शिमला: पद्मश्री सुभाष पालेकर ने गुरुवार को प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से मुलाकात की. इस दौरान प्राकृतिक खेती को लेकर चर्चा की गई. पद्मश्री सुभाष पालेकर ने कहा कि हिमाचल का कृषि विभाग रासायनिक खेती व जैविक खेती से हटकर प्राकृतिक खेती की तरफ किसानों को ले जाने का प्रयास कर रहा है.
बता दें कि पद्मश्री सुभाष पालेकर ने प्राकृतिक खेती परियोजना में हिमाचल के 3369 किसानों को प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण दिया है और अब ये किसान रसायनिक खेती छोड़ प्राकृतिक खेती से जुड़ चुके हैं. भारत में तीन तरह की रासायनिक खेती व जैविक खेती तो देश मे होती है.
प्राकृतिक खेती के प्रति लोगों को प्रशिक्षित कर रहे सुभाष पालेकर का कहना है कि रासायनिक खाद से भूमि की उर्वरता खत्म होती है. जबकि जैविक खेती भी पर्यावरण के लिए नुकसानदायक है. दोनों ही खेती में लागत ज्यादा है जबकि उत्पादन कम हो रहा है. उन्होंने कहा कि किसान ने अपना बीज भी खत्म कर दिया अब जो बीज आ रहा है वे रासायनिक खेती के बिना पैदा ही नहीं हो सकता.
ये भी पढे़ं-सोलन में मुसीबत बन कर पहली बारिश, तालाब में तब्दील हुई सड़कें
पालेकर ने कहा कि विदेशी पूंजीवादी कंपनियों ने देश मे हरित क्रांति के नाम पर भारत को लूटा. रासायनिक का इइस्तेमाल ग्लोबल वार्मिंग तेजी से हो रहा है. अगर इसी तरह ग्लेशियर पिघलते रहे तो देश में कृषि चौपट हो जाएगी. उन्होंने कहा कि कोई भी रासायनिक सेब नहीं खाना चाहता क्योंकि ये कैंसर का कारण है. उन्होंने कहा कि भारत में कैंसर के 30 फीसदी व मधुमेह के 50 फीसदी लोग हैं. ये सब बीमारियों का कारण रासायनिक खेती है.
सुभाष पालेकर ने कहा कि प्राकृतिक खेती की तरफ जाना आज की जरूरत है. तभी किसानों की आय दोगुनी हो सकती है. उन्होंने कहा कि खेती योग्य भूमि कम हो रही है. जनसंख्या बढ़ रही है, ऐसे में नया विकल्प सिर्फ प्राकृतिक खेती है. जो किसान देश में पालेकर खेती कर रहा वे आत्महत्या नहीं कर रहा है. उन्होंने कहा कि प्राकृतिक कृषि किसानों की आय को न केवल दोगुना करेगी, बल्कि ये रासायनिक उर्वरकों के अत्याधिक प्रयोग को प्रोत्साहित करने में भी सहायक सिद्ध होगा.
वहीं, सीएम जयराम ठाकुर ने कहा कि राज्य सरकार हिमाचल प्रदेश को प्राकृतिक कृषि करने वाला राज्य बनाने के लिए प्रतिबद्ध है. इस उद्देश्य के लिए प्रदेश में गैर रासायनिक और प्राकृतिक कृषि को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिसके लिए राज्य में जैविक कीटनाशकों को अपनाया जा रहा है.उन्होंने कहा कि राज्य सरकार प्राकृतिक कृषि करने वाले किसानों को देसी नस्ल की गाय खरीदने के लिए 50 प्रतिशत उपदान प्रदान कर रही है. जिसके तहत अधिकतम 25,000 रुपये तक दिए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि इससे न केवल पशुधन में वृद्धि होगी, बल्कि प्राकृतिक कृषि को बढ़ावा देने में भी सहायता मिलेगी.
ये भी पढे़ं-बरसात की दस्तक से ही दरकने लगे हिमाचल के पहाड़, NH-5 पर भूस्खलन की चपेट में आई निजी बस
सीएम ने कहा कि विभाग को नियमित तौर पर सेब उत्पादन वाले क्षेत्रों में प्राकृतिक कृषि से सम्बन्धित जागरूकता शिविरों का आयोजन करना चाहिए. उन्होंने कहा कि इन शिविरों के माध्यम से बागवानों को जैविक खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया जाए और रासायनिक उर्वरकों पर उनकी निर्भरता को कम किया जाए. उन्होंने कहा कि राज्य में अनाधिकृत कीटनाशकों को बेचने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी.
मुख्यमंत्री ने प्रगतिशील बागवानों द्वारा प्राकृतिक कृषि अपना चुके बागवानों के बागीचों का दौरा करने पर बल दिया, जिससे वे प्राकृतिक कृषि अपनाने के लिए प्रोत्साहित हो सके.
ये भी पढे़ं-छोटी काशी मंडी में जगन्नाथ उत्सव की धूम, जयकारों और भजनों के साथ शहर में निकली रथ यात्रा