्कैन (Himachal Seat Scan) सीरीज के माध्यम से एक नजर सोलन जिले की अर्की विधानसभा क्षेत्र (Arki assembly seat ground report) पर डालते हैं.

68 विधानसभा क्षेत्रों में अर्की 50वीं विधानसभा सीट है, जहां आज तक 12 चुनावों में से 6 बार कांग्रेस 4 भाजपा एक बार जनता पार्टी और एक बार लोक राज पार्टी का दबदबा रहा है. अर्की विधानसभा सीट (Arki assembly seat) को कांग्रेस का गढ़ भी कहा जाता है. अर्की विधानसभा क्षेत्र में 71 पंचायतें और एक नगर पंचायत है यहां पर कुल मतदाताओं की संख्या 93,044 है जिसमें पुरुष मतदाता 47,055 और महिला मतदाता 45,989 हैं.

Arki assembly seat ground report
अर्की विधानसभा सीट की ग्राउंड रिपोर्ट.

अर्की विधानसभा सीट पर चुनावी जंग: अर्की विधानसभा सीट (Arki assembly seat) पर साल 1972 में हीरा सिंह पाल लोकराज पार्टी से यहां विधायक रहे. 1977 में जनता पार्टी के नगीन चन्द्र पाल विधायक बने. 1982 में फिर नगीन चन्द्र पाल अर्की के विधायक बने, लेकिन इस बार भाजपा की टिकट पर जीत हासिल की थी. साल 1985 में कांग्रेस के प्रत्याशी हीरा सिंह पाल ने अर्की की सीट पर जीत हासिल की. 1990 में फिर नगीन चन्द्र पाल ने भाजपा की टिकट पर यहां चुनाव जीता. उसके बाद अर्की विधानसभा सीट पर कांग्रेस ने 1993, 1998 और 2003 में अपनी हैट्रिक लगाई और यहां पर धर्मपाल ठाकुर लगातार तीन बार विधायक रहे. उसके बाद 2007 और 2012 में भाजपा के गोविंद शर्मा ने यहां पर दो बार चुनाव जीता. साल 2017 के विधानसभा चुनाव में गोविंद शर्मा का टिकट कटा और भाजपा ने नए चेहरे रत्न सिंह पाल को चुनावी मैदान में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पूर्व मुख्यमंत्री स्व. वीरभद्र सिंह के सामने उतारा, जिसमें भाजपा को हार का सामना करना पड़ा. वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री स्व. वीरभद्र सिंह के निधन के बाद 2021 में उपचुनाव हुआ, जिसमें कांग्रेस प्रत्याशी संजय अवस्थी ने जीत हासिल की.

Arki assembly seat ground report
2017 में अर्की विधानसभा सीट पर जीत का अंतर.

अर्की विधानसभा सीट पर जीत का अंतर: साल 1972 में अर्की में लोकराज पार्टी से चुनाव लड़ते हुए हीरा सिंह पाल ने निर्दलीय उम्मीदवार बाली राम ठाकुर को 610 वोटों से हराया था. साल 1977 में जनता पार्टी से चुनाव लड़ते हुए नगीन चन्द्र पाल ने सीपीआईएम के कामेश्वर को 8,317 वोटों से हराया था. साल 1985 में कांग्रेस के हीरा सिंह पाल ने भाजपा के नगीन चन्द्र पाल को 6,412 वोटों से हराया. साल 1990 में हुए चुनावों में भाजपा के नगीन चन्द्र पाल ने कांग्रेस के अमर चंद पाल को 10,998 वोटों से हराया. साल 1993, 1998 और 2003 में हुए चुनाव में कांग्रेस के धर्मपाल ठाकुर ने अपनी जीत की हैट्रिक लगाई. 1993 में उन्होंने भाजपा के नगीन चन्द्र पाल को 5,727 वोटों से हराया. 1998 में फिर एक बार उन्होंने भाजपा के नगीन चन्द्र पाल को 578 वोटों से हराया. 2003 में भाजपा ने टिकट में बदलाव करके गोविंद शर्मा को टिकट दिया, लेकिन 2003 में भी भाजपा को हार का सामना करना पड़ा और कांग्रेस के धर्मपाल ठाकुर ने भाजपा के गोविंद शर्मा को 1,043 वोटों से हराया.

