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2022 में बीजिंग में आयोजित किए जा रहे विंटर ओलंपिक का Boycott करे सरकार: बीआर कौंडल

भारत तिब्बत समन्वय संघ ने सरकार और समाज से 2022 में बीजिंग में आयोजित किए जा रहे विंटर ओलंपिक का बॉयकॉट करने की मांग की है. भारत तिब्बत समन्वय संघ के अध्यक्ष बीआर कौंडल ने शिमला में पत्रकार वार्ता के दौरान कहा कि चीन द्वारा अपने देश के विभिन्न प्रांतों में मानवाधिकारों के हनन, तिब्बत में किए जा रहे अत्याचारों के विरोध में भारत की सीमा पर अतिक्रमण के विरोध में पूरे विश्व से कोरोना महामारी के माध्यम से जैविक युद्ध द्वारा क्षति पहुंचने के कारण संघ द्वारा जन जागरण अभियान शुरू किया गया है.

Press Conference of Indo-Tibetan Coordination Association in Shimla
फोटो.
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Published : Sep 18, 2021, 5:19 PM IST

शिमला: भारत तिब्बत समन्वय संघ ने सरकार और समाज से 2022 में बीजिंग में आयोजित किए जा रहे विंटर ओलंपिक का बॉयकॉट करने की मांग की है. चीन में आयोजित हो रहे विंटर ओलंपिक का बॉयकॉट करने की ऑस्ट्रेलिया व जर्मनी समेत दुनिया के कई देशों में उठनी शुरू हो गई है. यह बात भारत तिब्बत समन्वय संघ के अध्यक्ष बीआर कौंडल ने शिमला में पत्रकार वार्ता के दौरान कही.

उन्होंने कहा कि चीन द्वारा अपने देश के विभिन्न प्रांतों में मानवाधिकारों के हनन, तिब्बत में किए जा रहे अत्याचारों के विरोध में भारत की सीमा पर अतिक्रमण के विरोध में पूरे विश्व से कोरोना महामारी के माध्यम से जैविक युद्ध द्वारा क्षति पहुंचने के कारण संघ द्वारा जन जागरण अभियान शुरू किया गया है.

वहीं, देश व दुनिया में कई जगहों पर मानवाधिकारों के लिए काम करने वाले संगठनों द्वारा इस संबंध में प्रदर्शन किए जा रहे हैं और चीन के विरोध में आवाज उठाई जा रही है. ऐसे में भारत में पहली बार विंटर ओलंपिक का बॉयकॉट करने की मांग भारत तिब्बत समन्वय संघ द्वारा उठाई गई.

कौंडल ने कहा कि चीन हजारों वर्षों पुरानी सभ्यता वाले तिब्बत के भौगौलिक भू-भाग पर नाजायज कब्जा करके बैठा हुआ है और वहां पर नस्ल के आधार पर तिब्बती मूल के लोगों के नरसंहार में शामिल रहा है. 1962 के भारत चीन युद्ध में चीन हमसे हमारी हजारों वर्ग किलोमीटर की जमीन चीन ने हमसे छीन ली थी. जिसमें की हमारे आराध्य भगवान शिव का मूल स्थान कैलाश मानसरोवर भी शामिल है.

चीन द्वारा तिब्बत को स्वतंत्र करने तथा भारत कब्जाई हुई भूमि भारत को वापस लौटाने की मांग भी की गई. उन्होंने सरकार से मांग की है कि चीन से किसी भी प्रकार का आयात न करके देश में ही विभिन्न वस्तुओं का निर्माण शुरू किया जाए.

वीडियो.

देश के नागरिक भीचीन में बने उत्पादों का मोह छोड़ कर स्वदेशी उत्पादों का ही उपयोग करेंगे. ऐसा करने से न केवल देश के उद्योग धंधों को बढ़ावा मिलेगा बल्कि भारत के कई लोगों को रोजगार भी हासिल होगा. उन्हों ने कहा कि तिब्बत की स्वतंत्रता भारत ही दिला सकता है क्योंकि भारत हमारा गुरु है.

