शिमला: प्रदेश के निजी स्कूलों की मनमानी पर नए सत्र से शिक्षा विभाग ने रोक लगाने की तैयारी पूरी कर ली है. शिक्षा विभाग निजी स्कूलों की फीस स्ट्रक्चर से लेकर छात्रों को दी जाने वाली किताब और वर्दी पर नजर रख रहा है.
शिक्षा विभाग ने निजी स्कूल प्रबंधकों को आगामी सत्र की फीस की जानकारी डिस्प्ले बोर्ड पर लगाने के निर्देश भी जारी किए हैं. वहीं, फीस बढ़ोतरी को लेकर भी अभिभावकों की राय लेना अनिवार्य किया गया है. शिक्षा विभाग ने निजी स्कूल प्रबंधकों को निर्देश जारी किए हैं कि नए सत्र के लिए स्कूल प्रबंधन की ओर से फीस बढ़ाने को लेकर दिसंबर महीने में शिक्षक अभिभावक मंच के माध्यम से सभी अभिभावकों को पाठशाला में आमंत्रित कर एक जनरल हाउस का आयोजन करें.
इस जनरल हाउस में सभी अभिभावकों की सहमति से आगामी शैक्षणिक सत्र के लिए प्रस्तावित फीस व फंड के बारे में विचार-विमर्श करने के बाद ही सामान्य सभा में लिए गए निर्णय के अनुसार ही स्कूल प्रबंधन आगामी शैक्षणिक सत्र के लिए निर्धारित फीस व फंड बढ़ा सकेंगे. वहीं, इसका पूरा ब्यौरा ब्रेकअप सहित कक्षा वार पुस्तकों की सूची अभिभावकों की सुविधा के लिए स्कूलों को स्कूल नोटिस बोर्ड पर लगाने के साथ ही अपनी वेबसाइट पर भी जारी करनी होगी.
उच्च शिक्षा विभाग के निदेशक डॉ. अमरजीत शर्मा ने बताया कि निजी स्कूलों को यह निर्देश जारी किए गए हैं कि स्कूल हर एक कक्षा में छात्रों से प्रवेश शुल्क नहीं लेगा. इसके अलावा फीस और अन्य फंड जो स्कूल ले रहा है वह छात्रों को दी जा रही सुविधा और क्रियाकलापों के अनुरूप ही लिया जाएगा. वहीं, शैक्षणिक सत्र 2020- 21 के पहले महीने में ही शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 और हिमाचल प्रदेश निजी शिक्षण संस्थान अधिनियम 1997 के तहत बनाए गए नियम 2003 के अनुसार सभी स्कूलों को पीटीए का गठन करना अनिवार्य होगा.
इसमें दो तिहाई सदस्य अध्यापकों में से एक तिहाई सदस्य लिए जाने अनिवार्य होंगे. इसके साथ ही स्कूल टूर और ट्रिप के नाम पर कोई भी राशि अभिभावकों से नहीं वसूली जाएगी. शैक्षणिक टूर, प्रोग्राम अभिभावकों की सहमति से ही बनेंगे और इस संदर्भ में एडीएम को भी अवगत करवाया जाएगा. उन्होंने कहा कि जो स्कूल इन नियमों का पालन नहीं करेगा, उनकी एनओसी को शिक्षा विभाग रद्द कर देगा.
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