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सूबे की चारों सीट पर प्रत्याशी की जीत-हार तय करेगा यंगिस्तान, हर पांच मतदाताओं में एक युवा - शिमला

निर्वाचन विभाग के आंकड़ों के अनुसार, 18 से अधिक आयु वर्ग में अनुमानित जनसंख्या 52.91 लाख है जहां पंजीकृत मतदाता 50.9 लाख हैं. 1.94 लाख मतदाता अभी भी लापता हैं जोकि कुल मतदाताओं का  3.7 प्रतिशत है.

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Published : Mar 31, 2019, 12:09 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश में युवा मतदाता इस बार के लोकसभा चुनाव में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेने के लिए उत्साहित हैं. युवाओं में मतदान को लेकर खासा उत्साह नजर आ रहा है. सूबे में करीब 88,127 युवा पहली बार वोट डालेंगे. सूबे का यह यंगिस्तान चारों सीट पर प्रत्याशियों की जीत-हार में मुख्य भूमिका अदा करेगा.

प्रदेश के अतिरिक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी के मुताबिक युवा मतदाताओं को जोड़ने के लिए खास मुहिम चलायी जा रही है. 21 जनवरी तक 18-19 वर्ष की आयु वर्ग के कुल 88,127 मतदाताओं के नामांकन प्राप्त हुए हैं. जबकि 9.75 लाख मतदाता 20-29 वर्ष के वर्ग में है. यह कुल 50.97 लाख मतदाताओं का 20.9 फीसदी (10.64 लाख) है. इस हिसाब से हर पांच मतदाताओं में से एक की उम्र 30 वर्ष से कम है.

डीके रतन, अतिरिक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी हिमाचल प्रदेश (वीडियो)

निर्वाचन विभाग केआंकड़ों के अनुसार, 18 से अधिक आयु वर्ग में अनुमानित जनसंख्या 52.91 लाख है जहां पंजीकृत मतदाता 50.9 लाख हैं. 1.94 लाख मतदाता अभी भी लापता हैं जोकि कुल मतदाताओं का 3.7 प्रतिशत है.

हिमाचल प्रदेश में चार लोकसभा सीट हैं. इन मतदाताओं को आयु वर्ग में बांट कर देखा जाए तो...
आयु वर्ग मतदाता (लाख में)

  • 30-39 वर्ष 12.09
  • 40-49 वर्ष 11.13
  • 50 से कम 33.85
  • 50-59 वर्ष 8,11,917
  • 60-69 वर्ष 5,16,864
  • 70-79 वर्ष 2,67,638
  • 80 प्लस 1,15,194
  • 100 प्लस 1009 (हजार में)

वोटिंग प्रतिशत बढ़ाने के लिए किया जा रहा जागरूक
हिमाचल प्रदेश के अतिरिक्तमुख्य निर्वाचन अधिकारी (एसीईओ) डीके रतनने कहा कि वोटिंग प्रतिशत बढ़ाने और सूबे में लोगों को जागरूक करने के लिए 7681 चुनावी साक्षरता क्लब (ईएलसी) और चुनव पाठशाला का गठन किया गया है. कॉलेजों 1616 और विश्वविद्यालयों में 227 ईएलसी में स्थापित किए गए हैं. जो मतदाताओं को मतदाता पंजीकरण और चुनावी प्रक्रिया के बारे में शिक्षित करने के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे.

बेरोजगारी बन सकती है लोकसभा चुनाव का मुद्दा
आपको बता दें कि प्रदेश में बेरोजगारी का मुद्दा भी रहा है. सूबे में पढ़े लिखे युवाओं को रोजगार का सही अवसर नहीं मिल पा रहाहै. सरकार का दावा है कि युवाओं को रोजगार के लिए स्वावलंबन योजनाएं चलायी जा रही हैं. लेकिन ये योजनाएं जमीनी स्तर पर कारगर साबित नहीं हो रही हैं. इस बार के लोकसभा चुनाव में बेराेजगारी भी बड़ा मुद्दा बन सकती है.

शिमला: हिमाचल प्रदेश में युवा मतदाता इस बार के लोकसभा चुनाव में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेने के लिए उत्साहित हैं. युवाओं में मतदान को लेकर खासा उत्साह नजर आ रहा है. सूबे में करीब 88,127 युवा पहली बार वोट डालेंगे. सूबे का यह यंगिस्तान चारों सीट पर प्रत्याशियों की जीत-हार में मुख्य भूमिका अदा करेगा.

प्रदेश के अतिरिक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी के मुताबिक युवा मतदाताओं को जोड़ने के लिए खास मुहिम चलायी जा रही है. 21 जनवरी तक 18-19 वर्ष की आयु वर्ग के कुल 88,127 मतदाताओं के नामांकन प्राप्त हुए हैं. जबकि 9.75 लाख मतदाता 20-29 वर्ष के वर्ग में है. यह कुल 50.97 लाख मतदाताओं का 20.9 फीसदी (10.64 लाख) है. इस हिसाब से हर पांच मतदाताओं में से एक की उम्र 30 वर्ष से कम है.

डीके रतन, अतिरिक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी हिमाचल प्रदेश (वीडियो)

निर्वाचन विभाग केआंकड़ों के अनुसार, 18 से अधिक आयु वर्ग में अनुमानित जनसंख्या 52.91 लाख है जहां पंजीकृत मतदाता 50.9 लाख हैं. 1.94 लाख मतदाता अभी भी लापता हैं जोकि कुल मतदाताओं का 3.7 प्रतिशत है.

