शिमला: हिमाचल सरकार ने गोवंश का संरक्षण (protection of cattle) करने के लिए गौ सेवा आयोग (Gau Seva Ayog) का गठन किया है. हिमाचल सरकार ने इस साल के अंत तक सड़कों पर भटकने को मजबूर गोवंश को सहारा देने के लिए लक्ष्य तय किया है. मौजूदा समय में विभिन्न गौशालाओं में 18 हजार बेसहारा गाय और बैल सुरक्षित रह रहे हैं. पशुपालन विभाग निजी गौ सदनों को भी प्रोत्साहित कर रहा है. ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज मंत्री वीरेंद्र कंवर (Rural Development and Panchayati Raj Minister Virender Kanwar) ने मंगलवार को शिमला में गौ सेवा आयोग की पांचवीं बैठक की अध्यक्षता की. इस दौरान प्रदेश में गौसदनों की स्थिति सहित देसी नस्ल की गायों के संरक्षण पर विचार किया गया.
बैठक में वीरेंद्र कंवर ने कहा कि प्रदेश सरकार गौ सेवा आयोग के माध्यम से बेसहारा गोवंश के संरक्षण के लिए कई कारगर कदम उठा रही है. प्रत्येक जिले में स्मार्ट गौशाला स्थापित की जा रही हैं. वर्तमान में 2 जिलों सोलन एवं कांगड़ा में स्मार्ट गौशाला (Smart Gaushala) की स्थापना के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं. इन गौशालाओं की क्षमता तीन हजार गोवंश प्रति गौशाला होगी. संचालक यहां पर 20 प्रतिशत दुधारू गोवंश रख सकेंगे.
वीरेंद्र कंवर ने कहा कि प्रत्येक जिला में गौशालाओं को एनिमल लिफ्टर (Animal lifter to Gaushalas) उपलब्ध करवाने के लिए भी कदम उठाए जा रहे हैं. इसके अतिरिक्त गौ सदनों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रारम्भ में प्रदेश में बेहतर कार्य कर रहे दस गौ सदनों को गौ विज्ञान केन्द्र के रूप में परिवर्तित किया जाएगा. प्रत्येक जिला में स्थापित होने वाले गौ विज्ञान केंद्रों के माध्यम से भारतीय मूल की गोवंश (Indian origin cows) के अनुसंधान को सैद्धांतिक स्वीकृति प्रदान की गई है. इन केंद्रों के माध्यम से गाय का दूध बढ़ाने और पंचगव्य व अन्य गोवंश पदार्थों के उत्पादन को भी अपनाया जाएगा ताकि यह गौशाला आत्मनिर्भर बन सकें.
वीरेंद्र कंवर कहा कि गौशालाओं, गौ सदनों एवं गौ-अरण्यों के बेहतर संचालन के लिए प्रदेश सरकार हर संभव वित्तीय सहायता उपलब्ध करवा रही है. हिमाचल प्रदेश गौ सेवा आयोग द्वारा प्रदेश में बेसहारा गोवंश के संरक्षण को गौ सदन/गौशाला एवं गौ अरण्य को सहायता योजना के अंतर्गत 500 रुपये प्रति गाय प्रतिमाह प्रदान किए जा रहे हैं. विभिन्न गैर सरकारी संगठनों के माध्यम से संचालित की जा रही गौशालाओं की गौ रक्षा निधि बढ़ाने पर भी बैठक में विचार किया गया.
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गौशाला में संरक्षित गोवंश की बेहतरीन निगरानी के लिए सुपरवाइजर की भी तैनाती करने पर विचार किया जा रहा है. वर्तमान में प्रदेश में 15 बड़ी गौशाला एवं गोवंश आरण्य स्थापित किए जा रहे हैं, जिनमें से आठ का कार्य पूर्ण हो चुका है. इनके निर्माण पर लगभग 31 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं. वर्तमान में लगभग 18 हजार गोवंश को इनमें आश्रय दिया गया है. इस अवसर पर उन्होंने हिमाचल प्रदेश गौ सेवा आयोग की वेबसाइट (Website of Himachal Pradesh Gau Sewa Commission) का भी अवलोकन किया. इस वेबसाइट के माध्यम से आयोग की विभिन्न गतिविधियों को ऑनलाइन माध्यम से देखा जा सकेगा और ऑनलाइन ही अंशदान भी आयोग को दे सकते हैं.
वहीं, राज्य सचिवालय में कैबिनेट मंत्री (Cabinet Minister in State Secretariat) वीरेंद्र कंवर एक अन्य आयोजन में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जुड़े और प्रदेश में खाद की उपलब्धता पर केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री मनसुख मंडाविया (Union Minister of Chemicals and Fertilizers Mansukh Mandaviya) के साथ चर्चा की. इस बैठक में देश के सभी राज्यों में खाद की उपलब्धता पर चर्चा की गई. वीरेंद्र कंवर ने बैठक में हिमाचल प्रदेश की वस्तुस्थिति से केंद्रीय मंत्री को अवगत करवाया. केंद्रीय मंत्री ने हिमाचल के लिए खाद की उपलब्धता सुनिश्चित करने का भरोसा दिलाया. बैठक में कृषि विभाग एवं हिमफेड के अधिकारी भी उपस्थित थे.
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