शिमला: हिमाचल निर्माता डॉ. यशवंत सिंह परमार के 116वें जन्मदिन पर राज्य अतिथि गृह पीटरहॉफ में आयोजित कार्यक्रम में अपेक्षाकृत कम लोगों की मौजूदगी से मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने नाराजगी व्यक्त की. मुख्यमंत्री ने कहा कि जिस भावना के साथ कार्यक्रम को विधानसभा सचिवालय से पीटरहॉफ शिफ्ट किया गया है. वह भावना आज इस कार्यक्रम में नहीं दिख रही है.
कार्यक्रम में संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर (YS Parmar Birth Anniversary) ने कहा कि डॉ. यशवंत सिंह परमार को हिमाचल निर्माता के रूप में जाना जाता है. उनके नेतृत्व में हिमाचल ने कई क्षेत्रों अभूतपूर्व उन्नति की है. मुख्यमंत्री जयराम ने कहा कि इस कार्यकम का आयोजन जब 2018 में विधानसभा के पुस्तकालय भवन के आयोजित हो रहा था तो कुछ पूर्व विधायकों को भी बैठने की जगह नहीं मिली. ऐसे में एक विचार आया कि इस कार्यक्रम का आयोजन बड़े स्तर पर किया जाना चाहिए. उसके बाद ही विधानसभा में पुष्पांजलि के बाद यह राज्य अतिथि गृह में इस कार्यक्रम का आयोजन शुरू किया गया.
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर (Chief Minister Jairam Thakur) ने हिमाचल निर्माण में डॉ. परमार के योगदान और प्रयासों का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि डॉ. परमार के मार्गदर्शन पर हिमाचल आगे बढ़ रहा है. सड़क निर्माण के क्षेत्र में हिमाचल तेजी से आगे बढ़ा है. मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान सरकार ने हिमाचल तब और हिमाचल अब को लेकर एक विशेष कार्यक्रम चला रही है. इसको लेकर प्रदर्शनी भी लगाई जा रही है. मुख्यमंत्री ने 1948 एक चित्र का जिक्र किया जिसमें घास की रस्सियों से बने एक पुल के सहारे लोग नदी पार कर रहे थे. उन्होंने कहा कि उस समय हिमाचल की साक्षरता दर 4 प्रतिशत थी और आज 87 है. उन्होंने कहा कि आज हिमाचल विकास के रास्ते पर आगे बढ़ा है इसका श्रेय हिमाचल के मेहनती लोगों को जाता है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि डॉ. परमार से एक विशेष (Yashwant Singh Parmar Jayanti) बात सीखने की है कि हमें अपनी पहाड़ी संस्कृति को नहीं भूलना चाहिए. अपनी भाषा और अपनी संस्कृति सदैव याद रखनी चाहिए. मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें अपनी पहाड़ी संस्कृति को शान से जीना चाहिए. मुख्यमंत्री ने कहा कि सदैव कोई नहीं रहेगा, लेकिन व्यक्ति का योगदान क्या रहा यह महत्वपूर्ण है और इसी बात को याद किया जाता है. मुख्यमंत्री ने ठाकुर कर्म सिंह को भी याद किया. उन्होंने कहा कि ठाकुर कर्म सिंह 4 बात वित्त मंत्री रहे. उन्होंने हमेशा राजनीति से ऊपर उठकर डॉ. परमार के साथ मिलकर काम किया और कई योजनाओं को पूरा किया. उन्होंने कहा कि प्रदेश हित में वर्तमान राजनीति और पक्ष-विपक्ष को इन नेताओं से सीखकर भूमिका निभानी चाहिए.
डॉ. यशवंत सिंह परमार के बारे में ज्यादा जानकारी: 4 अगस्त 1906 को डॉ. यशवंत सिंह परमार का जन्म हुआ. उन्होंने एलएलबी और पीएचडी की पढ़ाई की थी. बताया जाता है कि जब उन्होंने सीएम पद से इस्तीफा दिया तो शिमला से एचआरटीसी की बस में सवार होकर अपने घर चले गए थे. हिमाचल प्रदेश में धारा-118 इन्हीं की देन है.
ईमानदारी की मिसाल थे परमार: यशवंत सिंह परमार की ईमानदारी का इससे बड़ा प्रमाण और नहीं होगा कि अंतिम समय में भी उनके बैंक खाते में महज 563 रुपये 30 पैसे थे. मुख्यमंत्री बनने के बाद भी उन्होने कोई मकान नहीं बनवाया, ना ही कोई वाहन खरीदा. जब वह मुख्यमंत्री नहीं थे तो बस में सफर करते थे.
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