हिमाचल प्रदेश में चार लोकसभा सीट हैं. इन मतदाताओं को आयु वर्ग में बांट कर देखा जाए तो...
आयु वर्ग मतदाता (लाख में)

  • 30-39 वर्ष 12.09
  • 40-49 वर्ष 11.13
  • 50 से कम 33.85
  • 50-59 वर्ष 8,11,917
  • 60-69 वर्ष 5,16,864
  • 70-79 वर्ष 2,67,638
  • 80 प्लस 1,15,194
  • 100 प्लस 1009 (हजार में)

वोटिंग प्रतिशत बढ़ाने के लिए किया जा रहा जागरूक
हिमाचल प्रदेश के अतिरिक्तमुख्य निर्वाचन अधिकारी (एसीईओ) डीके रतनने कहा कि वोटिंग प्रतिशत बढ़ाने और सूबे में लोगों को जागरूक करने के लिए 7681 चुनावी साक्षरता क्लब (ईएलसी) और चुनव पाठशाला का गठन किया गया है. कॉलेजों 1616 और विश्वविद्यालयों में 227 ईएलसी में स्थापित किए गए हैं. जो मतदाताओं को मतदाता पंजीकरण और चुनावी प्रक्रिया के बारे में शिक्षित करने के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे.

बेरोजगारी बन सकती है लोकसभा चुनाव का मुद्दा
आपको बता दें कि प्रदेश में बेरोजगारी का मुद्दा भी रहा है. सूबे में पढ़े लिखे युवाओं को रोजगार का सही अवसर नहीं मिल पा रहाहै. सरकार का दावा है कि युवाओं को रोजगार के लिए स्वावलंबन योजनाएं चलायी जा रही हैं. लेकिन ये योजनाएं जमीनी स्तर पर कारगर साबित नहीं हो रही हैं. इस बार के लोकसभा चुनाव में बेराेजगारी भी बड़ा मुद्दा बन सकती है.

युवा मतदाता हिमाचल प्रदेश में आगामी लोकसभा चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं, क्योंकि हर पांच मतदाताओं में से एक 30 वर्ष से कम का है।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी हिमाचल प्रदेश द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, 21 जनवरी तक कुल 88,127 मतदाताओं ने 18-19 वर्ष की आयु वर्ग में नामांकन प्राप्त किया है, जबकि 9.75 लाख मतदाता 20-29 वर्ष के वर्ग में हैं।
यह कुल 50.97 लाख मतदाताओं का 20.9 प्रतिशत (10.64 लाख) है।
हिमाचल में चार लोकसभा सीटें हैं और यदि युवा मतदाताओं को चार सीटों में विभाजित किया जाता है, तो यह प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में 30 साल से कम के 2.66 लाख मतदाताओं के पास आता है।
युवा मतदाता कैसे तय करते हैं कि चुनाव में राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों के भाग्य का समय बताना है।
मतदाताओं की सबसे अधिक संख्या 30-39 वर्ष की श्रेणी में 12.09 लाख है, जो कि 23.7 प्रतिशत है, जो 11.13 लाख मतदाताओं (21.8 प्रतिशत) के साथ 40-49 वर्ष की श्रेणी में आते हैं।
लगभग 33.85 लाख मतदाताओं की संख्या 50 वर्ष से कम है, जो कुल मतदाताओं का 66.4 प्रतिशत है।
लगभग age,११, ९ १11 मतदाता ५० से ५ ९ वर्ष की आयु के बीच हैं, जबकि ६० से ६ ९ वर्ष के बीच ५,१६,67६४ और २,६38,६३ are की आयु 11० से 11 ९ वर्ष के बीच है।
सबसे कम मतदाता 80 प्लस की श्रेणी में हैं, जहां सिर्फ 1, 15,194 लोग हैं।
चुनाव आयोग ने 100 से ऊपर के 1, 009 मतदाताओं के रूप में नामांकन किया है।
निर्वाचन विभाग द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, 18 से अधिक आयु वर्ग में अनुमानित जनसंख्या 52.91 लाख है जहां पंजीकृत मतदाता 50.9 लाख हैं। इसका मतलब है, 1.94 लाख मतदाता अभी भी लापता हैं जो कि 3.7 प्रतिशत हैं।
मतदाताओं का नामांकन बढ़ाने के लिए मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) हिमाचल प्रदेश देवेश कुमार के अनुसार, राज्य में लोगों को जागरूक करने के लिए 7681 चुनावी साक्षरता क्लब (ईएलसी) और चुनव पाठशाला का गठन किया गया है।
उन्होंने कहा कि कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में स्कूलों (1616) और 227 ईएलसी में स्थापित ELCs भविष्य के मतदाताओं और पहली बार मतदाताओं को मतदाता पंजीकरण और चुनावी प्रक्रिया के बारे में शिक्षित करने के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
"इसके अलावा, 5818 चुनव पथशालाओं की पहचान मतदान केंद्र स्तर पर की गई है, जहां 14 से 17 वर्ष की आयु के स्कूलों और अन्य समुदाय के किशोरों, 18-19 वर्ष की आयु के मतदाताओं, युवा, मध्यम आयु वर्ग, वरिष्ठ के छात्रों को छोड़ दिया जाता है। नागरिकों, क्षेत्र में रहने वाले विकलांग लोगों को शामिल किया जाएगा और मताधिकार के उनके अधिकार के बारे में जागरूक किया जाएगा, ”कुमार ने कहा।
इसके अलावा, नए मतदाताओं को अनाथालय और वृद्धाश्रम में भी नामांकित किया जा रहा है।
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