शिमला: छात्र-अभिभावक मंच ने निजी स्कूलों द्वारा मनमानी फीस जमा करवाने के लिए अभिभावकों व छात्रों पर मानसिक दबाव बनाने के आरोप लगाए हैं. मंच ने शिक्षा विभाग व प्रशासन से ऐसे स्कूल प्रबंधनों पर आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत कानूनी कार्रवाई करने की मांग उठाई है. मंच ने चेताया है कि अभिभावकों व छात्रों की मानसिक व आर्थिक प्रताड़ना बंद ना हुई तो सड़कों पर उतरकर आंदोलन करने के लिए बाध्य होना पड़ेगा.
मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा ने कहा है कि शीतकालीन सत्र के निजी स्कूलों में नवंबर महीने में प्रस्तावित वार्षिक परीक्षाओं के बिल्कुल पहले प्रबंधनों द्वारा मनमानी फीस जमा करने के लिए अभिभावकों व छात्रों पर भारी दबाव बनाया जा रहा है. अभिभावकों को मोबाइल संदेशों के माध्यम से व छात्रों को कक्षाओं में मनमानी फीस जमा करने के लिए मानसिक तौर पर प्रताड़ित किया जा रहा है. जिन अभिभावकों ने पांच दिसंबर 2019 की अधिसूचना के विपरीत मनमानी भारी फीस जमा नहीं की है, उनके बच्चों को पहले की मासिक परीक्षाओं के रिजल्ट कार्ड नहीं दिए जा रहे हैं व वर्तमान मासिक परीक्षाओं में बैठने नहीं दिया जा रहा है.
निजी स्कूल प्रबंधनों की तानाशाही, मानसिक व आर्थिक प्रताड़ना इस अनुच्छेद में प्राप्त बच्चों के नैतिक व भौतिक अधिकारों पर सीधा हमला है. उन्होंने हाईकोर्ट से निजी स्कूलों द्वारा तरह-तरह के चार्जेज की आड़ में भयंकर लूट पर अंकुश लगाने की मांग की है. उन्होंने मांग की है कि ऐसे स्कूलों का पंजीकरण व एनओसी तुरंत रद्द किया जाए.
विजेंद्र मेहरा ने निदेशक उच्चतर शिक्षा व शिक्षा मंत्री से 5 दिसंबर 2019 की अधिसूचना को लागू करने की मांग की है. उन्होंने हैरानी व्यक्त की है कि छात्रों व अभिभावकों को निजी स्कूल प्रबंधनों द्वारा मनमानी फीस वसूलने पर उसका विरोध करने पर मानसिक तौर पर प्रताड़ित किया जा रहा है. परन्तु शिक्षा विभाग मौन है. प्रदेश सरकार की खामोशी उसकी मंशा पर गम्भीर सवाल खड़ा कर रही है. उन्होंने साफ चेताया है कि अगर यह प्रताड़ना बंद न हुई तो मंच के पदाधिकारी शिक्षा निदेशालय में अनशन पर बैठ जाएंगे.
ये भी पढ़ें: जेपी नड्डा सहित कांग्रेस और BJP के शीर्ष केंद्रीय नेताओं ने अभी तक उपचुनाव में प्रचार से बनाई दूरी