शिमलाः कर्फ्यू की मार झेल रहे प्रवासी मजदूर परिवारों के लिए उमंग फाउंडेशन उम्मीद की किरण बन कर उभरा है. शिमला शहर और आसपास के क्षेत्रों में अपने अभियान के पहले चार दिनों में फाउंडेशन ने कुल 219 परिवारों को राशन पहुंचाया. इससे करीब एक हजार व्यक्तियों को लाभ पहुंचा.
झारखंड के जनजातीय क्षेत्रों के मजदूर, लिली एवं नेल्सन, सलीम, फ़िलिप, डेंजाराम, सीता और सुरेश उराओं समेत 16 परिवार हीरानगर में बन रहे विशाल भवन के लिए मजदूरी करते हैं. लॉक डाउन होने के बाद काम बंद हो गया और राशन का संकट खड़ा हो गया.
अत्यंत खराब परिस्थितियों में जीवन यापन कर रहे ये परिवार इंतजार कर रहे थे कि कोई उनके लिए राहत सामग्री लेकर आएगा. उमंग फाउंडेशन की टीम ने शनिवार को उन्हें 10 दिन का राशन सौंपा और अगले सप्ताह फिर से मदद पहुंचाने का वादा भी किया.
जतोग क्षेत्र के कूड़ा बीनने वाले मंडू को चिंता थी कि अब उनके परिवार के सात सदस्यों का पेट कैसे भरेगा. यह सोचने वाला वह अकेला नहीं था, बल्कि आसपास के कई परिवार राशन की किल्लत होने से परेशान थे. उन्हें फाऊंडेशन के सदस्यों ने दिन के लिए राशन दिया. टूटीकंडी स्थित सुलभ शौचालयों में काम करने वाले पिंटोश, सुजू, नीलम और बबलू एवं उनके 15 अन्य साथियों इन दिनों मुश्किल दिनों का सामना कर रहे हैं.
अंतर्राज्यीय बस अड्डा सुना पड़ा है और इस कारण उनके पास राशन के साधन भी खत्म हो गए हैं, उन्हें भी उमंग की टीम ने राशन दिया.अपने अभियान के पहले 4 दिनों में संस्था ने लोअर खलीनी, समरहिल क्षेत्र के शिव बावड़ी और एमआई रूम, सांगटी, हरीनगर, चमरोग, टूटीकंडी, जतोग और आइएसबीटी आदि स्थानों पर कुल 219 परिवारों को राशन वितरित किया.
हर पैकेट में पांच किलो आटा, दो किलो चावल, एक किलो दाल, एक किलो आलू, एक किलो प्याज के अलावा तेल, चायपत्ती, चीनी, बिस्किट, साबुन और सैनिटरी नैपकिन भी दिए जा रहे हैं.उमंग फाउंडेशन के अध्यक्ष अजय श्रीवास्तव ने बताया कि इन सभी क्षेत्रों में स्थानीय लोगों की सहायता से यह सुनिश्चित किया गया कि राशन सिर्फ ऐसे पात्र व्यक्तियों को ही मिले जिन्होंने किसी और से राशन न लिया हो.