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सोलन अस्पताल में एक्सरे मशीन ,लेकिन सीआर मशीन नहीं, कांग्रेस ने उठाया सवाल, जानें किसने लिखा विभाग को पत्र

सोलन अस्पताल में एक्सरे मशीन लगाई गई है. इस मशीन को चलाने के लिए सरकार ने ही कर्मचारी तैनात किए, लेकिन एक्सरे मशीन की फिल्म को डेवलप करने के लिए सीआर मशीन चाहिए होती ,जो स्वास्थ्य विभाग द्वारा नहीं लगाई गई, बल्कि उसे एक निजी कंपनी ने सराकर के आदेशों पर स्थापित किया गया. इस मशीन को भी सरकारी कर्मचारी ही चला (Congress raised question regarding X-ray machine in Solan)रहे है. इसको लेकर कांग्रेस ने भी सवाल उठाया है.

सरकार को लगाई 48 लाख की चपत
X-ray machine in Solan
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Published : Mar 17, 2022, 4:17 PM IST

सोलन: क्षेत्रीय अस्पताल में एक्सरे मशीन लगाई गई है. इस मशीन को चलाने के लिए सरकार ने ही कर्मचारी तैनात किए, लेकिन एक्सरे मशीन की फिल्म को डेवलप करने के लिए सीआर मशीन चाहिए होती ,जो स्वास्थ्य विभाग द्वारा नहीं लगाई गई, बल्कि उसे एक निजी कंपनी ने सराकर के आदेशों पर स्थापित किया गया. इस मशीन को भी सरकारी कर्मचारी ही चला (Congress raised question regarding X-ray machine in Solan)रहे. इस मशीन से एक्सरे जो एक्सरा आता उसे पुणे स्थित कंपनी को भेजा जाता है. जिस पर वहां से विशेषज्ञ अपनी रिपोर्ट देता है. इसमें और सीआर मशीन पर अस्पताल प्रशासन का लाखों का खर्च हो रहा. इसको लेकर एमएस सोलन ने इस प्रक्रिया से हो रहे नुकसान को लेकर सरकार को पत्र लिखा है.


एमओयू रद्द करने की मांग: सोलन अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट एसएल वर्मा ने बताया कि जब उन्हें जानकारी मिली कि अभी तक स्वास्थ्य विभाग द्वारा दो वर्षों में 48 लाख रुपए कंपनी को केवल सी आर मशीन स्थापित करने के लिए दिया जा चुका. सरकार को लाखों का नुकसान हो रहा है तो उन्होंने नई सी आर मशीन को खरीद लिया और उच्च अधिकारियों को वास्तविक स्थिति से अवगत करवा कर कमंपी से एमओयू रद्द करने का आग्रह किया ,ताकि वह अपनी सी आर मशीन स्थापित कर सरकार का पैसा बचा सकें. उन्होंने कहा कि वह अब सरकार की अनुमति का इंतज़ार कर रहे, जैसे ही उन्हें सरकार की अनुमति होगी वह अपनी सीआर मशीन स्थापित करेंगे.

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कांग्रेस ने उठाया सवाल: वहीं, इस मामले को लेकर कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता अमन सेठी ने प्रेसवार्ता के दौरान कहा कि क्षेत्रीय अस्पताल सोलन में लगी सीआर मशीन पर सरकार प्रतिमाह ढाई लाख रुपए निजी कंपनी को दे रही ,जिससे यह प्रतीत हो रहा है कि भाजपा सरकार प्राइवेट कंपनी की जेब भरने में लगी हुई है. उन्होंने कहा कि जब से भाजपा सरकार परदेश में तब से लेकर स्वास्थ्य विभाग पर उंगलियां उठ रही है. उन्होंने कहा कि अब तक सरकार 2 सालों में निजी कंपनी को 48 लाख दे चुकी, जिसकी पुष्टि एमएस सोलन खुद कर चुके. उन्होंने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर व स्वास्थ्य मंत्री राजीव सैजल से इस विषय को लेकर जांच करने की मांग की है.बता दें कि पुणे की कंपनी ने करीबन 20 लाख रुपए खर्च किए और अस्पताल प्रशासन को मशीन सौंप दी. जिसको चलाने वाले भी सरकारी कर्मचारी हैं. केवल रिपोर्टिंग ऑनलाइन पुणे से की जा रही है. जिस पर अस्पताल प्रशासन कंपनी को करीबन ढाई लाख रुपए प्रत्येक माह भुगतान कर रहा. अगर हिसाब लगाया जाए तो सरकार कंपनी को उसके निवेश पर प्रत्येक माह 10 प्रतिशत से अधिक भुगतान कर रही है. यह सिलसिला दो वर्षों से चल रहा है.

