शिमला: नगर निगम शिमला (Municipal Corporation Shimla) में हर साल किए जाने वाला स्वच्छता सर्वेक्षण शुरू हो गया (Swachh Survekshan Started In Shimla) है. वहीं नगर निगम प्रति वर्ष स्वच्छता रेंकिंग में सुधार का दावा करता तो है, लेकिन स्वच्छता रैंकिंग में शिमला शहर हर साल पिछड़ता जा रहा है. बीते साल स्वच्छता रैंकिंग में शिमला 65वें स्थान से 102वें स्थान पर शहर पहुंच गया. स्वच्छता सर्वेक्षण की टीमें इन दिनों शिमला के विभिन्न स्थानों में जाकर स्वच्छता का सर्वेक्षण करने में जुटी है.
नगर निगम शिमला हर साल शहर को स्वच्छ रखने का दावा करता रहा है, लेकिन बिना कर्मचारियों के शहर में स्वच्छता रैंकिंग में कैसे सुधार आ सकता है. शिमला नगर निगम की बात करें तो 200 से अधिक कर्मचारियों के पद खाली पड़े हैं. जिन्हें नगर निगम कई सालों से नहीं भर पाया है. नगर निगम शिमला के 445 सफाई कर्मचारियों के पद स्वीकृति हैं जिसमें से कई सेवानिवृत्त हो रहे हैं और अब वर्तमान समय में 200 सफाई कर्मचारी ही शहर के 34 वार्डों में सफाई का जिम्मा संभाले हुए हैं.
शहर के वार्डों को साफ करने के अलावा नालियों ओर पहाड़ियों को भी सफाई कर्मी ही साफ करते है. लेकिन शहर में सफाई कर्मियों की कमी के चलते नालियों ओर पहाड़ियों की सफाई नहीं हो पाती है. खाली पदों को भरने के लिए कर्मचारी यूनियन काफी समय से मांग कर रही है, लेकिन नगर निगम नए कर्मी भर्ती नहीं कर रहा है. नगर निगम सफाई यूनियन (municipal cleaning union Shimla) के अध्यक्ष नागेश का कहना है कि नगर निगम शिमला के पास 445 सैंक्शन पोस्ट है लेकिन आज की तारीख में नगर निगम शिमला के पास 220 के पास लगभग कर्मी हैं, जो शहर को साफ सुथरा कर रहे हैं.
निगम में दिन प्रतिदन स्टाफ कम होता जा रहा है. कई लोगों की मौत हो गई है और कई रिटायर हो गए हैं. नागेश ने कहा कि हर महीने 2 से 3 लोग रिटायर हो जाते हैं जिससे स्टाफ की कमी हो रही है. सफाई कर्मचारी रूटीन में ही काम करते हैं और पूरी लगन से कार्य करते (Swachh Survekshan 2022 Survey) है. उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि इस बार शिमला की रैंकिंग ऊपर (Swachh Survekshan 2022) आएगी.
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