शिमला: साल 2021 में जब पूरा विश्व कोरोना महामारी की चपेट में था, इस दौरान हिमाचल की राजनीति में कई उतार-चढ़ाव रहे. प्रदेश के बाशिंदों के दिलों में राज करने वाले राजा साहब यानी वीरभद्र सिंह का दुनिया को अलविदा कहना सबको रुला गया. वहीं, दूसरी ओर वैश्विक महामारी कोरोना के दौरान हिमाचल प्रदेश में सत्ताधारी भाजपा को कठिन समय से गुजरना पड़ा. इन सबके बीच ये साल जाते-जाते कांग्रेस को 'संजीवनी' दे गया. साल 2021 अपने अंतिम चरण में है, लेकिन इससे पहले कि हम 2021 को अलविदा कहें, आइए एक नजर डालते हैं, पिछले एक साल में हुई राजनीतिक, घटनाओं पर.
हिमाचल ने खोए 'राजनीति के राजा': साल 2021 हिमाचल प्रदेश की राजनीति के लिए के लिए खाफी दुख भर रहा. हिमाचल की राजनीति में अपना रंग बिखेर चुके चार बड़े नेताओं ने हिमाचल की राजनीति को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया. हिमाचल में राजनीति का बड़ा नाम और छह बार हिमाचल के मुख्यमंत्री रहे राजा वीरभद्र सिंह का 8 जुलाई को 87 साल (Virbhadra Singh Death) की उम्र में निधन हो गया. इसके अलावा हिमाचल प्रदेश के पूर्व मंत्री और कांगड़ा के फतेहपुर से कांग्रेस के विधायक सुजान सिंह पठानिया का (Sujan Singh Pathania Death) भी 78 वर्ष की उम्र में 12 फरवरी 2021 को निधन हो गया.
वहीं, हिमाचल प्रदेश के मंडी संसदीय क्षेत्र से भाजपा सांसद रामस्वरूप शर्मा का भी 17 मार्च 2021 को देहांत हो गया. रामस्वरूप शर्मा की (Death of Ramswaroop Sharma) मौत संदिग्ध अवस्था में दिल्ली में हुई थी. रामस्वरूप शर्मा का शव नॉर्थ एवेन्यू स्थित उनके फ्लैट से मिला था. जबकि हिमाचल के एक और बड़े नेता नरेंद्र बरागटा (Death of Narendra Bragta) का भी कोरोना से 68 साल वर्ष की उम्र में 5 जून को निधन हो गया था.
उपचुनाव में भाजपा की करारी हार, कांग्रेस ने 4-0 से मारी बाजी: हिमाचल प्रदेश में चार नेताओं के निधन पर हुए उपचुनाव में (Himachal by elections 2021) भाजपा को तगड़ा झटका लगा और कांग्रेस ने अपनी जीत की दीपावली भी मनाई. बड़ा उलटफेर करते हुए कांग्रेस ने मंडी संसदीय सीट समेत अर्की, जुब्बल-कोटखाई और फतेहपुर विधानसभा सीटों पर जीत का चौका लगाया, जबकि पहली बार इतने बड़े उपचुनाव में सत्ता में रहते हुए भाजपा चारों सीटें हार गई. जुब्बल-कोटखाई में तो भाजपा प्रत्याशी नीलम सरैईक जमानत तक नहीं बचा पाई. मंडी लोकसभा सीट से प्रतिभा, अर्की विधानसभा सीट से संजय अवस्थी, फतेहपुर विधानसभा सीट से भवानी सिंह और जुब्बल-कोटखाई विधानसभा सीट से रोहित ने जीत हासिल की.
बजट सत्र के दौरान राज्यपाल के साथ हुई थी धक्कामुक्की: साल 2021 में बजट सत्र के दौरान बेहद चिंताजनक तस्वीरें भी सामने आईं थीं. जब तत्कालीन राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय के साथ सत्र के दौरान अभद्रता की गई थी. सभी मर्यादाओं को तार-तार (Scuffle with governor during budget session) करते हुए कांग्रेस विधायकों ने राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय के साथ (Himachal Former Governor Bandaru Dattatreya) धक्कामुक्की की थी. वहीं, इस अभद्रता के लिए कांग्रेस विधायक मुकेश अग्निहोत्री, हर्षवर्धन चौहान, सुंदर सिंह ठाकुर, सतपाल रायजादा और विनय कुमार को विधानसभा से निलंबित कर दिया गया था. हालांकि बाद में निलंबन वापस लिया गया.
नगर निकाय चुनाव ने भी बढ़ाई थी भाजपा की मुश्किलें: कांग्रेस पार्टी ने इस साल हुए नगर निकाय चुनाव (Municipal elections in Himachal 2021) में भाजपा के मुश्किलें भी बढ़ाई. हिमाचल प्रदेश के चार नगर निगमों सोलन, पालमपुर, मंडी और धर्मशाला में हुए चुनावों में नतीजा फिफ्टी-फिफ्टी और दोनों पार्टियों ने दो-दो सीटों पर कब्जा जमाया. जहां एक ओर कांग्रेस ने 17 सीटों वाली नगर निगम सोलन और 15 सीटों वाली पालमपुर नगर निगम में बाजी मारी. वहीं, भाजपा ने भी 15 सीटों वाली मंडी नमर निमग और 17 सीटों वाली धर्मशाला नगर निगम में जीत का परचम लहराया.
