ETV Bharat / city

चुनावी राजनीति में चमके जरूर, पर कुर्सी के नाम पर अधूरे ही रहे बिंदल

डॉ. राजीव बिंदल राजीव हिमाचल राजनीति के माहिर खिलाड़ी हैं, लेकिन इस्तीफे शब्द से उनका नाता जुड़ सा गया है. बुधवार को वायरल ऑडियो मामले को लेकर उन्होंने बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया है और इससे पहले सतपाल सिंह सत्ती का प्रदेश अध्यक्ष का कार्यकाल पूरा होने पर वे विधानसभा अध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे चुके हैं. इस तरह दो साल के अरसे में उन्हें दो बार इस्तीफा देना पड़ा.

rajiv bindal resigned
rajiv bindal resigned
author img

By

Published : May 27, 2020, 11:28 PM IST

शिमलाः हिमाचल बीजेपी में डॉ. राजीव बिंदल की गिनती चुनावी राजनीति के माहिर खिलाड़ियों में जरूर होती है, लेकिन उनके नाम के साथ इस्तीफा शब्द चिपक कर रह गया है. कुल पांचवीं बार विधायक बने राजीव बिंदल मौजूदा सरकार में पहले विधानसभा अध्यक्ष के पद पर आसीन हुए. देश की पहली ई-विधानसभा का अध्यक्ष बने हुए उन्हें दो साल का अर्सा ही हुआ था कि घटनाक्रम घूम गया.

सतपाल सिंह सत्ती का कार्यकाल पूरा होने के बाद हिमाचल बीजेपी के नए मुखिया की ताजपोशी होनी थी. बिंदल विधानसभा अध्यक्ष थे और बीजेपी हाईकमान को भेजे गए पैनल में अध्यक्ष के लिए उनका नाम तक नहीं था.

नियती का खेल देखिए कि हाईकमान ने प्रदेश बीजेपी की तरफ से भेजे गए पैनल को दरकिनार करते हुए डॉ. राजीव बिंदल को नया अध्यक्ष बनाने का फैसला लिया गया. ये अप्रत्याशित फैसला था.

खैर, बिंदल को विधानसभा अध्यक्ष के पद से इस्तीफा देना पड़ा और इसी साल जनवरी में उन्होंने पार्टी मुखिया के पद की कमान संभाली. अब उन्हें अध्यक्ष बने छह महीने भी नहीं हुए थे कि घूसकांड की आंच उनके दामन तक पहुंच गई.

स्वास्थ्य विभाग में खरीद को लेकर कथित घूसखोरी से जुड़ा एक ऑडियो वायरल हुआ और उसने बिंदल की कुर्सी की बलि ले ली. बुधवार को राजीव बिंदल ने इस्तीफे के आशय का पत्र राष्ट्रीय अध्यक्ष को भेजा और जेपी नड्डा ने देर रात संक्षिप्त टिप्पणी के साथ उसे स्वीकार कर लिया.

जेपी नड्डा ने लिखा "श्री राजीव बिंदल जी भारतीय जनता पार्टी (हिमाचल प्रदेश) के अध्यक्ष पद से आपका त्यागपत्र मुझे मिला है. मैं उसे स्वीकार करता हूं." और इस तरह जेपी नड्डा के इस संक्षिप्त जवाबी पत्र से बिंदल की छह महीने की पारी खत्म हो गई.

राजीव बिंदल यूं तो आरएसएस के संस्कारों की भट्टी से निकले हैं, लेकिन घूसखोरी के इस कथित कांड ने उनका दामन जकड़ लिया. साल 2007 में वे तीसरी बार सोलन से चुनाव जीते और प्रेम कुमार धूमल की सरकार में स्वास्थ्य मंत्री बने, लेकिन इस्तीफे की नियति ने यहां भी उनका पीछा नहीं छोड़ा.