Arki assembly seat ground report
अर्की विधानसभा सीट पर जीत का अंतर.

साल 2007 में हुए चुनाव में भाजपा ने जीत हासिल की. इस दौरान भाजपा के गोविंद शर्मा ने कांग्रेस के धर्मपाल ठाकुर को 6,687 वोटों से हराया. साल 2012 में फिर गोविंद शर्मा भाजपा की टिकट से जीते और उन्होंने इस बार कांग्रेस से चुनाव लड़ रहे संजय अवस्थी को 2075 वोटो से हराया. 2017 में भाजपा ने टिकट में बदलाव किया और पूर्व मुख्यमंत्री स्व. वीरभद्र सिंह के खिलाफ रत्न सिंह पाल को टिकट दी, लेकिन रत्न पाल को इस दौरान 6,051 वोटों के अंतर से हार का सामना करना पड़ा. 2021 में वीरभद्र सिंह के निधन के बाद इस सीट पर उपचुनाव हुआ, जिसमें कांग्रेस के संजय अवस्थी ने भाजपा के रत्न पाल को 3,219 वोटों से हराया.

ये रहते आए हैं चुनावी मुद्दे: अर्की के चुनावी मुद्दे विधानसभा क्षेत्र की अधिकांश जनता कृषि और बागवानी से जुड़ी हुई है. यहां कैश क्रॉप के रूप में टमाटर और फूलों की खेती की जाती है. इसके अलावा इस क्षेत्र में सब्जियों का भी अच्छा कारोबार किया जाता है. इसके अलावा महंगाई भी इन चुनावों में बड़ा मुद्दा (Arki Assembly Constituency Issues) बनकर सामने आ सकता है. पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दामों के साथ-साथ लोगों को महंगाई के कारण घर चलाना मुश्किल हो चुका है.

Arki Assembly Constituency Issues
अर्की विधानसभा क्षेत्र के अहम मुद्दे.

स्कूलों की हालत खस्ता, सड़क समस्या और बसों की कमी अहम मुद्दा: इसके अलावा विधानसभा क्षेत्र में स्कूलों की हालत खस्ता होने से लोग परेशान हैं. क्षेत्र के कई हिस्सों में सड़कों की स्थिति खराब है. ग्रामीण क्षेत्रों में बसों की कमी और फोन नेटवर्क की दिक्कत लोगों की बड़ी समस्याएं हैं. इस बार चुनावों में यह समस्या लोगों ने राजनीतिक दलों के सामने रखी भी है.

अर्की विधानसभा क्षेत्र में ठाकुरों व ब्रह्मणों का दबदबा: अनारक्षित सीट होने के कारण अर्की विधानसभा क्षेत्र में अब तक हुए चुनाव में ठाकुरों और ब्रह्मणों का ही दबदबा रहा है. वर्ष 1967 से लेकर 2021 तक हुए विधानसभा चुनाव में 10 बार ठाकुर विधायक बना, जबकि 3 बार ब्रह्मण नेता विधायक बना. इनमें तीन बार हीरा सिंह पाल, तीन बार नगीन चंद्र पाल, तीन बार धर्मपाल ठाकुर, दो बार गोविंद राम शर्मा, एक बार वीरभद्र सिंह और एक बार संजय अवस्थी अर्की से विधायक बने.

