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स्वास्थ्य संस्थानों और डॉक्टर्स के मामले में देवभूमि 'सिरमौर', रिकॉर्ड वैक्सीनेशन में काम आया हिमाचल का शानदार हेल्थ नेटवर्क

पहाड़ी राज्य हिमाचल में वैश्विक महामारी कोविड से निपटने के लिए गए प्रयासों की देशभर में खूब सराहना हुई. वैक्सीनेशन की सफलता दर ने हिमाचल को देश में सिरमौर बना दिया. सारी पात्र आबादी को वैक्सीनेशन की पहली डोज देने वाला हिमाचल देश का पहला राज्य है. यही नहीं वैक्सीन की बर्बादी भी हिमाचल में न के बराबर हुई है. अन्य राज्यों के मुकाबले देवभूमि के बेहतर हेल्थ नेटवर्क के कारण हिमाचल में प्रति व्यक्ति स्वास्थ्य संस्थान देश में सबसे अधिक हैं. हिमाचल में तीन हजार लोगों पर एक स्वास्थ्य संस्थान है और यहां विभिन्न स्वास्थ्य योजनाओं के तहत मरीजों का नि:शुल्क इलाज किया जाता है. यही नहीं हिमाचल के खाते में एक और बड़ी उपलब्धि दर्ज है. स्वैच्छिक रक्तदान में हिमाचल देश में दूसरे नंबर पर है.

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Published : Sep 18, 2021, 5:39 PM IST

Updated : Jan 4, 2022, 7:40 PM IST

शिमला: वैश्विक महामारी कोविड से निपटने में समय-समय पर हिमाचल के प्रयासों को देशभर में सराहना मिली है. कोरोना महामारी के आरंभिक दौर में हिमाचल ने एक्टिव केस फाइंडिंग (एसीएफ) को लागू किया. अब इस समय में वैक्सीनेशन की सफलता दर ने हिमाचल को देश में सिरमौर बना दिया. यह सब संभव हुआ है देश के अन्य राज्यों के मुकाबले देवभूमि के बेहतर हेल्थ नेटवर्क के कारण हिमाचल में प्रति व्यक्ति स्वास्थ्य संस्थान देश में सबसे अधिक हैं. प्रति व्यक्ति सेहत पर खर्च करने के मामले में भी हिमाचल देश में अग्रणी है.

देवभूमि में तीन हजार लोगों पर एक स्वास्थ्य संस्थान है और हिमाचल 2700 रुपए से अधिक प्रति व्यक्ति पर खर्च करता है. हिमाचल में फील्ड में 2286 मेडिकल ऑफिसर यानी एमबीबीएस डॉक्टर हैं. इसके अलावा फील्ड में 220 के करीब पीजी डॉक्टर्स हैं. वहीं, मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में एक हजार से अधिक विशेषज्ञ डॉक्टर्स हैं. हिमाचल ने इस समय तक रिकार्ड वैक्सीनेशन कर लिया है. सारी पात्र आबादी को वैक्सीनेशन की पहली डोज देने वाला हिमाचल देश का पहला राज्य है. यही नहीं वैक्सीन की बर्बादी भी हिमाचल में न के बराबर हुई है.

हिमाचल ने अब तक 77 लाख, 52 हजार 317 डोज लगा दी हैं. इसमें से 18 प्लस के तहत 56 लाख, 7 हजार, 986 लोगों को पहली डोज लगी है. इसी कैटेगरी में 21 लाख 44 हजार 331 लोगों को दूसरी डोज भी लगाई जा चुकी है. यह सब हिमाचल के दूर दराज के इलाकों में फैले हेल्थ नेटवर्क के कारण संभव हो पाया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हिमाचल के एक्टिव केस फाइंडिंग अभियान और वैक्सीनेशन की सक्सेस रेट पर राज्य की पीठ थपथपाई है. आइए, एक नजर डालते हैं कि कैसे हिमाचल ने अपने गठन के बाद से स्वास्थ्य के क्षेत्र में चमकदार उपलब्धियां हासिल की हैं.



