शिमला: प्रदेश निजी बस ऑपरेटरों ने सरकार से किराया बढ़ाने या फिर आर्थिक अनुदान देने की मांग की है. रविवार को शिमला में प्रदेश निजी बस ऑपरेटर के अध्यक्ष राजेश पराशर ने कहा कि कोरोना संकट से निजी बसों का व्यवसाय खत्म हो गया है.
उन्होंने कहा कि कोरोना काल में निजी बस ऑपरेटरों के हालात ऐसे हैं कि 23 बस ऑपरेटर मनरेगा में दिहाड़ी लगा रहे हैं. 40 के लगभाग बस ऑपरेटर स्कूटर पर जाकर सब्जी बेच कर गुजारा कर रहे हैं.
राजेश पराशर ने कहा कि तेल की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं. उनका खर्चा निकालना भी कठिन हो रहा है. उन्होंने कहा कि लंबे रूटों में एक बस में 9200 का तेल का खर्चा प्रतिदिन आता है, चाहे सवारी मिले या न मिले. उन्होंने कहा कि सवारी न मिलने से उन्हें नुकसान हो रहा है.
उन्होंने कहा कि प्रदेश में स्कूल, कॉलेज, विवि, मंदिर बंद है. शादी में 50 लोग से ज्यादा नहीं जा सकते. उनका कहना था की सरकार एक तरफ कहती है कि घर में रहो सुरक्षित रहो और दूसरी तरफ 100 फीसदी सवारी बिठाने की बात करती है.
पराशर ने कहा कि जब 60 फीसदी सवारी में निजी बस ऑपरेटरों को 15 से 20 फीसदी ही सवारी ही मिलती है तो 100 फीसदी करने से सवारी कैसे आएगी. उनका कहना था कि जब तक कोरोना संकट चल रहा है उन्हें अनुदान दिया जाए या फिर सरकार उनकी बसें रख ले और बैंक की किश्त एक साल तक दे.
पराशर ने सरकार से मांग कि है कि एक सॉफ्टवेयर तैयार करें, जिसमें जब तेल की कीमत बढ़े तो किराया बढ़ जाए और जब तेल की कीमत कम हो तो किराया कम हो जाए. उन्होंने निजी बस ऑपरेटरों से अपील की है कि जिन बसों को नुकसान हो रहा है वह बस न चलाएं और जिनको नहीं हो रहा वह बस चलाते रहें.
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