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कृषि कानूनों के खिलाफ किसान-मजदूर संघर्ष समिति ने किया चक्का जाम, मांगे ना मानने पर दिल्ली का करेंगे रुख - बद्दी में किसान मजदूर संघ

बद्दी में किसान मजदूर संघ की नालागढ़ इकाई ने चक्का जाम किया. इस दौरान नालागढ़ से कांग्रेस विधायक लखविंद्र सिंह राणा के अलावा अन्य सियासी दलों ने इस प्रदर्शन को अपना समर्थन दिया. किसान मजदूर संघर्ष समिति की नालागढ़ इकाई ने रोपड़- नालागढ़ मार्ग पर चौकीवाला में मंगलवार शाम चार बजे तक चक्का जाम किया.

Mazdoor Sangharsh Samiti protest
Mazdoor Sangharsh Samiti protest
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Published : Dec 8, 2020, 10:42 PM IST

नालागढ़/सोलनः कृषि कानूनों के विरोध में मंगलवार को भारत बंद को लेकर देशभर के कई किसान और मजदूर संगठन सड़क पर उतरे. कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों ने पिछले करीब 2 हफ्ते से दिल्ली की घेराबंदी की हुई है और इन्हीं किसानों की मांग पर मंगलवार को भारत बंद का बुलाया गया था जिसका समर्थन किसान और मजदूर संगठनों के अलावा कई सियासी दलों ने भी किया. बद्दी में भी किसान मजदूर संघ की नालागढ़ इकाई ने चक्का जाम किया. इस दौरान नालागढ़ से कांग्रेस विधायक लखविंद्र सिंह राणा के अलावा अन्य सियासी दलों ने इस प्रदर्शन को अपना समर्थन दिया.

किसान-मजदूरों का हल्ला बोल

किसान मजदूर संघर्ष समिति की नालागढ़ इकाई ने रोपड़- नालागढ़ मार्ग पर चौकीवाला में मंगलवार शाम चार बजे तक चक्का जाम किया. इस दौरान यातायात व्यवस्था को पुलिस प्रशासन ने दूसरे रास्तों पर डायवर्ट कर सुचारू रूप से चलाए रखा. संघर्ष समिति ने कहा कि केंद्र सरकार तानाशाही रवैये के साथ इन कानूनों को किसानों पर थोप रही है और वो इसका विरोध करते हैं.

वीडियो.

मांगे ना मानने पर दिल्ली की तैयारी

किसानों-मजदूर संघर्ष समिति ने कहा कि अगर किसानों की आवाज नहीं सुनी गई और सरकार किसानों की मांग नहीं मानती है तो हिमाचल के किसान भी दिल्ली का रुख करेंगे. साथ ही दिल्ली में धरने पर बैठे किसानों के लिए राशन की सप्लाई की जाएगी.

निशाने पर केंद्र सरकार

नालागढ़ से विधायक लखविंद्र सिंह राणा ने कहा कि जो कानून केंद्र ने बनाए है वो किसानो के खिलाफ है. एक ओर सरकार किसान को अन्नदाता कहती है और दूसरी ओर से उनकी कोई मांग पूरी नहीं कर रही है. बुधवार को अगर किसानों के पक्ष में फैसला नहीं होता तो यहां के किसान भी दिल्ली जाएंगे.

शिरोमणी अकाली दल के सदस्य दलजीत संह भिंडर ने कहा कि इस बिल के विरोध में पहले ही शिरोमणी अकाली दल पहले ही नाता तोड़ चुकी है। अकाली दल किसानों के समर्थन में है. यूपी, बिहार के किसानों को कभी भी अपनी फसल के सही दाम नहीं मिले. जिसके कारण वहां के किसान फैक्ट्रियों में काम करने को मजबूर हैं.