हिमाचल में इस समय अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान यानी एम्स ने बिलासपुर के कोठीपुरा में सेवाएं देना शुरू कर दिया है. इसके अलावा हिमाचल प्रदेश में शिमला में इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज अस्पताल, नाहन में डॉ. वाईएस परमार मेडिकल कॉलेज अस्पताल, कांगड़ा के टांडा में डॉ. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज अस्पताल, मंडी के नेरचौक में लाल बहादुर शास्त्री मेडिकल कॉलेज अस्पताल, चंबा में जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज, हमीरपुर में डॉ. राधाकृष्ण मेडिकल कॉलेज अस्पताल सहित शिमला में राज्य स्तरीय कमला नेहरू मातृ एवं शिशु कल्याण अस्पताल, शिमला में ही डेंटल कॉलेज एवं अस्पताल, रीजनल कैंसर सेंटर और दीन दयाल उपाध्याय जोनल अस्पताल के तौर पर बड़ा हेल्थ नेटवर्क है.

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इसके अलावा हिमाचल प्रदेश में सभी जिलों में जोनल अस्पताल अगल से हैं. साथ ही, सिविल अस्पताल, सीएचसी, पीएचसी, हेल्थ सबसेंटर्ज का बड़ा जाल है. दूसरी तरफ कांगड़ा के पपरोला में आयुर्वेदिक कॉलेज एवं अस्पताल सहित गांव-गांव तक आयुर्वेदिक डिस्पेंसरियां मौजूद हैं. आयुर्वेदिक संस्थानों की दृष्टि से हिमाचल प्रदेश में 1252 संस्थानों में 34 आयुर्वेदिक अस्पताल हैं. हिमाचल में 2019-20 में 42 लाख लोगों ने साल भर में केवल आयुर्वेदिक पद्धति से इलाज लिया.

प्रदेश के सबसे बड़े स्वास्थ्य संस्थान आईजीएमसी अस्पताल में रोजाना डेढ़ हजार लोग ओपीडी में इलाज करवाते हैं, यहां हर समय एक हजार से अधिक लोग अस्पताल में भर्ती रहते हैं. कोविड काल में भी आईजीएमसी अस्पताल ने अकेले 12 हजार से अधिक छोटे-बड़े ऑपरेशन केस निपटाए हैं. हिमाचल के हिसाब से यदि हेल्थ नेटवर्क में कोई कमी है तो वह एक मेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट के रूप में है. कुल मिलाकर हिमाचल में चार हजार के करीब छोटे-बड़े स्वास्थ्य संस्थान हैं.

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हिमाचल में तीन हजार लोगों पर एक स्वास्थ्य संस्थान है और यहां विभिन्न स्वास्थ्य योजनाओं के तहत मरीजों का नि:शुल्क इलाज किया जाता है. यही नहीं हिमाचल के खाते में एक और बड़ी उपलब्धि दर्ज है. स्वैच्छिक रक्तदान में हिमाचल देश में दूसरे नंबर पर है. यहां ब्लड बैंक और ब्लड ट्रांसफ्यूजन के क्षेत्र में आज दिन तक कोई बड़ी चूक नहीं हुई है और न ही गलत ब्लड यूनिट इश्यू होने से एचआईवी या अन्य कोई संक्रमण हुआ है. हिमाचल प्रदेश ने कोविड के दौरान प्रदेशभर के संस्थानों में बिस्तरों की क्षमता को 837.30 फीसदी तक बढ़ाया. इसके अलावा स्थाई और अस्थाई संस्थानों की क्षमता भी 427 फीसदी तक बढ़ाई. इस समय हिमाचल में कोविड मरीजों के लिए बिस्तरों की संख्या 4124 है.

इससे इतर बात करें तो हिमाचल के डॉक्टरों ने अपनी प्रतिभा का लोहा देशभर में मनाया है इस समय एम्स दिल्ली, पीजीआई चंडीगढ़, बाबा फरीद मेडिकल यूनिवर्सिटी पंजाब, अटल मेडिकल यूनिवर्सिटी नेरचौक सहित फोर्टिस मोहाली व अपोलो अस्पताल इंद्रप्रस्थ के महत्वपूर्ण पदों पर हिमाचल के डॉक्टर सेवाएं दे रहे हैं. यही नहीं कोविड से लड़ाई का ब्लू प्रिंट तैयार करने वाले विश्व विख्यात बाल रोग विशेषज्ञ और नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल भी हिमाचल से ही संबंध रखते हैं. प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. राजीव सैजल के अनुसार हिमाचल ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में कई उपलब्धियां हासिल की हैं. प्रदेश में कोविड से निपटने में भी यहां का हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर काम आया है. कोविड के दौरान प्रदेश के सबसे बड़े स्वास्थ्य संस्थान आईजीएमसी अस्पताल ने लगातार सेवाएं जारी रखी और पीजीआई चंडीगढ़ से भी लौटाए गए मरीजों का यहां इलाज हुआ.

