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नाभा प्राथमिक पाठशाला को नहीं मिला भवन, 1974 से चल रहा है ये स्कूल

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Published : Dec 3, 2019, 10:42 AM IST

राजधानी शिमला के नाभा में चल रही नाभा प्राथमिक पाठशाला को साल 1974 से लेकर 2019 तक अपना भवन नसीब नहीं हो पाया है. इस भवन में बच्चों की दिन में कक्षाएं लगाई जाती है और शाम को इस क्षेत्र में रहने वाले लोग फिटनेस से जुड़ी गतिविधियों के लिए आते हैं.

No building for Nabha School in Shimla
नाभा प्राथमिक पाठशाला को नहीं मिला भवन

शिमला: शिक्षा के क्षेत्र में दूसरी बार सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार पाने वाले हिमाचल में प्राथमिक पाठशाला को अपना भवन नहीं मिल पाया है. राजधानी शिमला के नाभा में चल रही नाभा प्राथमिक पाठशाला को साल 1974 से लेकर 2019 तक अपना भवन नसीब नहीं हो पाया है. इस पाठशाला को नाभा क्लब के भवन में ही इतने सालों से चलाया जा रहा है.

बता दें कि इस भवन में बच्चों की दिन में कक्षाएं लगाई जाती है और शाम को इस क्षेत्र में रहने वाले लोग फिटनेस से जुड़ी गतिविधियों के लिए आते हैं. इस स्कूल में 35 से 40 के करीब बच्चें शिक्षा पढ़ते हैं. बता दें कि एक ही हॉल में पहली से पांचवीं तक की कक्षाएं चल रही है. वहीं, बच्चे खेल कूद से जुड़ी गतिविधियां भी इसी हॉल में करते हैं. इस स्कूल में पहले बच्चे टाट-पट्टी पर ही बैठकर कक्षाएं लगाते थे लेकिन अब बच्चों के लिए बैंच का प्रावधान किया गया है.

वीडियो रिपोर्ट

हालात यह ही है बच्चों को दोपहर में दिया जाना वाले मिड डे मील भी इसी हॉल में बनाया जाता है. स्कूल में दो शिक्षिकाएं है जिसमें से एक ही हॉल के एक कोने में शिक्षिका कुर्सी लगाकर अपनी कक्षाएं पढ़ाती है. वहीं, दूसरी शिक्षिका दूसरे कोने में अपनी कक्षाओं को पढ़ाती है. नाभा क्लब के हॉल के ऊपर की मंजिल में सरकारी आवास रहने के लिए दिए गए है जिसमें कई अधिकारी रहते है लेकिन हैरानी की बात यह है कि इस स्कूल की दशा दिशा को लेकर कोई कदम नहीं उठा रहे हैं.

बच्चें ने बताया कि सभी कक्षाएं एक ही जगह लगती है जिससे काफी शोर होता है. वहीं इसी हॉल में खेलना पड़ता है. इसी हॉल में एक छोटा सा किचन मिड डे मील के लिए है लेकिन हॉल में ही भोजन पकता है. स्कूल में बच्चों के लिए शौचालय की सुविधा तो है लेकिन वह भी खस्ताहाल है. शिक्षिकाएं उसी हॉल में छात्रों को पढ़ाती हैं और खुद भी स्कूल बंद होने तक वहीं बैठकर अपना लंच भी करती है.

ये भी पढ़ें: नाहनवासियों को जल संकट से जल्द मिलेगी निजात, IPH विभाग ने आमजन से की ये अपील

शिमला: शिक्षा के क्षेत्र में दूसरी बार सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार पाने वाले हिमाचल में प्राथमिक पाठशाला को अपना भवन नहीं मिल पाया है. राजधानी शिमला के नाभा में चल रही नाभा प्राथमिक पाठशाला को साल 1974 से लेकर 2019 तक अपना भवन नसीब नहीं हो पाया है. इस पाठशाला को नाभा क्लब के भवन में ही इतने सालों से चलाया जा रहा है.

बता दें कि इस भवन में बच्चों की दिन में कक्षाएं लगाई जाती है और शाम को इस क्षेत्र में रहने वाले लोग फिटनेस से जुड़ी गतिविधियों के लिए आते हैं. इस स्कूल में 35 से 40 के करीब बच्चें शिक्षा पढ़ते हैं. बता दें कि एक ही हॉल में पहली से पांचवीं तक की कक्षाएं चल रही है. वहीं, बच्चे खेल कूद से जुड़ी गतिविधियां भी इसी हॉल में करते हैं. इस स्कूल में पहले बच्चे टाट-पट्टी पर ही बैठकर कक्षाएं लगाते थे लेकिन अब बच्चों के लिए बैंच का प्रावधान किया गया है.

वीडियो रिपोर्ट

हालात यह ही है बच्चों को दोपहर में दिया जाना वाले मिड डे मील भी इसी हॉल में बनाया जाता है. स्कूल में दो शिक्षिकाएं है जिसमें से एक ही हॉल के एक कोने में शिक्षिका कुर्सी लगाकर अपनी कक्षाएं पढ़ाती है. वहीं, दूसरी शिक्षिका दूसरे कोने में अपनी कक्षाओं को पढ़ाती है. नाभा क्लब के हॉल के ऊपर की मंजिल में सरकारी आवास रहने के लिए दिए गए है जिसमें कई अधिकारी रहते है लेकिन हैरानी की बात यह है कि इस स्कूल की दशा दिशा को लेकर कोई कदम नहीं उठा रहे हैं.