सरकार के कार्यकाल के आखिरी समय में उन्हें मंत्री पद से हटना पड़ा. इस तरह दो साल के अरसे में उन्हें दो बार इस्तीफा देना पड़ा. एक बार विधानसभा अध्यक्ष के पद से तो अब बीजेपी पार्टी के मुखिया की कुर्सी से हटना पड़ा है.

ये भी पढ़ें- बिंदल के इस्तीफे को धूमल ने बताया स्वागत योग्य कदम, कहा: मामले की हो निष्पक्ष जांच

शिमलाः हिमाचल बीजेपी में डॉ. राजीव बिंदल की गिनती चुनावी राजनीति के माहिर खिलाड़ियों में जरूर होती है, लेकिन उनके नाम के साथ इस्तीफा शब्द चिपक कर रह गया है. कुल पांचवीं बार विधायक बने राजीव बिंदल मौजूदा सरकार में पहले विधानसभा अध्यक्ष के पद पर आसीन हुए. देश की पहली ई-विधानसभा का अध्यक्ष बने हुए उन्हें दो साल का अर्सा ही हुआ था कि घटनाक्रम घूम गया.

सतपाल सिंह सत्ती का कार्यकाल पूरा होने के बाद हिमाचल बीजेपी के नए मुखिया की ताजपोशी होनी थी. बिंदल विधानसभा अध्यक्ष थे और बीजेपी हाईकमान को भेजे गए पैनल में अध्यक्ष के लिए उनका नाम तक नहीं था.

नियती का खेल देखिए कि हाईकमान ने प्रदेश बीजेपी की तरफ से भेजे गए पैनल को दरकिनार करते हुए डॉ. राजीव बिंदल को नया अध्यक्ष बनाने का फैसला लिया गया. ये अप्रत्याशित फैसला था.

खैर, बिंदल को विधानसभा अध्यक्ष के पद से इस्तीफा देना पड़ा और इसी साल जनवरी में उन्होंने पार्टी मुखिया के पद की कमान संभाली. अब उन्हें अध्यक्ष बने छह महीने भी नहीं हुए थे कि घूसकांड की आंच उनके दामन तक पहुंच गई.

स्वास्थ्य विभाग में खरीद को लेकर कथित घूसखोरी से जुड़ा एक ऑडियो वायरल हुआ और उसने बिंदल की कुर्सी की बलि ले ली. बुधवार को राजीव बिंदल ने इस्तीफे के आशय का पत्र राष्ट्रीय अध्यक्ष को भेजा और जेपी नड्डा ने देर रात संक्षिप्त टिप्पणी के साथ उसे स्वीकार कर लिया.

जेपी नड्डा ने लिखा "श्री राजीव बिंदल जी भारतीय जनता पार्टी (हिमाचल प्रदेश) के अध्यक्ष पद से आपका त्यागपत्र मुझे मिला है. मैं उसे स्वीकार करता हूं." और इस तरह जेपी नड्डा के इस संक्षिप्त जवाबी पत्र से बिंदल की छह महीने की पारी खत्म हो गई.

राजीव बिंदल यूं तो आरएसएस के संस्कारों की भट्टी से निकले हैं, लेकिन घूसखोरी के इस कथित कांड ने उनका दामन जकड़ लिया. साल 2007 में वे तीसरी बार सोलन से चुनाव जीते और प्रेम कुमार धूमल की सरकार में स्वास्थ्य मंत्री बने, लेकिन इस्तीफे की नियति ने यहां भी उनका पीछा नहीं छोड़ा.

सरकार के कार्यकाल के आखिरी समय में उन्हें मंत्री पद से हटना पड़ा. इस तरह दो साल के अरसे में उन्हें दो बार इस्तीफा देना पड़ा. एक बार विधानसभा अध्यक्ष के पद से तो अब बीजेपी पार्टी के मुखिया की कुर्सी से हटना पड़ा है.

ये भी पढ़ें- बिंदल के इस्तीफे को धूमल ने बताया स्वागत योग्य कदम, कहा: मामले की हो निष्पक्ष जांच

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.