रामपुर: दीपक प्रोजेक्ट वर्कर्स यूनियन संबंधित सीटू ने धामी, बसंतपुर, और नोगली से मनमाने तरीके से 6 मजदूरों को निकालने के विरोध में शुक्रवार को कमांडर ऑफिस ज्योरी दफ्तर के बाहर धरना प्रदर्शन किया. इस प्रदर्शन को संबोधित करते हुए सीटू राज्य उपाध्यक्ष बिहारी सेवगी ने कहा कि दीपक प्रोजेक्ट का प्रबंधन श्रम कानूनों का उल्लंघन कर रहा है.
देश के किसी भी श्रम कानूनों को लागू नहीं किया जा रहा है. मजदूरों को मनमाने तरीके से निकाला जा रहा है. उन्होंने ने कहा कि देश की सत्ता में रहने वाली किसी भी सरकार ने 1962 के बाद अभी तक कोई दीपक प्रोजेक्ट के सीपीएल मजदूरों के लिए कोई कानून नहीं बनाया है. यूनियन और प्रबंधन के मध्य 2019 को एक लिखित समझौता किया था जिसमें इन्होंने माना था कि मजदूरों को हर महीने की 7 तारीख से पहले वेतन दिया जाएगा जबकि मजदूरों को अभी भी 2-2 महीने तक वेतन नहीं मिल रहा है.
सीपीएल मजदूरों ने कहा कि प्रबंधन तानशाही पूर्ण फैसले ले रहा है. कई साल तक काम कर रहे मजदूरों को नौकरी से निकाला जा रहा है. अभी काम करने वाले मस्त राम, लवक राम, मान सिंह, हरीश कुमार को GREF / दीपक प्रोजेक्ट द्वारा पे (CPL) के रूप में नियुक्त किया गया था, जो धामी-शिमला, बसंतपुर और अवेरी पट्टी में जिला शिमला में काम कर रहे थे. 20 अक्टूबर, 2020 तक एक कैलेंडर वर्ष में न्यूनतम 240 दिनों के साथ 3 से 25 साल की निरंतर सेवा पूरी की थी.
प्रासंगिक समय पर वह 13 हजार रूपये की मासिक मजदूरी ले रहे थे. सेवा नियमों, प्राकृतिक नियमों किए पालन किए बिना और कानून के नियमित समय के पालन के बिना उन्हें सेवा से निकला गया. उन्होंने कहा कि कमांडर साहब मजदूरों को बाहर निकाल रहे हैं. 1962 के बाद चाहे कांग्रेस की सरकार हो या बीजेपी की सरकार हो दोनों ने सीपीएल में काम कर रहे मजदूरों के लिए कोई नीति नहीं बनाई है. सीटू की मांग है कि जिन भी लोगों को निकाला गया है उन्हें वापिस लिया जाए अन्यथा आने वाले समय में उग्र आंदोलन किया जाएगा.
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