ब्रह्मण मतदाता सबसे अधिक: भाजपा और कांग्रेस ने हर बार ठाकुर और ब्रह्मण चेहरे पर दांव खेला है. हालांकि कांग्रेस ने 2007 के चुनाव में अलग वर्ग से संबंधित प्रत्याशी को तीन बार लगातार विधायक रहे धर्मपाल ठाकुर का टिकट काटकर चुनाव में उतारा था. उस चुनाव में भाजपा से प्रत्याशी ने जीत दर्ज की थी. वहीं, कांग्रेस से टिकट कटने के कारण धर्मपाल ठाकुर ने आजाद चुनाव लड़ा था और दूसरे स्थान पर रहे थे, जबकि कांग्रेस प्रत्याशी काफी पीछे रह गया था. जातीय समीकरण के हिसाब से अर्की विधानसभा क्षेत्र में ब्रह्मण मतदाता अधिक हैं.

पाल वंश का दबदबा: अर्की की राजनीति में डूमेहर क्षेत्र का अपना ही महत्व है. अब तक के चुनाव में इसी क्षेत्र से पाल वंश के नेता छह बार विधायक रहे. इनमें 1967 में हीरा सिंह पाल आजाद प्रत्याशी के तौर पर, उसके बाद 1972 में लोकराज पार्टी के टिकट पर व 1985 में कांग्रेस के टिकट पर विधायक बने. वहीं, नगीन चंद्र पाल 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर व उसके बाद 1982 व 1990 में भाजपा के टिकट पर विधायक बने. 1993 व 1998 के चुनाव में भी भाजपा से टिकट मिला, लेकिन वह कांग्रेस से चुनाव नहीं जीत पाए. वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने सिटिंग विधायक गोविंद राम शर्मा का टिकट काटकर रत्न सिंह पाल का दिया, लेकिन वह कांग्रेस प्रत्याशी वीरभद्र सिंह से चुनाव में हार गए. एक बार फिर रत्न पाल उपचुनाव में उतरे और संजय अवस्थी से हारे.

निर्दलीय लड़ूंगा चुनाव, जनता का मिल रहा जनसमर्थन: राजेन्द्र ठाकुर: भले ही अर्की कांग्रेस का गढ़ रहा हो, लेकिन इस बार कांग्रेस के किले में सेंध लगाने के लिए होली लॉज के करीबी रहे राजेंद्र ठाकुर उर्फ राजू निर्दलीय चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं. राजेन्द्र ने पूर्व मुख्यमंत्री स्व.वीरभद्र सिंह (Former Himachal Chief Minister Virbhadra Singh) के निधन के बाद कांग्रेस की टिकट पर उपचुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की थी, लेकिन उन्होंने टिकट न मिलने पर ब्लॉक कांग्रेस अर्की के साथ अपना इस्तीफा दे दिया था. उसके बाद रुठे हुए नेताओं को मनाने का दौर भी चला, लेकिन फिर भी बात नहीं बनी. वहीं, 2022 में होने वाले चुनाव में राजेंद्र ठाकुर अब निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुके हैं. राजेन्द्र ठाकुर का कहना है कि वे लगातार लोगों के बीच में हैं. अभी तक वे करीब 30 पंचायत में जनसम्पर्क अभियान कर चुके हैं. उनका कहना है कि उन्हें लोगों से खूब समर्थन मिल रहा है और वे इस बार चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं.

rajender thakur
पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह के साथ राजेंद्र ठाकुर. (फाइल फोटो)

कांग्रेस की है अर्की सीट: संजय अवस्थी: वहीं, अर्की के विधायक संजय अवस्थी (Arki MLA Sanjay Awasthi) का कहना है कि वे लगातार विधायक बनने के बाद जनसंपर्क अभियान कर रहे हैं और इस बार भी वे चुनाव लड़ने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं. उन्होंने कहा कि अर्की में 71 पंचायतें और एक नगर पंचायत है और वे सभी का दौरा कर चुके हैं. उन्होंने कहा कि बजट के एक समान हिसाब से सभी पंचायतों में वितरित किया जा रहा है और इस बार भी कांग्रेस विधानसभा सीट को जीतने वाली है.

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अर्की विधानसभा सीट पर चुनावी जंग.

