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उत्तरकाशीः पौराणिक पंचकोसी यात्रा में वेदव्यास जी के होंगे दर्शन, गुफा का हुआ जीर्णोंद्धार

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Published : Jul 5, 2020, 10:50 PM IST

वरुणावत पर्वत के शीर्ष पर बसे ज्ञानजा गांव में व्यासकुंड के पास विधि-विधान के साथ भगवान वेदव्यास जी की गुफा का जीर्णोंद्धार किया गया है. हर साल चैत्र महीने की त्रयोदशी को वरुणावत पर्वत की पंचकोसी यात्रा होती है. ऐसे में भक्त वेदव्यास के दर्शन कर सकेंगे.

vedvyas cave renovations
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शिमला/उत्तरकाशीः धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण वरुणावत पर्वत पर अब भगवान वेदव्यास जी के भी दर्शन होंगे. यहां वरुणावत पर्वत के शीर्ष पर बसे ज्ञानजा गांव में व्यासकुंड के पास विधि-विधान के साथ भगवान वेदव्यास जी की गुफा का जीर्णोंद्धार किया गया है. शिंखलेश्वर धाम के श्रीमंत शंकर स्वामी के मार्गदर्शन में स्वामी महिमानंद और ज्ञानजा गांव के लोगों ने विशेष पूजा-अर्चना व हवन के बाद वेद व्यास की मूर्ति को गुफा में स्थापित किया. साधु संतों की मानें तो व्यास पर्वत का काफी धार्मिक महत्व है.

शिंखलेश्वर महादेव धाम के संत श्रीमंत शंकर स्वामी का दावा है कि पुराणों के अनुसार भगवान वेद व्यास जी के हिमालय में दो स्थान थे. पहला बदरीनाथ धाम के माणा गांव में अलकनंदा और सरस्वती नदी के बीच, जहां पर वेद व्यास जी ने चार वेदों और महाभारत की रचना की थी. साथ ही वरुणावत पर्वत पर ज्ञानजा गांव में व्यास कुंड के पास 18 पुराणों का संकलन किया था.

वीडियो.

शंकर स्वामी ने दावा किया कि महाभारत में वर्णन है कि महाराज युधिष्ठिर भी दो बार वेदव्यास जी से मिलने और उनका आशीर्वाद लेने व्यास कुंड के पास व्यास पर्वत पर आए थे. स्वामी का कहना है कि वरुणावत पर्वत पर तिल भर जगह के समान हर स्थान पर तीर्थ विराजमान हैं.

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बता दें कि हर साल चैत्र महीने की त्रयोदशी को वरुणावत पर्वत की पंचकोसी यात्रा होती है. जहां हर साल जिले के हजारों यात्री पुराणों की मान्यता के अनुसार वरुणावत पर्वत पर विराजमान 33 करोड़ देवी-देवताओं का आशीर्वाद लेते हैं. श्रद्धालु बड़ेथी में वरुणा नदी और भागीरथी संगम से स्नान करने के बाद जल भरते हैं. जिसके बाद वरुणावत पर्वत पर बसे गांव बसूंगा में भगवान कंडार देवता, साल्ड में भगवान जगन्नाथ समेत अष्टभुजा माता और ज्ञानजा गांव में ज्ञानेश्वर महादेव, ज्वाला मां के दर्शन करते हैं.

साथ ही शीर्ष पर स्थित व्यास कुंड और शिंखलेश्वर महादेव के दर्शन करते हैं. उसके बाद संग्राली पाटा में कंडार देवता के दर्शन के बाद अस्सी गंगा और भागीरथी के संगम पर पहुंचते हैं. ऐसे में व्यासकुंड में श्रद्धालुओं को वेदव्यास जी के दर्शन भी होंगे.

ये भी पढ़ें- कोरोना से बचाव के लिए बनाए गए नियमों का करें पालन, सोशल डिस्टेंसिंग का रखें ख्याल: आरडी धीमान

शिमला/उत्तरकाशीः धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण वरुणावत पर्वत पर अब भगवान वेदव्यास जी के भी दर्शन होंगे. यहां वरुणावत पर्वत के शीर्ष पर बसे ज्ञानजा गांव में व्यासकुंड के पास विधि-विधान के साथ भगवान वेदव्यास जी की गुफा का जीर्णोंद्धार किया गया है. शिंखलेश्वर धाम के श्रीमंत शंकर स्वामी के मार्गदर्शन में स्वामी महिमानंद और ज्ञानजा गांव के लोगों ने विशेष पूजा-अर्चना व हवन के बाद वेद व्यास की मूर्ति को गुफा में स्थापित किया. साधु संतों की मानें तो व्यास पर्वत का काफी धार्मिक महत्व है.

शिंखलेश्वर महादेव धाम के संत श्रीमंत शंकर स्वामी का दावा है कि पुराणों के अनुसार भगवान वेद व्यास जी के हिमालय में दो स्थान थे. पहला बदरीनाथ धाम के माणा गांव में अलकनंदा और सरस्वती नदी के बीच, जहां पर वेद व्यास जी ने चार वेदों और महाभारत की रचना की थी. साथ ही वरुणावत पर्वत पर ज्ञानजा गांव में व्यास कुंड के पास 18 पुराणों का संकलन किया था.

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शंकर स्वामी ने दावा किया कि महाभारत में वर्णन है कि महाराज युधिष्ठिर भी दो बार वेदव्यास जी से मिलने और उनका आशीर्वाद लेने व्यास कुंड के पास व्यास पर्वत पर आए थे. स्वामी का कहना है कि वरुणावत पर्वत पर तिल भर जगह के समान हर स्थान पर तीर्थ विराजमान हैं.

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बता दें कि हर साल चैत्र महीने की त्रयोदशी को वरुणावत पर्वत की पंचकोसी यात्रा होती है. जहां हर साल जिले के हजारों यात्री पुराणों की मान्यता के अनुसार वरुणावत पर्वत पर विराजमान 33 करोड़ देवी-देवताओं का आशीर्वाद लेते हैं. श्रद्धालु बड़ेथी में वरुणा नदी और भागीरथी संगम से स्नान करने के बाद जल भरते हैं. जिसके बाद वरुणावत पर्वत पर बसे गांव बसूंगा में भगवान कंडार देवता, साल्ड में भगवान जगन्नाथ समेत अष्टभुजा माता और ज्ञानजा गांव में ज्ञानेश्वर महादेव, ज्वाला मां के दर्शन करते हैं.

साथ ही शीर्ष पर स्थित व्यास कुंड और शिंखलेश्वर महादेव के दर्शन करते हैं. उसके बाद संग्राली पाटा में कंडार देवता के दर्शन के बाद अस्सी गंगा और भागीरथी के संगम पर पहुंचते हैं. ऐसे में व्यासकुंड में श्रद्धालुओं को वेदव्यास जी के दर्शन भी होंगे.

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