दभोटा के किसान सुरमुख सिंह ने कहा कि कृषि को लेकर केंद्र ने जो कानून बनाया है, समिति उसका विरोध करती है. केंद्र की तानाशाही से किसान पर यह बिल जबरन थोपा जा रहा है. सरकार बड़े उद्योगपतियों को फायदा देकर किसानों को उजाड़ना चाहती है. इस कानून की मदद से कॉरपोरेट घराने उनकी जमीन पर कब्जा कर लेंगे और किसानों की कोई सुनवाई नहीं होगी. अगर उनकी मांग पूरी नहीं हुई तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा और इसके लिए वो कुछ भी बलिदान देने को तैयार है

ये भी पढ़ें: किसान आंदोलन की आड़ में कई देश विरोधी ताकतें सक्रिय, बिल को लेकर पैदा किया जा रहा भ्रम: रणबीर सिंह

नालागढ़/सोलनः कृषि कानूनों के विरोध में मंगलवार को भारत बंद को लेकर देशभर के कई किसान और मजदूर संगठन सड़क पर उतरे. कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों ने पिछले करीब 2 हफ्ते से दिल्ली की घेराबंदी की हुई है और इन्हीं किसानों की मांग पर मंगलवार को भारत बंद का बुलाया गया था जिसका समर्थन किसान और मजदूर संगठनों के अलावा कई सियासी दलों ने भी किया. बद्दी में भी किसान मजदूर संघ की नालागढ़ इकाई ने चक्का जाम किया. इस दौरान नालागढ़ से कांग्रेस विधायक लखविंद्र सिंह राणा के अलावा अन्य सियासी दलों ने इस प्रदर्शन को अपना समर्थन दिया.

किसान-मजदूरों का हल्ला बोल

किसान मजदूर संघर्ष समिति की नालागढ़ इकाई ने रोपड़- नालागढ़ मार्ग पर चौकीवाला में मंगलवार शाम चार बजे तक चक्का जाम किया. इस दौरान यातायात व्यवस्था को पुलिस प्रशासन ने दूसरे रास्तों पर डायवर्ट कर सुचारू रूप से चलाए रखा. संघर्ष समिति ने कहा कि केंद्र सरकार तानाशाही रवैये के साथ इन कानूनों को किसानों पर थोप रही है और वो इसका विरोध करते हैं.

वीडियो.

मांगे ना मानने पर दिल्ली की तैयारी

किसानों-मजदूर संघर्ष समिति ने कहा कि अगर किसानों की आवाज नहीं सुनी गई और सरकार किसानों की मांग नहीं मानती है तो हिमाचल के किसान भी दिल्ली का रुख करेंगे. साथ ही दिल्ली में धरने पर बैठे किसानों के लिए राशन की सप्लाई की जाएगी.

निशाने पर केंद्र सरकार

नालागढ़ से विधायक लखविंद्र सिंह राणा ने कहा कि जो कानून केंद्र ने बनाए है वो किसानो के खिलाफ है. एक ओर सरकार किसान को अन्नदाता कहती है और दूसरी ओर से उनकी कोई मांग पूरी नहीं कर रही है. बुधवार को अगर किसानों के पक्ष में फैसला नहीं होता तो यहां के किसान भी दिल्ली जाएंगे.

शिरोमणी अकाली दल के सदस्य दलजीत संह भिंडर ने कहा कि इस बिल के विरोध में पहले ही शिरोमणी अकाली दल पहले ही नाता तोड़ चुकी है। अकाली दल किसानों के समर्थन में है. यूपी, बिहार के किसानों को कभी भी अपनी फसल के सही दाम नहीं मिले. जिसके कारण वहां के किसान फैक्ट्रियों में काम करने को मजबूर हैं.

दभोटा के किसान सुरमुख सिंह ने कहा कि कृषि को लेकर केंद्र ने जो कानून बनाया है, समिति उसका विरोध करती है. केंद्र की तानाशाही से किसान पर यह बिल जबरन थोपा जा रहा है. सरकार बड़े उद्योगपतियों को फायदा देकर किसानों को उजाड़ना चाहती है. इस कानून की मदद से कॉरपोरेट घराने उनकी जमीन पर कब्जा कर लेंगे और किसानों की कोई सुनवाई नहीं होगी. अगर उनकी मांग पूरी नहीं हुई तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा और इसके लिए वो कुछ भी बलिदान देने को तैयार है

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