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शिमला: वैश्विक महामारी कोविड से निपटने में समय-समय पर हिमाचल के प्रयासों को देशभर में सराहना मिली है. कोरोना महामारी के आरंभिक दौर में हिमाचल ने एक्टिव केस फाइंडिंग (एसीएफ) को लागू किया. अब इस समय में वैक्सीनेशन की सफलता दर ने हिमाचल को देश में सिरमौर बना दिया. यह सब संभव हुआ है देश के अन्य राज्यों के मुकाबले देवभूमि के बेहतर हेल्थ नेटवर्क के कारण हिमाचल में प्रति व्यक्ति स्वास्थ्य संस्थान देश में सबसे अधिक हैं. प्रति व्यक्ति सेहत पर खर्च करने के मामले में भी हिमाचल देश में अग्रणी है.

देवभूमि में तीन हजार लोगों पर एक स्वास्थ्य संस्थान है और हिमाचल 2700 रुपए से अधिक प्रति व्यक्ति पर खर्च करता है. हिमाचल में फील्ड में 2286 मेडिकल ऑफिसर यानी एमबीबीएस डॉक्टर हैं. इसके अलावा फील्ड में 220 के करीब पीजी डॉक्टर्स हैं. वहीं, मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में एक हजार से अधिक विशेषज्ञ डॉक्टर्स हैं. हिमाचल ने इस समय तक रिकार्ड वैक्सीनेशन कर लिया है. सारी पात्र आबादी को वैक्सीनेशन की पहली डोज देने वाला हिमाचल देश का पहला राज्य है. यही नहीं वैक्सीन की बर्बादी भी हिमाचल में न के बराबर हुई है.

हिमाचल ने अब तक 77 लाख, 52 हजार 317 डोज लगा दी हैं. इसमें से 18 प्लस के तहत 56 लाख, 7 हजार, 986 लोगों को पहली डोज लगी है. इसी कैटेगरी में 21 लाख 44 हजार 331 लोगों को दूसरी डोज भी लगाई जा चुकी है. यह सब हिमाचल के दूर दराज के इलाकों में फैले हेल्थ नेटवर्क के कारण संभव हो पाया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हिमाचल के एक्टिव केस फाइंडिंग अभियान और वैक्सीनेशन की सक्सेस रेट पर राज्य की पीठ थपथपाई है. आइए, एक नजर डालते हैं कि कैसे हिमाचल ने अपने गठन के बाद से स्वास्थ्य के क्षेत्र में चमकदार उपलब्धियां हासिल की हैं.



हिमाचल में इस समय अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान यानी एम्स ने बिलासपुर के कोठीपुरा में सेवाएं देना शुरू कर दिया है. इसके अलावा हिमाचल प्रदेश में शिमला में इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज अस्पताल, नाहन में डॉ. वाईएस परमार मेडिकल कॉलेज अस्पताल, कांगड़ा के टांडा में डॉ. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज अस्पताल, मंडी के नेरचौक में लाल बहादुर शास्त्री मेडिकल कॉलेज अस्पताल, चंबा में जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज, हमीरपुर में डॉ. राधाकृष्ण मेडिकल कॉलेज अस्पताल सहित शिमला में राज्य स्तरीय कमला नेहरू मातृ एवं शिशु कल्याण अस्पताल, शिमला में ही डेंटल कॉलेज एवं अस्पताल, रीजनल कैंसर सेंटर और दीन दयाल उपाध्याय जोनल अस्पताल के तौर पर बड़ा हेल्थ नेटवर्क है.