हाई कमान से करेंगे टिकट पर विचार मंथन करने की बात: गोविंद राम शर्मा: वहीं, 2007 और 2012 में अर्की विधानसभा सीट भाजपा की झोली में डालने वाले गोविंद राम शर्मा पार्टी से तब नाराज हो गए थे जब 2017 और 2021 में हुए उपचुनाव में उनकी टिकट पर भाजपा ने विचार नहीं किया था. हालांकि उनकी नाराजगी का असर चुनावी नतीजे में भी देखने को मिला था. इस बार फिर गोविंद शर्मा चुनाव के लिए तैयार दिखाई दे रहे है. गोविंद शर्मा का कहना है कि यदि भाजपा को अर्की विधानसभा सीट जितनी है तो टिकट को लेकर जिताऊ उम्मीदवार पर विचार विमर्श करना होगा. उन्होंने कहा कि पार्टी के वरिष्ठ कार्यकर्ता हैं और अगर उन्हें मौका मिलता है तो वे चुनाव लड़ने के लिए पूरी तरह तैयार हैं.

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अर्की विधानसभा सीट पर चुनावी जंग.

पार्टी मौका दे तो लड़ूंगा चुनाव: रत्न सिंह पाल: वहीं, 2017 और 2021 में हुए उपचुनाव में भाजपा के प्रत्याशी रहे रत्न सिंह पाल का कहना है कि बे चुनाव लड़ने के लिए पूरी तरह तैयार हैं. वे जनता के बीच में जाकर लगातार उनकी समस्याओं को सुन रहे हैं. प्रदेश की जयराम सरकार के नेतृत्व में लगातार अर्की विधानसभा क्षेत्र विकास की ओर बढ़ रही है.

32 वर्षों से हूं भाजपा की निष्ठावान कार्यकर्ता: आशा परिहार: दो बार निर्दलीय जिला परिषद और एक बार नगर पंचायत अर्की का चुनाव लड़ चुकी भाजपा की वरिष्ठ नेत्री आशा परिहार ने भी इस बार भाजपा की टिकट ओर चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की है. 2017 और 2021 में हुए उपचुनाव में भी आशा परिहार ने भाजपा से टिकट मांगा था जिसको लेकर चुनावों में नाराजगी भी देखने को मिली थी, लेकिन एक बार फिर आशा परिहार चुनाव लड़ने के लिए तैयार दिख रही है. उन्होंने कहा कि वे 32 वर्षों से भाजपा की निष्ठावान कार्यकर्ता हैं. अगर भाजपा उनपर विश्वास जताती है तो निश्चित तौर पर वे अर्की विधानसभा सीट भाजपा को जितवाकर देंगी.

Arki assembly seat ground report
आशा परिहार.

ये भी पढ़ें: Himachal Seat Scan: कांग्रेस का गढ़ रहा है ठियोग विधानसभा क्षेत्र, जानिए इस साल यहां क्या हैं चुनावी समीकरण

बहरहाल अर्की की राजनीति आज तक कुछ भी रही हो, लेकिन इस बार भाजपा और कांग्रेस दोनों में ही भीतरघात देखने को मिलने वाला है. जहां एक तरफ कांग्रेस से नाराज राजेंद्र ठाकुर निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुके हैं. वहीं, दूसरी तरफ भाजपा भी पार्टी के अंदर चल रहे घमासान को लेकर सीट निकालने के लिए चिंतित हैं. वहीं, दूसरी तरफ देवभूमि जनहित पार्टी का ऐलान करने वाले रुमित सिंह ठाकुर भी इसी विधानसभा क्षेत्र से संबंध रखते हैं. बहरहाल चुनावी नतीजे (Himachal Assembly Elections 2022) क्या रहने वाले हैं ये तो समय बताएगा, लेकिन इस बार मुकाबला अर्की विधानसभा क्षेत्र में दिलचस्प रहने वाला है.