भाजपा विधायक पर लगे थे पत्नी से मार पीट के आरोप: हिमाचल प्रदेश की राजनीति में इस साल एक और घटना देखने को मिली. जहां धर्मशाला के विधायक विशाल नेहरिया पर उनकी पत्नी ने शारीरिक उत्पीड़न के आरोप लगाए. उनकी पत्नी एक एचएएस (Vishal Nehria family controversy) अधिकारी हैं. विशाल नेहरिया की पत्नी ने बकायदा इस पर एक वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर डाला. वीडियो में उन्होंने आरोप लगाए थे कि उनके पति उनके साथ मारपीट करते हैं. बाद में इस मामले ने काफी तूल पकड़ा था और विपक्ष ने भी सरकार को घेर कर विशाल नेहरिया के इस्तीफे की मांग उठाई थी. वहीं, बाद में विशाल नेहरिया और उनकी पत्नी के बीच यह मामला सुलझ गया था और उन्होंने मीडिया के सामने माफी भी मांगी थी.
नरेंद्र बरागटा की मौत के बाद बागी हुए चेतन बरागटा: भाजपा के बड़े नेता और जुब्बल कोटखाई विधानसभा क्षेत्र से विधायक नरेंद्र बरागटा के निधन के बाद खाली हुई जुब्बल कोटखाई सीट पर उनके बेटे भाजपा से बागी हो गए. दरअसल पहले उनसे कहा (Chetan Bragta expelled from BJP) गया था कि उपचुनाव में टिकट उन्हें दिया जाएगा. हालांकि बाद में हाईकमान ने नीलम सरैईक के नाम पर मुहर लगाई थी. जिससे नाराज होकर चेतन बरागटा ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला लिया था. वहीं, पार्टी ने अधिकृत प्रत्याशी के विरुद्ध चुनाव लड़ने पर उन्हें और उनके समर्थकों को भाजपा से 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया था. हालांकि चेतन बरागटा उपचुनाव हार गए थे.
हिमाचल भाजपा ने पहली बार किसी दलित नेता को थमाई थी पार्टी की कमान: जुलाई 2020 में राजीव बिंदल के इस्तीफे के बाद खाली हुए प्रदेश भाजपा अध्यक्ष के पद ने खाफी सुर्खियां बटोरी, लेकिन नया प्रदेश अध्यक्ष चुनते हुए हिमाचल भाजपा ने पहली बार किसी दलित नेता को (Suresh kashyap became Himachal BJP president) पार्टी की कमान थमाई. शिमला संसदीय सीट से सांसद सुरेश कश्यप को राजीव बिंदल के बाद नया भाजपा प्रदेशाध्यक्ष बनाया गया. सुरेश कश्यप को जहां मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का करीबी माना जाता है, वहीं पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा से भी उनके अच्छे संबंध हैं, लेकिन सुरेश कश्यप की अगुवाई में पार्टी को इस साल उपचुनाव में करारी हार झेलनी पड़ी.
इस साल कई बार सत्ता परिवर्तन की अटकलें, लेकिन हाईकमान का भरोसा कायम: इस साल हिमाचल प्रदेश में कई बार सत्ता परिवर्तन की अटकलें लगीं. जहां पड़ोसी राज्य उत्तराखंड में मुख्यमंत्री बदले जाने के बाद हिमाचल में भी खतरे की घंटी बजी थी. वहीं, हिमाचल में तीन विधानसभा और लोकसभा की एक सीट पर उपचुनावों में भाजपा की हार के बाद लगातार सत्ता परिवर्तन की अटकलें लगी थी. हिमाचल के (CM Jairam thakur) मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर कई बार दिल्ली भी बुलाए गए, लेकिन भाजपा हाईकमान ने जयराम ठाकुर पर भरोसा कायम रखते हुए उनकी कुर्सी को बरकरार रखा.
बंडारू दत्तात्रेय के बाद राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर बने हिमाचल के राज्यपाल: इस साल हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल को भी बदला गया. राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने हिमाचल प्रदेश के 28वें राज्यपाल के तौर पर शपथ ली. बंडारू दत्तात्रेय को जहां हरियाणा का राज्यपाल (Rajendra Vishwanath Arlekar Himachal governer) बनाया गया था, वहीं 67 वर्षीय राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर को हिमाचल का नया राज्यपाल बनाया गया. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर की हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल के पद पर नियुक्ति के आदेश 6 जुलाई को जारी किए थे.
27 दिसंबर हिमाचल भाजपा के पूरे होंगे 4 साल: हिमाचल प्रदेश में भाजपा को सत्ता में आए इस महीने चार साल हो रहे हैं. हिमाचल में भाजपा ने जयराम ठाकुर के नेतृत्व में 27 दिसंबर 2017 को सरकार बनाई थी. इस दौरान जयराम सरकार (Four years of Jairam Government) ने कोविड का कठिन दौर भी देखा. वहीं, सरकार के चार साल पूरे होने के उपलक्ष पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी हिमाचल आ रहे हैं. इस अवसर पर मंडी के पड्डल मैदान (PM Modi Rally in Mandi) में एक विशाल रैली का भी आयोजन किया जाएगा. वहीं, इस रैली को विशाल बनाने के लिए भाजपा ने एक लाख कार्यकर्ताओं को इस रैली में लाने का लक्ष्य रखा है. पीएम मोदी इस दौरान 11,279 करोड़ की विकासात्मक परियोजना का शुभारंभ करेंगे.
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