शिमला: सेब को लेकर ये कहा जाता है कि ये सिर्फ अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों और ठंडी जगहों पर ही पैदा होता है. पहाड़ी क्षेत्रों जैसे कि हिमाचल और कश्मीर में सेब का सबसे अधिक उत्पादन होता है. लेकिन अब सेब की पैदावार को लेकर आए दिन नई बातें सामने आने लगी हैं. सेब को अब गर्म या मैदानी इलाकों में भी पैदा करने के प्रयास लगातार हो रहे हैं.
सेब को लेकर अब देश भर में बागवानी करने का जुनून देखने को मिल रहा है. एक कहावत है, ''कौन कहता है कि आसमान में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों'' इसे सच कर दिखाया है नारकंडा के रहने वाले व्यवसायी राजेश कुमार गुप्ता ने.
व्यवसायी राजेश कुमार गुप्ता ने सेब की दुनिया मे एक नया मुकाम हासिल किया है. गुप्ता ने अपनी हठ कुछ इस कदर पकड़ी की शिमला का सेब दिल्ली में पैदा कर दिया और तमाम उन बातों ओर दावों को खोखला साबित कर दिया जो कहते थे कि सेब गर्म इलाकों में पैदा नहीं हो पाता.
जी हां आमतौर पर पहाड़ों में बर्फ पड़ने और ठंडी जलवायु वाले क्षेत्रों में उगने वाला सेब अब मैदानी इलाकों में भी उगने लगा है. देश की राजधानी दिल्ली के करोल बाग में ग्रीन बेरी वेलफेयर संस्था के सीएमडी और नारकंडा के होटल कारोबारी राजेश कुमार गुप्ता ने ये सब कुछ कर दिखाया है.
इनके गार्डन में लगे हिमाचली सेबों की फसल अपनी बानगी कह रही है कि मेहनत के बलबूते कुछ भी किया जा सकता है. तीन साल के पौधों मे महीना पहले सेब की बंपर सेटिंग हुई है. पौधों मे लगे फलों को देखकर दिल्ली वासी भी हैरान हो गए हैं. हर कोई इस बात से आश्चर्यचकित है कि शिमला का सेब दिल्ली में कैसे उग गया.
दरअसल, होटल व्यवसायी राजेश कुमार गुप्ता ने नारकंडा और बिलासपुर से सेब के पौधों को ले जाकर अपने गार्डन मे लगाया और कड़ी मेहनत कर पौधों को कामयाब किया है. अब पौधों मे फल लगने से वो काफि खुश हैं. इसके साथ ही दिल्ली जैसे मैदानी और गर्म इलाकों में भी सेब की पैदावार की उम्मीद जगी है.
राजेश कुमार गुप्ता ने बताया कि गर्मियों में हिमाचल के सेब उत्पादक क्षेत्रों मे भी तापमान 30 डिग्री तक पंहुच जाता है और सर्दियों में सेब के लिए ठंड जरूरी है जो दिल्ली में भी पड़ती है. इसी बात को लेकर उन्होंने प्रयोग के तौर पर हिमाचल से सेब के पौधों को लाकर अपने गार्डन में लगाया.
सेब के पौधों की ग्रोथ के लिए राजेश गुप्ताने पूरी तरह से ऑग्रेनिक खाद का प्रयोग किया जिसका परिणाम आज सबके सामने है. उन्होने बताया कि दिल्ली के उनके गार्डन में 10 पौधे गमले मे लगाए गये हैं और पांच पौधे जमीन मे लगाये गये हैं, जिनकी ग्रोथ अच्छी चल रही है.
गुप्ता का कहना है कि वो अपने व्यापार के सिलसिले से दिल्ली आए, लेकिन जब वे हिमाचल जाते थे उन्हें दिल्ली में सेब उगाने की तम्मना हुई. जिसके बाद उन्होंने यहां सेब उगाने का लगातार प्रयास किया. इस बीच सेब के एक पौधे को लगाए हुए छह साल का समय हुआ, लेकिन उसपर फल नहीं लगे.
बाद में गुप्ता ने नई किस्म के पौधे लगाए जिसका सकारात्मक परिणाम देखने को मिला. अब तीन साल के पौधे पर सेब उग आए हैं. इसके अलावा सेब का साइज भी अच्छा है. सेब पर ज्यादा धूप न लगे इसके लिए छाया का प्रबंध भी किया गया है. गुप्ता का कहना है कि अगर उनका ये प्रयोग सफल रहा तो वे व्यवसाय के तौर पर सेब पर काम करेंगे.
आपको बता दें कि राजेश कुमार गुप्ता ने सेब के अलावा बादाम, आड़ू, किन्नू और अनार के पौधे भी अपने बगीचे में लगाए हैं, लेकिन वो सबसे ज्यादा सेब पर काम कर रहे हैं और इसे व्यवसाय के तौर पर करना चाहते हैं. जिससे दिल्ली भी सेब के क्षेत्र में कुछ नया कर पाएं.
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