सोलन: हिमाचल में 50 कंपनियां ऐसी हैं, जिन्हें हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन दवाई बनाने के लिए लाइसेंस मिले हुए हैं. ये सभी लघु और मध्यम उद्योग कंपनियां हैं. इनमें जायडस कैडिला जैसी बड़ी कंपनियां भी हैं. जिनमें इस दवाई को बनाने की अच्छी व्यवस्था है और ये लोगों की डिमांड को पूरा कर सकते हैं.
ये बात राज्य दवा नियंत्रक नवनीत मारवाह ने कही. उन्होंने कहा कि हिमाचल में सिपला जैसी बड़ी कंपनियां भी इस दवाई का प्रोडेक्शन करती हैं. इन सभी छोटे-बड़े उद्योगों को मिलाकर ये कहा जा सकता है कि इनमें इस दवाई को बनाने की काफी कैपेसिटी है जो कि लोगों की मांग को पूरा कर सके.
फिलवक्त हिमाचल में 10 से 12 कंपनियां ही है, जो इस दवाई को बना रही है. हिमाचल सरकार ने इन सभी कंपनियों को दवाई बनाने की अनुमति दी है. कर्फ्यू के दौरान इन कंपनियों के कर्मचारी ऑफिस जा सकते हैं. इसके लिए सरकार ने कर्मचारियों को आने-जाने की भी छूट दी है.
सीएम ने गुरुवार को शिमला से वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से प्रमुख फार्मा कंपनियों के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत की है. इस दौरान सीएम ने इन कंपनियों की परेशानियों को जाना और तरीके सोचने की कोशिश की गई जिससे कि ये कंपनियां इन दवाईयों की प्रोडक्शन को और बढ़ा सके.
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