शिमला: कोरोना के चलते पिछले 2 सालों से जहां जनजीवन पूरी तरह प्रभावित हुआ है, वहीं शोध कार्यों पर भी इसका असर पड़ा है. शिमला में स्थित एडवांस स्टडी (Advance Study Shimla) में हर साल देशभर से शोधार्थी शोध कार्य के लिए आते थे, लेकिन कोरोना के चलते यहां पर शोध कार्य प्रभावित हुआ था. वहीं, अब दोबारा से शोधार्थी यहां पर पहुंच रहे हैं और शोध कार्य कर रहे हैं. इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडी की नवनियुक्त अध्यक्ष प्रोफेसर शशिप्रभा कुमार ने वीरवार को पत्रकार वार्ता कर संस्थान में चल रही शैक्षणिक गतिविधियों के बारे में विस्तार से जानकारी दी.
उन्होंने कहा कि पहाड़ों की रानी शिमला प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है. प्रदेश में मिलने वाली वनस्पति भी बेहद महत्वपूर्ण है, जो कई महत्वपूर्ण कार्यों में इस्तेमाल की जा सकती है. उन्होंने कहा कि संस्थान परिसर में उपजी विभिन्न वनस्पतियों पर भी शोध करने का काम किया जाएगा, ताकि इसे मानव कल्याण में इस्तेमाल किया जा सके. उन्होंने कहा कि मौजूदा वक्त में वैश्विक जलवायु संकट हमें परिवर्तन सरंक्षण, प्रबंधन और दुर्लभ संसाधनों के मुद्दों पर ध्यान देने की जरूरत पर जोर देता है.
उन्होंने कहा कि आज जरूरत है कि हम अपनी ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण पर भी शोध करें. प्रोफेसर शशिप्रभा कुमार ने कहा कि कोरोना की वजह से 2 साल तक पूरा विश्व और देश प्रभावित रहा. प्रदेश भर में भी गतिविधियां नहीं हो सकी, लेकिन एडवांस स्टडी में वर्चुअल माध्यम से संगोष्ठियों का आयोजन किया जाता रहा. उन्होंने कहा कि बीते 2 सालों से शोधार्थियों और पर्यटकों (Tourists in shimla) की संख्या भी कम हुई थी, लेकिन अब चूंकि व्यवस्थाएं पटरी पर लौट चुकी हैं. ऐसे में अब इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडी (Indian Institute of Advanced Study) में शोधार्थियों की संख्या भी बढ़ेगी.