ये भी पढ़ें: Himachal Seat Scan: लाहौल स्पीति में बीजेपी-कांग्रेस और AAP के बीच दिलचस्प मुकाबला, जानिए क्या हैं चुनावी समीकरण

सोलन/अर्की: हिमाचल प्रदेश में साल 2022 चुनावी साल है. ऐसे में सभी राजनीतिक दलों ने जनता के बीच जाकर जनसंपर्क करना भी शुरू कर दिया है. हालांकि इस साल किसकी जीत होगी किसकी हार होगी ये तो चुनावी नतीजे ही बताएंगे. हिमचल सीट स्कैन (Himachal Seat Scan) सीरीज के माध्यम से एक नजर सोलन जिले की अर्की विधानसभा क्षेत्र (Arki assembly seat ground report) पर डालते हैं.

68 विधानसभा क्षेत्रों में अर्की 50वीं विधानसभा सीट है, जहां आज तक 12 चुनावों में से 6 बार कांग्रेस 4 भाजपा एक बार जनता पार्टी और एक बार लोक राज पार्टी का दबदबा रहा है. अर्की विधानसभा सीट (Arki assembly seat) को कांग्रेस का गढ़ भी कहा जाता है. अर्की विधानसभा क्षेत्र में 71 पंचायतें और एक नगर पंचायत है यहां पर कुल मतदाताओं की संख्या 93,044 है जिसमें पुरुष मतदाता 47,055 और महिला मतदाता 45,989 हैं.

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अर्की विधानसभा सीट की ग्राउंड रिपोर्ट.

अर्की विधानसभा सीट पर चुनावी जंग: अर्की विधानसभा सीट (Arki assembly seat) पर साल 1972 में हीरा सिंह पाल लोकराज पार्टी से यहां विधायक रहे. 1977 में जनता पार्टी के नगीन चन्द्र पाल विधायक बने. 1982 में फिर नगीन चन्द्र पाल अर्की के विधायक बने, लेकिन इस बार भाजपा की टिकट पर जीत हासिल की थी. साल 1985 में कांग्रेस के प्रत्याशी हीरा सिंह पाल ने अर्की की सीट पर जीत हासिल की. 1990 में फिर नगीन चन्द्र पाल ने भाजपा की टिकट पर यहां चुनाव जीता. उसके बाद अर्की विधानसभा सीट पर कांग्रेस ने 1993, 1998 और 2003 में अपनी हैट्रिक लगाई और यहां पर धर्मपाल ठाकुर लगातार तीन बार विधायक रहे. उसके बाद 2007 और 2012 में भाजपा के गोविंद शर्मा ने यहां पर दो बार चुनाव जीता. साल 2017 के विधानसभा चुनाव में गोविंद शर्मा का टिकट कटा और भाजपा ने नए चेहरे रत्न सिंह पाल को चुनावी मैदान में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पूर्व मुख्यमंत्री स्व. वीरभद्र सिंह के सामने उतारा, जिसमें भाजपा को हार का सामना करना पड़ा. वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री स्व. वीरभद्र सिंह के निधन के बाद 2021 में उपचुनाव हुआ, जिसमें कांग्रेस प्रत्याशी संजय अवस्थी ने जीत हासिल की.

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2017 में अर्की विधानसभा सीट पर जीत का अंतर.

अर्की विधानसभा सीट पर जीत का अंतर: साल 1972 में अर्की में लोकराज पार्टी से चुनाव लड़ते हुए हीरा सिंह पाल ने निर्दलीय उम्मीदवार बाली राम ठाकुर को 610 वोटों से हराया था. साल 1977 में जनता पार्टी से चुनाव लड़ते हुए नगीन चन्द्र पाल ने सीपीआईएम के कामेश्वर को 8,317 वोटों से हराया था. साल 1985 में कांग्रेस के हीरा सिंह पाल ने भाजपा के नगीन चन्द्र पाल को 6,412 वोटों से हराया. साल 1990 में हुए चुनावों में भाजपा के नगीन चन्द्र पाल ने कांग्रेस के अमर चंद पाल को 10,998 वोटों से हराया. साल 1993, 1998 और 2003 में हुए चुनाव में कांग्रेस के धर्मपाल ठाकुर ने अपनी जीत की हैट्रिक लगाई. 1993 में उन्होंने भाजपा के नगीन चन्द्र पाल को 5,727 वोटों से हराया. 1998 में फिर एक बार उन्होंने भाजपा के नगीन चन्द्र पाल को 578 वोटों से हराया. 2003 में भाजपा ने टिकट में बदलाव करके गोविंद शर्मा को टिकट दिया, लेकिन 2003 में भी भाजपा को हार का सामना करना पड़ा और कांग्रेस के धर्मपाल ठाकुर ने भाजपा के गोविंद शर्मा को 1,043 वोटों से हराया.

