शिमला: चुनाव के समय टिकट न मिलने पर बागी नेता किसी भी पार्टी की पीठ चुनावी मैदान में लगवा सकते हैं. हिमाचल की चार संसदीय सीटों पर अभी तक किसी भी पार्टी ने उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की है.
चुनाव लड़ने की हसरत पाले कुछ नेता पार्टी की अनुमति के बिना अपना प्रचार करने में जुट गए हैं. ऐसे में अगर ये नेता बागी होकर लोकसभा चुनाव लड़ते हैं तो बीजेपी-कांग्रेस को भारी परेशानी झेलनी पड़ सकती है. ऐसे नेताओं पर लगाम लगाने के लिए भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतपाल सत्ती ने कड़ा संदेश देते हुए कहा कि भाजपा में अनुशासनहीनता सहन नहीं होगी.
सतपाल सत्ती ने कहा कि हर नागरिक चुनाव लड़ने का हक रखता है, लेकिन सभी को पार्टी उम्मीदवार घोषित नहीं कर सकती. ऐसे में सभी को पार्टी के निर्णय का इंतजार करना चाहिए और पार्टी के आदेशानुसार ही आगे काम करना चाहिए. पार्टी में किसी को भी अपना-अपना चुनाव प्रचार करने का अधिकारी नहीं है. ऐसे व्यक्ति को अगर टिकट भी मिलता है तो वो व्यक्ति चुनाव भी नहीं जीत पाता है और पार्टी को भी नुकसान पहुंचता है. भाजपा के कार्यकर्ता ऐसे नेताओं को पसंद नहीं करते. इससे कार्यकर्ताओं के उत्साह में भी कमी आती है.
भाजपा प्रदेशाध्यक्ष ने कहा कि हमारे पास चारों सीटों पर जीते हुए प्रत्याशी हैं. ऐसे में किसी अन्य नेता का बिना पार्टी के आदेश के खुद ही प्रचार में जुट जाना अनुशासनहीनता है. जब तक भाजपा पार्लियामेंट्री बोर्ड से टिकट फाइनल नहीं हो जाते किसी को भी अपना प्रचार करने की अनुमति नहीं है. सत्ती ने उम्मीद जताई कि जैसे ही उम्मीदवार की घोषणा होगी सभी लोग पार्टी उम्मीदवार के पक्ष में कार्य करेंगे और भाजपा को मजबूती प्रदान करेंगे.सत्ती ने कहा कि हिमाचल में किसी भी व्यक्ति की अपनी ताकत नहीं है. ताकत सिर्फ पार्टी के कैडर की है. सत्ती का ये बयान कहीं न कहीं पंडित सुखराम की ओर इशारा कर रहा है.
बता दें कि पंडित सुखराम के पोते हाइकमान से टिकट की मांग कर रहे हैं. आश्रय शर्मा अपने स्तर पर भी चुनाव प्रचार में जुटे थे. शिमला सीट से भी बीजेपी के एक नेता चुनाव प्रचार में जुटे हैं. कुछ समय तक उन्हे टिकट देने की चर्चा भी जोरों पर थी. वहीं, कांग्रेस के बिलासपुर जिला अध्यक्ष बंबर ठाकुर भी हमीरपुर संसदीय क्षेत्र में संक्रिय दिखे थे, उन्होने पूरे हमीरपुर संसदीय क्षेत्र के दौरे भी किए थे.