किन्नौर: कोरोना महामारी की मार हर वर्ग पर पड़ी है, तो वहीं, टेलर व्यवसाय भी इस महामारी से अछूता नहीं है. आलम ये है कि पिछले साल की अपेक्षा इस साल लोग कपड़ों की सिलाई कम करवा रहे हैं, जिससे सिलाई करने वाले टेलर्स को आर्थिक नुकसान हो रहा है और उन्हें अपने जीवन-यापन करने मे परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
टेलर गुमान नेगी ने बताया वो पिछले 18 सालों से टेलरिंग के व्यवसाय से जुड़े हुए हैं और हर साल किन्नौर के कई विवाह समारोह में दूल्हे व दुल्हन के वस्त्रों की सिलाई सहित किन्नौरी टोपियों की सिलाई करते थे. जिससे उन्हें अच्छी कमाई भी होती थी और बाहरी राज्यों से आए पर्यटक भी उनसे किन्नौरी टोपी की खरीदारी करते थे. उन्होंने कहा कि कोविड-19 के चलते ना तो शादी समारोह हुए और ना ही पर्यटक किन्नौर घूमने के लिए आए, जिससे उनका व्यापार पूरा ठप पड़ा हुआ है.
गुमान नेगी ने बताया कि पिछले वर्ष उनके पास लोग कपड़ों की सिलाई सहित किन्नौरी टोपी की सिलाई के लिए आते थे, लेकिन इस साल कोरोना वायरस के कारण लोग कम ही सिलाई करवा रहे हैं. उन्होंने कहा कि काम न आने पर उन्हें आर्थिक रूप से नुकसान हो रहा है और आर्थिक स्थिति खराब हो रही है. ऐसे में उन्होंने सरकार से मांग की है कि उन्हें भी मजदूर वर्ग में शामिल किया जाए, ताकि उन्हें भी सरकार इसे विपदा की घड़ी में सहायता राशि मिल सके.
बता दें कि किन्नौर में सैकड़ों लोग टेलरिंग व्यवासाय से जुड़े हुए हैं, लेकिन कोविड-19 के चलते उन्हें इस साल कपड़ों व किन्नौरी टोपियों की मांग न होने पर आर्थिक तंगी से गुजरना पड़ जा रहा है.
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