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अर्की विधानसभा सीट पर जीत का अंतर.

साल 2007 में हुए चुनाव में भाजपा ने जीत हासिल की. इस दौरान भाजपा के गोविंद शर्मा ने कांग्रेस के धर्मपाल ठाकुर को 6,687 वोटों से हराया. साल 2012 में फिर गोविंद शर्मा भाजपा की टिकट से जीते और उन्होंने इस बार कांग्रेस से चुनाव लड़ रहे संजय अवस्थी को 2075 वोटो से हराया. 2017 में भाजपा ने टिकट में बदलाव किया और पूर्व मुख्यमंत्री स्व. वीरभद्र सिंह के खिलाफ रत्न सिंह पाल को टिकट दी, लेकिन रत्न पाल को इस दौरान 6,051 वोटों के अंतर से हार का सामना करना पड़ा. 2021 में वीरभद्र सिंह के निधन के बाद इस सीट पर उपचुनाव हुआ, जिसमें कांग्रेस के संजय अवस्थी ने भाजपा के रत्न पाल को 3,219 वोटों से हराया.

ये रहते आए हैं चुनावी मुद्दे: अर्की के चुनावी मुद्दे विधानसभा क्षेत्र की अधिकांश जनता कृषि और बागवानी से जुड़ी हुई है. यहां कैश क्रॉप के रूप में टमाटर और फूलों की खेती की जाती है. इसके अलावा इस क्षेत्र में सब्जियों का भी अच्छा कारोबार किया जाता है. इसके अलावा महंगाई भी इन चुनावों में बड़ा मुद्दा (Arki Assembly Constituency Issues) बनकर सामने आ सकता है. पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दामों के साथ-साथ लोगों को महंगाई के कारण घर चलाना मुश्किल हो चुका है.

Arki Assembly Constituency Issues
अर्की विधानसभा क्षेत्र के अहम मुद्दे.

स्कूलों की हालत खस्ता, सड़क समस्या और बसों की कमी अहम मुद्दा: इसके अलावा विधानसभा क्षेत्र में स्कूलों की हालत खस्ता होने से लोग परेशान हैं. क्षेत्र के कई हिस्सों में सड़कों की स्थिति खराब है. ग्रामीण क्षेत्रों में बसों की कमी और फोन नेटवर्क की दिक्कत लोगों की बड़ी समस्याएं हैं. इस बार चुनावों में यह समस्या लोगों ने राजनीतिक दलों के सामने रखी भी है.

अर्की विधानसभा क्षेत्र में ठाकुरों व ब्रह्मणों का दबदबा: अनारक्षित सीट होने के कारण अर्की विधानसभा क्षेत्र में अब तक हुए चुनाव में ठाकुरों और ब्रह्मणों का ही दबदबा रहा है. वर्ष 1967 से लेकर 2021 तक हुए विधानसभा चुनाव में 10 बार ठाकुर विधायक बना, जबकि 3 बार ब्रह्मण नेता विधायक बना. इनमें तीन बार हीरा सिंह पाल, तीन बार नगीन चंद्र पाल, तीन बार धर्मपाल ठाकुर, दो बार गोविंद राम शर्मा, एक बार वीरभद्र सिंह और एक बार संजय अवस्थी अर्की से विधायक बने.