ये भी पढ़ें: मृकुला देवी मंदिर में रखा है महिषासुर के रक्त से भरा खप्पर, लेकिन किसी ने देखा तो हो जाएगा अंधा!

इसके अलावा हिमाचल प्रदेश में सभी जिलों में जोनल अस्पताल अगल से हैं. साथ ही, सिविल अस्पताल, सीएचसी, पीएचसी, हेल्थ सबसेंटर्ज का बड़ा जाल है. दूसरी तरफ कांगड़ा के पपरोला में आयुर्वेदिक कॉलेज एवं अस्पताल सहित गांव-गांव तक आयुर्वेदिक डिस्पेंसरियां मौजूद हैं. आयुर्वेदिक संस्थानों की दृष्टि से हिमाचल प्रदेश में 1252 संस्थानों में 34 आयुर्वेदिक अस्पताल हैं. हिमाचल में 2019-20 में 42 लाख लोगों ने साल भर में केवल आयुर्वेदिक पद्धति से इलाज लिया.

प्रदेश के सबसे बड़े स्वास्थ्य संस्थान आईजीएमसी अस्पताल में रोजाना डेढ़ हजार लोग ओपीडी में इलाज करवाते हैं, यहां हर समय एक हजार से अधिक लोग अस्पताल में भर्ती रहते हैं. कोविड काल में भी आईजीएमसी अस्पताल ने अकेले 12 हजार से अधिक छोटे-बड़े ऑपरेशन केस निपटाए हैं. हिमाचल के हिसाब से यदि हेल्थ नेटवर्क में कोई कमी है तो वह एक मेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट के रूप में है. कुल मिलाकर हिमाचल में चार हजार के करीब छोटे-बड़े स्वास्थ्य संस्थान हैं.

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हिमाचल में तीन हजार लोगों पर एक स्वास्थ्य संस्थान है और यहां विभिन्न स्वास्थ्य योजनाओं के तहत मरीजों का नि:शुल्क इलाज किया जाता है. यही नहीं हिमाचल के खाते में एक और बड़ी उपलब्धि दर्ज है. स्वैच्छिक रक्तदान में हिमाचल देश में दूसरे नंबर पर है. यहां ब्लड बैंक और ब्लड ट्रांसफ्यूजन के क्षेत्र में आज दिन तक कोई बड़ी चूक नहीं हुई है और न ही गलत ब्लड यूनिट इश्यू होने से एचआईवी या अन्य कोई संक्रमण हुआ है. हिमाचल प्रदेश ने कोविड के दौरान प्रदेशभर के संस्थानों में बिस्तरों की क्षमता को 837.30 फीसदी तक बढ़ाया. इसके अलावा स्थाई और अस्थाई संस्थानों की क्षमता भी 427 फीसदी तक बढ़ाई. इस समय हिमाचल में कोविड मरीजों के लिए बिस्तरों की संख्या 4124 है.

इससे इतर बात करें तो हिमाचल के डॉक्टरों ने अपनी प्रतिभा का लोहा देशभर में मनाया है इस समय एम्स दिल्ली, पीजीआई चंडीगढ़, बाबा फरीद मेडिकल यूनिवर्सिटी पंजाब, अटल मेडिकल यूनिवर्सिटी नेरचौक सहित फोर्टिस मोहाली व अपोलो अस्पताल इंद्रप्रस्थ के महत्वपूर्ण पदों पर हिमाचल के डॉक्टर सेवाएं दे रहे हैं. यही नहीं कोविड से लड़ाई का ब्लू प्रिंट तैयार करने वाले विश्व विख्यात बाल रोग विशेषज्ञ और नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल भी हिमाचल से ही संबंध रखते हैं. प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. राजीव सैजल के अनुसार हिमाचल ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में कई उपलब्धियां हासिल की हैं. प्रदेश में कोविड से निपटने में भी यहां का हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर काम आया है. कोविड के दौरान प्रदेश के सबसे बड़े स्वास्थ्य संस्थान आईजीएमसी अस्पताल ने लगातार सेवाएं जारी रखी और पीजीआई चंडीगढ़ से भी लौटाए गए मरीजों का यहां इलाज हुआ.

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Last Updated : Jan 4, 2022, 7:40 PM IST
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