शिमला: कोरोना काल के दौरान प्रदेश में टीबी के मरीज कम हुए हैं, इसका कारण कोई भी रहा हो लेकिन अस्पतालों में टीबी के मरीजों की संख्या घटी है. आईजीएमसी डॉट सेंटर में इस साल जनवरी से मार्च तक 250 नए मरीज रजिस्टर हुए हैं जबकि 2019 में कोरोना से पहले के आंकड़े जनवरी से मार्च तक 511 थे.
बता दें कि आईजीएमसी में प्रदेश भर (TB patients in Himachal Pradesh) से टेस्ट करवाने मरीज आते हैं. यहां पर प्रतिदिन 35 से 40 नए मरीजों की जांच की जाती है जिसमें से 5 से 6 मरीज प्रतिदिन टीबी के सामने आ रहे हैं. जिला शिमला में 750 मरीजों का इलाज अभी चल रहा है.
6 से 9 महीने तक चलता है इलाज- टीबी के मरीजों का इलाज सरकार द्वारा निशुल्क किया जाता है. मतलब जो भी मरीज अस्पताल से टीबी का इलाज करा रहा है, उसका पूरा इलाज निशुल्क होगा. इस सम्बंध में आईजीएमसी में चेस्ट वार्ड के एचओडी डॉ. माल्या सरकार (HOD Dr. Mallya Sarkar) ने बताया कि टीबी के मरीजों का इलाज बेहतर तरीके से किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि कोरोना काल में कम मरीज सामने आए हैं. अभी अस्प्ताल में टीबी के 2 मरीज दाखिल हैं. टीबी कई तरह के हैं. ऑर्थो में यानी हड्डियों भी टीबी पाया जाने लगा है. लेकिन अभी यहां बलगम वाले टीबी यानी चेस्ट में टीबी का इलाज किया जाता है.
रिज मैदान पर कार्यक्रम का आयोजन- विश्व टीबी दिवस के अवसर पर Invest to end of TB and save life. की थीम पर अकाल नर्सिंग कॉलेज के (Akal Nursing College) विद्यार्थियों द्वारा ऐतिहासिक रिज मैदान पर लोगों को टीबी की बीमारी के प्रति जागरूक किया गया और नाटक के माध्यम से व पोस्टर के माध्यम से संदेश दिया.
इस कार्यक्रम में विद्यार्थियों द्वारा पोस्टर, स्लोगन और नाटक के माध्यम से लोगों को टीबी की बीमारी के लक्षण के बारे में भी जानकारी दी गई. अकाल नर्सिंग कॉलेज की अध्यापिका ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि लोगों को जागरुक करने के लिए हेल्थ एजुकेशन चार्ट बांटे गए वहीं, नुक्कड़ नाटक के माध्यम से लोगों को समझाने का प्रयास किया गया की किस तरीके से धूम्रपान या शराब के सेवन से टीबी की बीमारी हो सकती है. इसके अलावा टीबी के लक्षण और उपचार के बारे में भी जानकारी दी गयी.
ये भी पढ़ें : World TB Day: टीबी मरीजों को 'बीडाक्विलीन' देगी दर्द रहित इलाज, इंजेक्शन की पीड़ा से मिलेगी मुक्ति