शिमला: अरुणाचल प्रदेश के कामेंग क्षेत्र में पेट्रोलिंग के दौरान हिमस्खलन (Avalanche in Kameng region) की चपेट में आने के बाद 6 फरवरी से लापता सेना के सात जवानों के शव मंगलवार को मिले. इनमें वीरभूमि हिमाचल के दो जवान भी शामिल हैं. रविवार को दुर्गम पहाड़ियों पर पेट्रोलिंग पर निकली जैक रिफ-19 की टीम हिमस्खलन के बाद लापता हो गई थी.
बेटे के जन्म में चार माह पहले घर आए थे राकेश- इन सात जवानों में कांगड़ा जिले के बैजनाथ विधानसभा की कंदराल पंचायत के महेशगढ़ निवासी राकेश कुमार शहीद हो गए हैं. राकेश अपनी माता पिता के इकलौते बेटे थे. सवा साल पहले राकेश के शादी हुई थी. बेटे के जन्म पर चार माह पहले ही राकेश घर आए थे. सात साल पहले राकेश सेना में भर्ती हुए थे. उनके पिता जिगरी राम भी सेना में रहकर देश की सेवा कर चुके हैं. बेटे की शहादत से घर और पूरे गांव में गम का माहौल है. बैजनाथ के एक छोटे से गांव से संबंध रखने वाले राकेश कपूर की शहादत पर स्थानीय विधायक मुल्ख राज प्रेमी व प्रशासन ने गहरा शोक व्यक्त किया है.
तीन साल पहले सेना में हुए थे भर्ती- बिलासपुर के घुमारवीं उपमंडल के सुऊ गांव के जवान अंकेश भारद्वाज भी इस बर्फीले तूफान की जद में आकर वीरगति को प्राप्त हो गए हैं. अंकेश (Himachal jawan Ankesh) का जन्म 6 सितंबर 2000 में हुआ था. तीन साल पहले ही अंकेश जैक-19 रायफल में भर्ती हुए थे. अगस्त 2021 में ही अंकेश 40 दिन की छुट्टी काटकर घर से ड्यूटी पर लौटे थे. उनके पिता पांचा राम भी बीएसएफ से रिटायर्ड हुए हैं. बेटे की मौत की खबर मिलते ही पूरे इलाके में मातम छा गया है. वहीं, मां के आंसू नहीं थम रहे हैं.
शहीद होने वाले जवानों की लिस्ट- बर्फीले तूफान की जद में आकर शहीद होने वालों में भारतीय सेना (पूर्वी कमान) के हवलदार जुगल किशोर, राइफलमैन अंकेश भारद्वाज, राइफलमैन राकेश कुमार, राइफलमैन अरुण कट्टल, राइफलमैन अक्षय पठानिया, राइफलमैन विशाल शर्मा और जीएनआर गुरबाज सिंह शामिल हैं.
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दुर्गम इलाके में हुई घटना- अरुणाचल प्रदेश के लोकसभा सांसद तपीर गाओ ने ईटीवी भारत को बताया कि यह घटना एक बहुत ही दुर्गम इलाके में हुई, जहां नियमित रूप से भारी हिमपात होता है. यह चुमी ग्यात्से पवित्र जलप्रपात से थोड़ा आगे है. यह तवांग से लगभग 100 किमी उत्तर पूर्व में और भारत-चीन के बीच बुमला सीमा मिलन बिंदु के बहुत पूर्व में है.
भारत-चीन के बीच तनावपूर्ण संबंध जिम्मेदार- लगभग 14500 फीट की उंचाई पर इन मौतों के लिए भारत और चीन के बीच तनावपूर्ण संबंधों को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है. तवांग से आगे चुमी ग्यात्से को आमतौर पर सर्दियों के महीनों में गश्त नहीं किया जाता था, जब भारी बर्फ और खराब मौसम लगभग खिंचाव को काट देता था. एक सूत्र के मुताबिक जवान सालुंग जालुंग इलाके के पास एक अग्रिम चौकी के थे. शुरुआत में गश्ती दल का सिर्फ एक JAK RIF जवान बर्फ में फंस गया था. उसे बचाने की कोशिश में छह अन्य भी बर्फ की तेज गति से ढहती दीवार की चपेट में आ गए.
दुर्गम हिमालयी क्षेत्र में हिमस्खलन त्रासदी- हाल के दिनों में 18 नवंबर 2019 को सियाचिन में हिमस्खलन में आठ जवानों की मौत हो गई थी. इससे पहले फरवरी 2016 में एक और त्रासदी हुई थी जब बर्फ ने 11 भारतीय सैनिकों की जान ले ली थी. सियाचिन से अरुणाचल प्रदेश तक अपने आधिकारिक कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए लगभग एक हजार भारतीय सैनिकों की जान चली गई है. हिमस्खलन के कारण अब तक की सबसे विनाशकारी त्रासदी 7 अप्रैल 2012 को हुई थी, जब सियाचिन के पास हिमस्खलन की चपेट में आने से लगभग 135 पाकिस्तानी सैनिक कई टन बर्फ के नीचे दबकर मारे गए थे.
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