ब्रह्मण मतदाता सबसे अधिक: भाजपा और कांग्रेस ने हर बार ठाकुर और ब्रह्मण चेहरे पर दांव खेला है. हालांकि कांग्रेस ने 2007 के चुनाव में अलग वर्ग से संबंधित प्रत्याशी को तीन बार लगातार विधायक रहे धर्मपाल ठाकुर का टिकट काटकर चुनाव में उतारा था. उस चुनाव में भाजपा से प्रत्याशी ने जीत दर्ज की थी. वहीं, कांग्रेस से टिकट कटने के कारण धर्मपाल ठाकुर ने आजाद चुनाव लड़ा था और दूसरे स्थान पर रहे थे, जबकि कांग्रेस प्रत्याशी काफी पीछे रह गया था. जातीय समीकरण के हिसाब से अर्की विधानसभा क्षेत्र में ब्रह्मण मतदाता अधिक हैं.

पाल वंश का दबदबा: अर्की की राजनीति में डूमेहर क्षेत्र का अपना ही महत्व है. अब तक के चुनाव में इसी क्षेत्र से पाल वंश के नेता छह बार विधायक रहे. इनमें 1967 में हीरा सिंह पाल आजाद प्रत्याशी के तौर पर, उसके बाद 1972 में लोकराज पार्टी के टिकट पर व 1985 में कांग्रेस के टिकट पर विधायक बने. वहीं, नगीन चंद्र पाल 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर व उसके बाद 1982 व 1990 में भाजपा के टिकट पर विधायक बने. 1993 व 1998 के चुनाव में भी भाजपा से टिकट मिला, लेकिन वह कांग्रेस से चुनाव नहीं जीत पाए. वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने सिटिंग विधायक गोविंद राम शर्मा का टिकट काटकर रत्न सिंह पाल का दिया, लेकिन वह कांग्रेस प्रत्याशी वीरभद्र सिंह से चुनाव में हार गए. एक बार फिर रत्न पाल उपचुनाव में उतरे और संजय अवस्थी से हारे.

निर्दलीय लड़ूंगा चुनाव, जनता का मिल रहा जनसमर्थन: राजेन्द्र ठाकुर: भले ही अर्की कांग्रेस का गढ़ रहा हो, लेकिन इस बार कांग्रेस के किले में सेंध लगाने के लिए होली लॉज के करीबी रहे राजेंद्र ठाकुर उर्फ राजू निर्दलीय चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं. राजेन्द्र ने पूर्व मुख्यमंत्री स्व.वीरभद्र सिंह (Former Himachal Chief Minister Virbhadra Singh) के निधन के बाद कांग्रेस की टिकट पर उपचुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की थी, लेकिन उन्होंने टिकट न मिलने पर ब्लॉक कांग्रेस अर्की के साथ अपना इस्तीफा दे दिया था. उसके बाद रुठे हुए नेताओं को मनाने का दौर भी चला, लेकिन फिर भी बात नहीं बनी. वहीं, 2022 में होने वाले चुनाव में राजेंद्र ठाकुर अब निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुके हैं. राजेन्द्र ठाकुर का कहना है कि वे लगातार लोगों के बीच में हैं. अभी तक वे करीब 30 पंचायत में जनसम्पर्क अभियान कर चुके हैं. उनका कहना है कि उन्हें लोगों से खूब समर्थन मिल रहा है और वे इस बार चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं.

rajender thakur
पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह के साथ राजेंद्र ठाकुर. (फाइल फोटो)

कांग्रेस की है अर्की सीट: संजय अवस्थी: वहीं, अर्की के विधायक संजय अवस्थी (Arki MLA Sanjay Awasthi) का कहना है कि वे लगातार विधायक बनने के बाद जनसंपर्क अभियान कर रहे हैं और इस बार भी वे चुनाव लड़ने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं. उन्होंने कहा कि अर्की में 71 पंचायतें और एक नगर पंचायत है और वे सभी का दौरा कर चुके हैं. उन्होंने कहा कि बजट के एक समान हिसाब से सभी पंचायतों में वितरित किया जा रहा है और इस बार भी कांग्रेस विधानसभा सीट को जीतने वाली है.