भारत के लोगों को तिब्बत की स्वतंत्रता के लिए लगना होगा. अगर तिब्बत आजाद हो गया तो हमें भगवान शंकर का मूल स्थान भी प्राप्त होगा और चीन से हर रोज मिलने वाली मानसिक यंत्रणा से मुक्ति भी मिलेगी. विश्व स्तर पर चीन की दुष्टता के विरुद्ध काम करने के लिए भारत तिब्बत समन्वय संघ की स्थापना इसी वर्ष हुई.

ये भी पढ़ें- मृकुला देवी मंदिर में रखा है महिषासुर के रक्त से भरा खप्पर, लेकिन किसी ने देखा तो हो जाएगा अंधा!

शिमला: भारत तिब्बत समन्वय संघ ने सरकार और समाज से 2022 में बीजिंग में आयोजित किए जा रहे विंटर ओलंपिक का बॉयकॉट करने की मांग की है. चीन में आयोजित हो रहे विंटर ओलंपिक का बॉयकॉट करने की ऑस्ट्रेलिया व जर्मनी समेत दुनिया के कई देशों में उठनी शुरू हो गई है. यह बात भारत तिब्बत समन्वय संघ के अध्यक्ष बीआर कौंडल ने शिमला में पत्रकार वार्ता के दौरान कही.

उन्होंने कहा कि चीन द्वारा अपने देश के विभिन्न प्रांतों में मानवाधिकारों के हनन, तिब्बत में किए जा रहे अत्याचारों के विरोध में भारत की सीमा पर अतिक्रमण के विरोध में पूरे विश्व से कोरोना महामारी के माध्यम से जैविक युद्ध द्वारा क्षति पहुंचने के कारण संघ द्वारा जन जागरण अभियान शुरू किया गया है.

वहीं, देश व दुनिया में कई जगहों पर मानवाधिकारों के लिए काम करने वाले संगठनों द्वारा इस संबंध में प्रदर्शन किए जा रहे हैं और चीन के विरोध में आवाज उठाई जा रही है. ऐसे में भारत में पहली बार विंटर ओलंपिक का बॉयकॉट करने की मांग भारत तिब्बत समन्वय संघ द्वारा उठाई गई.

कौंडल ने कहा कि चीन हजारों वर्षों पुरानी सभ्यता वाले तिब्बत के भौगौलिक भू-भाग पर नाजायज कब्जा करके बैठा हुआ है और वहां पर नस्ल के आधार पर तिब्बती मूल के लोगों के नरसंहार में शामिल रहा है. 1962 के भारत चीन युद्ध में चीन हमसे हमारी हजारों वर्ग किलोमीटर की जमीन चीन ने हमसे छीन ली थी. जिसमें की हमारे आराध्य भगवान शिव का मूल स्थान कैलाश मानसरोवर भी शामिल है.

चीन द्वारा तिब्बत को स्वतंत्र करने तथा भारत कब्जाई हुई भूमि भारत को वापस लौटाने की मांग भी की गई. उन्होंने सरकार से मांग की है कि चीन से किसी भी प्रकार का आयात न करके देश में ही विभिन्न वस्तुओं का निर्माण शुरू किया जाए.

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देश के नागरिक भीचीन में बने उत्पादों का मोह छोड़ कर स्वदेशी उत्पादों का ही उपयोग करेंगे. ऐसा करने से न केवल देश के उद्योग धंधों को बढ़ावा मिलेगा बल्कि भारत के कई लोगों को रोजगार भी हासिल होगा. उन्हों ने कहा कि तिब्बत की स्वतंत्रता भारत ही दिला सकता है क्योंकि भारत हमारा गुरु है.

भारत के लोगों को तिब्बत की स्वतंत्रता के लिए लगना होगा. अगर तिब्बत आजाद हो गया तो हमें भगवान शंकर का मूल स्थान भी प्राप्त होगा और चीन से हर रोज मिलने वाली मानसिक यंत्रणा से मुक्ति भी मिलेगी. विश्व स्तर पर चीन की दुष्टता के विरुद्ध काम करने के लिए भारत तिब्बत समन्वय संघ की स्थापना इसी वर्ष हुई.

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