ये भी पढ़ें :होला मोहल्ला मेला को लेकर पांवटा साहिब प्रशासन ने कसी कमर , शहर को चार सेक्टरों में बांटा




सोलन: क्षेत्रीय अस्पताल में एक्सरे मशीन लगाई गई है. इस मशीन को चलाने के लिए सरकार ने ही कर्मचारी तैनात किए, लेकिन एक्सरे मशीन की फिल्म को डेवलप करने के लिए सीआर मशीन चाहिए होती ,जो स्वास्थ्य विभाग द्वारा नहीं लगाई गई, बल्कि उसे एक निजी कंपनी ने सराकर के आदेशों पर स्थापित किया गया. इस मशीन को भी सरकारी कर्मचारी ही चला (Congress raised question regarding X-ray machine in Solan)रहे. इस मशीन से एक्सरे जो एक्सरा आता उसे पुणे स्थित कंपनी को भेजा जाता है. जिस पर वहां से विशेषज्ञ अपनी रिपोर्ट देता है. इसमें और सीआर मशीन पर अस्पताल प्रशासन का लाखों का खर्च हो रहा. इसको लेकर एमएस सोलन ने इस प्रक्रिया से हो रहे नुकसान को लेकर सरकार को पत्र लिखा है.


एमओयू रद्द करने की मांग: सोलन अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट एसएल वर्मा ने बताया कि जब उन्हें जानकारी मिली कि अभी तक स्वास्थ्य विभाग द्वारा दो वर्षों में 48 लाख रुपए कंपनी को केवल सी आर मशीन स्थापित करने के लिए दिया जा चुका. सरकार को लाखों का नुकसान हो रहा है तो उन्होंने नई सी आर मशीन को खरीद लिया और उच्च अधिकारियों को वास्तविक स्थिति से अवगत करवा कर कमंपी से एमओयू रद्द करने का आग्रह किया ,ताकि वह अपनी सी आर मशीन स्थापित कर सरकार का पैसा बचा सकें. उन्होंने कहा कि वह अब सरकार की अनुमति का इंतज़ार कर रहे, जैसे ही उन्हें सरकार की अनुमति होगी वह अपनी सीआर मशीन स्थापित करेंगे.

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कांग्रेस ने उठाया सवाल: वहीं, इस मामले को लेकर कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता अमन सेठी ने प्रेसवार्ता के दौरान कहा कि क्षेत्रीय अस्पताल सोलन में लगी सीआर मशीन पर सरकार प्रतिमाह ढाई लाख रुपए निजी कंपनी को दे रही ,जिससे यह प्रतीत हो रहा है कि भाजपा सरकार प्राइवेट कंपनी की जेब भरने में लगी हुई है. उन्होंने कहा कि जब से भाजपा सरकार परदेश में तब से लेकर स्वास्थ्य विभाग पर उंगलियां उठ रही है. उन्होंने कहा कि अब तक सरकार 2 सालों में निजी कंपनी को 48 लाख दे चुकी, जिसकी पुष्टि एमएस सोलन खुद कर चुके. उन्होंने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर व स्वास्थ्य मंत्री राजीव सैजल से इस विषय को लेकर जांच करने की मांग की है.बता दें कि पुणे की कंपनी ने करीबन 20 लाख रुपए खर्च किए और अस्पताल प्रशासन को मशीन सौंप दी. जिसको चलाने वाले भी सरकारी कर्मचारी हैं. केवल रिपोर्टिंग ऑनलाइन पुणे से की जा रही है. जिस पर अस्पताल प्रशासन कंपनी को करीबन ढाई लाख रुपए प्रत्येक माह भुगतान कर रहा. अगर हिसाब लगाया जाए तो सरकार कंपनी को उसके निवेश पर प्रत्येक माह 10 प्रतिशत से अधिक भुगतान कर रही है. यह सिलसिला दो वर्षों से चल रहा है.

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