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शिमला के चर्चित युग हत्याकांड में आठ साल बाद आज न्याय की घड़ी, हाईकोर्ट में होगी अंतिम सुनवाई - High court on Yug murder case

कहते हैं कुछ जख्म ऐसे होते हैं, जो वक्त के साथ भी नहीं भरते. आठ साल पहले (जून 2014 में) शिमला में एक जघन्य अपराध की घटना (Yug murder case of Shimla) हुई थी. शिमला के एक कारोबारी के चार साल के मासूम बच्चे का अपहरण किया गया था. बाद में अपहरणकर्ताओं ने मासूम को बेदर्दी से मार डाला था. शिमला के चर्चित युग हत्याकांड में आठ साल बाद आज न्याय की घड़ी आई है. आज हाईकोर्ट में अंतिम सुनवाई (final hearing in Shimla Yug murder case) होने वाली है...

final hearing in Shimla Yug murder case
युग हत्याकांड में आज अंतिम सुनवाई
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Published : Apr 18, 2022, 6:01 AM IST

शिमला: राजधानी के एक कारोबारी के चार साल के मासूम बच्चे को दरिंदों ने अपहरण के बाद मौत के घाट (Yug murder case of Shimla) उतार दिया था. आठ साल पहले इस क्रूर अपराध के दोषियों को वैज्ञानिक जांच के साथ गिरफ्तार किया गया था. वर्ष 2018 में शिमला की स्थानीय अदालत ने तीन दोषियों को फांसी की सजा सुनाई थी. मौत की सजा के पुष्टिकरण को लेकर हाईकोर्ट आज इस मामले में अंतिम सुनवाई (final hearing in Shimla Yug murder case) करेगा.

इससे पहले मौत की सजा की पुष्टि के लिए हाईकोर्ट में कई बार सुनवाई टलती रही है. इस दौरान मासूम के शव के कंकाल को परिजनों को सौंप दिया गया था. तीन साल पहले 27 सितंबर 2019 को हाईकोर्ट ने मासूम के कंकाल को पिता को सौंपने के आदेश (High court on Yug murder case) जारी किए थे. हालांकि मौत की सजा पर पुष्टिकरण को लेकर हाईकोर्ट में सुनवाई टलती रही थी.

पानी के टैंक में मिला था युग का कंकाल: जून 2014 में शिमला के राम बाजार के एक कारोबारी के चार साल के बच्चे का अपहरण कर लिया गया था. फिर साल बाद अगस्त 2016 में शिमला के उपनगर भराड़ी के पेयजल टैंक से एक बच्चे का कंकाल मिला, बाद में फॉरेंसिक जांच से पुष्टि हुई कि यह मास्टर युग का ही कंकाल है. इस केस को सुलझाने के जिम्मा सीआईडी को दिया गया था. जांच एजेंसी ने डिजिटल एविडेंस जुटाए थे.

बाद में शिमला की स्थानीय अदालत में इन्हीं मजबूत और वैज्ञानिक साक्ष्यों के कारण दोषियों को सजा मिली. शिमला की स्थानीय अदालत के न्यायाधीश न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह ने तीनों दोषियों तेजेंद्र पाल, विक्रांत बख्शी व चंद्र शर्मा को मौत की सजा सुनाई थी. अदालत ने इसे रेयरेस्ट ऑफ रेयर अपराध (rarest of rare crime in shimla) बताया था.

2014 में हुआ था युग का अपहरण: राम बाजार के रहने वाले चंद्र शर्मा, तेजेंद्र पाल और विक्रांत बक्शी ने मिलकर जून 2014 में चार वर्षीय युग का अपहरण किया था. तीनों दरिंदे उसे लेकर शिमला के एक निजी मकान में तड़पाते रहे. चारों दरिंदों ने मासूम बच्चे को शिमला के बैनमोर इलाके में किराये के भवन में यातनाएं देकर मार डाला था. मासूम बच्चे को अपहरण करने वाले कोल्ड ड्रिंक में शराब मिलाकर पिलाते रहे.