बच्चें ने बताया कि सभी कक्षाएं एक ही जगह लगती है जिससे काफी शोर होता है. वहीं इसी हॉल में खेलना पड़ता है. इसी हॉल में एक छोटा सा किचन मिड डे मील के लिए है लेकिन हॉल में ही भोजन पकता है. स्कूल में बच्चों के लिए शौचालय की सुविधा तो है लेकिन वह भी खस्ताहाल है. शिक्षिकाएं उसी हॉल में छात्रों को पढ़ाती हैं और खुद भी स्कूल बंद होने तक वहीं बैठकर अपना लंच भी करती है.

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Intro:देश के दूसरे सबसे साक्षर राज्य और शिक्षा के क्षेत्र में दूसरी बार सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार पाने वाले हिमाचल की एक तस्वीर यह भी है की जहां प्राथमिक पाठशाला को अपना भवन नहीं मिल पाया है। यह हाल किसी ओर क्षेत्र का नहीं बल्कि राजधानी शिमला के नाभा में चल रही नाभा प्राथमिक पाठशाला का है। इस पाठशाला को 1974 से लेकर 2019 तक अपना भवन नसीब नहीं हो पाया है ओर पाठशाला को नाभा क्लब के भवन में ही इतने सालों से चलाया जा रहा है। इस भवन में जहां दिन को बच्चों की कक्षाएं लगाई जाती है और शाम को इस क्षेत्र में रहने वाले लोग यहां स्पोर्ट्स या फिटनेस से जुड़ी अन्य गतिविधियों को करते है।


Body:इस स्कूल के 35 से 40 के करीब बच्चें शिक्षा ग्रहण कर रहे है। एक ही हॉल में जहां पहली से पांचवीं तक कि कक्षाएं चल रही है वहीं बच्चे खेल कूद जुड़ी गतिविधियां भी इसी हॉल में करते है। पहले तो जहां टाट-पट्टी पर ही बैठकर कक्षाएं लगती थी वहीं अब बैठने के लिए बैंच का प्रावधान तो कर दिया गया है। हालात यह ही है यही सभी कक्षाएं लग रही है तो बच्चों को दोपहर में दिया जाना वाले मिड डे मील भी यही इसी हॉल में बनाया जाता है। स्कूल में दो शिक्षिकाएं है जिसमें से एक हॉल के एक कोने में कुर्सी लगाकर अपनी कक्षाएं पढ़ाती है तो दूसरी शिक्षिका दूसरे कोने में अपनी कक्षाओं को पढ़ाती है। हालात यह है की जिस नाभा क्लब के हॉल में यह प्राथमिक स्कूल चल रहा है उसकी ऊपर की मंजिल में सरकारी आवास रहने के लिए दिए गए है जिसमें क़ई अधिकारी रहते है लेकिन हैरानी की बात यह है कि इस स्कूल की दशा दिशा को लेकर कोई कुछ ना कह रहा है ना ही कोई कदम इस दिशा में उठाया जा रहा है। एक-दूसरी कक्षाओं के शोरगुल के बीच में वहीं मिड डे मील को बनाने के दौरान प्रेशर कुकर की सीटियों का शोर भी छात्रों की पढ़ाई में बाधा बनता है,लेकिन बच्चें ओर शिक्षक मजबूर है इन्ही हालातों के बीच में स्कूल को मिली इस छत के नीचे बच्चों में शिक्षा की लौ जगाने में।


Conclusion:स्कूल में दो शिक्षकों के अलावा एक मिड डे मील बनाने के लिए कर्मचारी है। इसके अलावा अन्य कोई चपरासी या कोई अन्य स्टाफ यहां तैनात नहीं है। वहीं बच्चें भले ही छोटे है लेकिन कहते है कि सभी कक्षाएं एक ही जगह लगती है जिससे काफी शोर होता है। वहीं इसी हॉल में खेलना पड़ता है यहीं मिड डे मील पकता है और यहीं परोसा भी जाता है। एक छोटा सा किचन मिड डे मील के लिए है लेकिन हॉल में ही भोजन पकता है। ऐसे में कुकर की सिटी के तेज आवाजों के बीच ही छात्र पढ़ने को मजबूर है। ना तो कोई अन्य गतिविधि यहां बच्चों के लिए हो पाती है ना हो इसे करवाने के लिए जग़ह उपलब्ध है। स्कूल में बच्चों के लिए शौचालय की सुविधा तो है लेकिन यह भी ख़स्ताहाल है। बड़ी बात तो यह है की जब राजधानी शिमला के स्कूलों की ही यह स्तिथि है तो शिक्षा में सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार पाने वाले हिमाचल के दूरदराज के क्षेत्रों ने स्कूलों की क्या स्थिति होंगी इन तस्वीरों से यह अंदेशा लगाया जा सकता है।

बॉक्स
शिक्षकों के लिए भी नहीं अलग से ऑफिस

प्राथमिक पाठशाला नाभा के यह हाल है कि जिस क्लब के हॉल में यह स्कूल वर्षों से चल रहा है वहां स्कूल की शिक्षिकाओं को बैठने के लिए अलग कार्यालय भी नहीं है। उसी हॉल में बैठकर शिक्षिकाएं छात्रों को पढ़ाती है और खुद भी स्कूल बंद होने तक वहीं बैठकर अपना लंच भी करती है।
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