Arki assembly seat ground report
अर्की विधानसभा सीट पर चुनावी जंग.

हाई कमान से करेंगे टिकट पर विचार मंथन करने की बात: गोविंद राम शर्मा: वहीं, 2007 और 2012 में अर्की विधानसभा सीट भाजपा की झोली में डालने वाले गोविंद राम शर्मा पार्टी से तब नाराज हो गए थे जब 2017 और 2021 में हुए उपचुनाव में उनकी टिकट पर भाजपा ने विचार नहीं किया था. हालांकि उनकी नाराजगी का असर चुनावी नतीजे में भी देखने को मिला था. इस बार फिर गोविंद शर्मा चुनाव के लिए तैयार दिखाई दे रहे है. गोविंद शर्मा का कहना है कि यदि भाजपा को अर्की विधानसभा सीट जितनी है तो टिकट को लेकर जिताऊ उम्मीदवार पर विचार विमर्श करना होगा. उन्होंने कहा कि पार्टी के वरिष्ठ कार्यकर्ता हैं और अगर उन्हें मौका मिलता है तो वे चुनाव लड़ने के लिए पूरी तरह तैयार हैं.

Arki assembly seat ground report
अर्की विधानसभा सीट पर चुनावी जंग.

पार्टी मौका दे तो लड़ूंगा चुनाव: रत्न सिंह पाल: वहीं, 2017 और 2021 में हुए उपचुनाव में भाजपा के प्रत्याशी रहे रत्न सिंह पाल का कहना है कि बे चुनाव लड़ने के लिए पूरी तरह तैयार हैं. वे जनता के बीच में जाकर लगातार उनकी समस्याओं को सुन रहे हैं. प्रदेश की जयराम सरकार के नेतृत्व में लगातार अर्की विधानसभा क्षेत्र विकास की ओर बढ़ रही है.

32 वर्षों से हूं भाजपा की निष्ठावान कार्यकर्ता: आशा परिहार: दो बार निर्दलीय जिला परिषद और एक बार नगर पंचायत अर्की का चुनाव लड़ चुकी भाजपा की वरिष्ठ नेत्री आशा परिहार ने भी इस बार भाजपा की टिकट ओर चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की है. 2017 और 2021 में हुए उपचुनाव में भी आशा परिहार ने भाजपा से टिकट मांगा था जिसको लेकर चुनावों में नाराजगी भी देखने को मिली थी, लेकिन एक बार फिर आशा परिहार चुनाव लड़ने के लिए तैयार दिख रही है. उन्होंने कहा कि वे 32 वर्षों से भाजपा की निष्ठावान कार्यकर्ता हैं. अगर भाजपा उनपर विश्वास जताती है तो निश्चित तौर पर वे अर्की विधानसभा सीट भाजपा को जितवाकर देंगी.

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आशा परिहार.

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बहरहाल अर्की की राजनीति आज तक कुछ भी रही हो, लेकिन इस बार भाजपा और कांग्रेस दोनों में ही भीतरघात देखने को मिलने वाला है. जहां एक तरफ कांग्रेस से नाराज राजेंद्र ठाकुर निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुके हैं. वहीं, दूसरी तरफ भाजपा भी पार्टी के अंदर चल रहे घमासान को लेकर सीट निकालने के लिए चिंतित हैं. वहीं, दूसरी तरफ देवभूमि जनहित पार्टी का ऐलान करने वाले रुमित सिंह ठाकुर भी इसी विधानसभा क्षेत्र से संबंध रखते हैं. बहरहाल चुनावी नतीजे (Himachal Assembly Elections 2022) क्या रहने वाले हैं ये तो समय बताएगा, लेकिन इस बार मुकाबला अर्की विधानसभा क्षेत्र में दिलचस्प रहने वाला है.

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