यातनाएं देने के साथ-साथ दरिंदे ट्रेसिंग पेपर पर फिरौती पत्र लिखते रहे. उन्होंने युग को छोड़ने के बदले चार करोड़ रुपये की फिरौती मांगी थी. पहले जांच पुलिस कर रही थी, लेकिन बाद में हत्याकांड की जांच सीआईडी को दी गई थी. हाईकोर्ट ने भी बराबर मामले पर नजर रखी. अब सोमवार को न्याय की घड़ी का सभी को इंतजार है.

ये भी पढ़ें: युग हत्याकांड: 8 साल पहले बेदर्दी से मौत के घाट उतार दिया गया था 4 साल का मासूम

शिमला: राजधानी के एक कारोबारी के चार साल के मासूम बच्चे को दरिंदों ने अपहरण के बाद मौत के घाट (Yug murder case of Shimla) उतार दिया था. आठ साल पहले इस क्रूर अपराध के दोषियों को वैज्ञानिक जांच के साथ गिरफ्तार किया गया था. वर्ष 2018 में शिमला की स्थानीय अदालत ने तीन दोषियों को फांसी की सजा सुनाई थी. मौत की सजा के पुष्टिकरण को लेकर हाईकोर्ट आज इस मामले में अंतिम सुनवाई (final hearing in Shimla Yug murder case) करेगा.

इससे पहले मौत की सजा की पुष्टि के लिए हाईकोर्ट में कई बार सुनवाई टलती रही है. इस दौरान मासूम के शव के कंकाल को परिजनों को सौंप दिया गया था. तीन साल पहले 27 सितंबर 2019 को हाईकोर्ट ने मासूम के कंकाल को पिता को सौंपने के आदेश (High court on Yug murder case) जारी किए थे. हालांकि मौत की सजा पर पुष्टिकरण को लेकर हाईकोर्ट में सुनवाई टलती रही थी.

पानी के टैंक में मिला था युग का कंकाल: जून 2014 में शिमला के राम बाजार के एक कारोबारी के चार साल के बच्चे का अपहरण कर लिया गया था. फिर साल बाद अगस्त 2016 में शिमला के उपनगर भराड़ी के पेयजल टैंक से एक बच्चे का कंकाल मिला, बाद में फॉरेंसिक जांच से पुष्टि हुई कि यह मास्टर युग का ही कंकाल है. इस केस को सुलझाने के जिम्मा सीआईडी को दिया गया था. जांच एजेंसी ने डिजिटल एविडेंस जुटाए थे.

बाद में शिमला की स्थानीय अदालत में इन्हीं मजबूत और वैज्ञानिक साक्ष्यों के कारण दोषियों को सजा मिली. शिमला की स्थानीय अदालत के न्यायाधीश न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह ने तीनों दोषियों तेजेंद्र पाल, विक्रांत बख्शी व चंद्र शर्मा को मौत की सजा सुनाई थी. अदालत ने इसे रेयरेस्ट ऑफ रेयर अपराध (rarest of rare crime in shimla) बताया था.

2014 में हुआ था युग का अपहरण: राम बाजार के रहने वाले चंद्र शर्मा, तेजेंद्र पाल और विक्रांत बक्शी ने मिलकर जून 2014 में चार वर्षीय युग का अपहरण किया था. तीनों दरिंदे उसे लेकर शिमला के एक निजी मकान में तड़पाते रहे. चारों दरिंदों ने मासूम बच्चे को शिमला के बैनमोर इलाके में किराये के भवन में यातनाएं देकर मार डाला था. मासूम बच्चे को अपहरण करने वाले कोल्ड ड्रिंक में शराब मिलाकर पिलाते रहे.

यातनाएं देने के साथ-साथ दरिंदे ट्रेसिंग पेपर पर फिरौती पत्र लिखते रहे. उन्होंने युग को छोड़ने के बदले चार करोड़ रुपये की फिरौती मांगी थी. पहले जांच पुलिस कर रही थी, लेकिन बाद में हत्याकांड की जांच सीआईडी को दी गई थी. हाईकोर्ट ने भी बराबर मामले पर नजर रखी. अब सोमवार को न्याय की घड़ी का सभी को इंतजार है.

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