शिमला: नगर निगम शिमला के चुनाव पार्टी चिन्ह पर हो या फिर बिना पार्टी चिन्ह के, इस पर सरकार फैसला नहीं ले पा रही है. यह अभी राज्य सरकार के विचाराधीन है. राज्य सरकार इस पर शीघ्र ही फैसला ले सकती है. राज्य सरकार ने इससे पहले सोलन, पालमपुर और मंडी तीनों नगर निगम के चुनाव पार्टी चिन्ह पर करवाए थे. इसके बाद से यह माना जा रहा था कि शिमला नगर निगम चुनाव (Shimla MC elections) इस बार पार्टी चिन्ह पर ही होंगे. इससे दोनों ही राजनीतिक दलों के लिए शिमला नगर निगम चुनाव सत्ता का सेमीफाइनल होगा.
चुनाव जीतने के बाद पार्षद दूसरे पार्टी में जाने से पहले कई बार सोचने को मजबूर होंगे. कांग्रेसी भी लगातार यही मांग कर रहे हैं कि शहर में नगर निगम के चुनाव को पार्टी चिन्ह पर हो. प्रदेश की जनता और शहर की जनता क्या चाहती है, इसकी पूरी स्थिति भी साफ होकर इन चुनावों से सामने आ जाएगी. शहर में चुनाव पार्टी चिन्ह पर आखिर क्यों नहीं करवाए जा रहे हैं. क्या चुनावों के बाद जो परेशानी पार्टी चिन्ह पर चुनाव करवाने के बाद आती है, इससे राजनीतिक दल डर रहे हैं या फिर पार्टी चिन्ह पर चुनाव न कराना किसी रणनीति का हिस्सा है.
पिछली बार भी पार्टी चिंतन नहीं हुए थे. 2017 में शहर में चुनाव पार्टी चिन्ह पर नहीं गए थे. इसके बाद जब नगर निगम के गठन की बात आई तो एक दूसरे को अपनी तरफ खींचने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ी. दोनों ही राजनीतिक दलों ने निगम में काबिज होने के लिए पूरा जोर लगाया. इसमें बाद में जीत भाजपा को मिली. वहीं, शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि नगर निगम के चुनाव पार्टी चिन्ह पर हो या फिर बिना पार्टी के चिन्ह पर. इस पर सरकार जल्द फैसला लेगी.