शिमला: स्वतंत्रता के 75वें स्वर्णिम वर्ष में आजादी के अमृत महोत्सव की श्रृंखला में भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान आजादी की लड़ाई में सिख गुरुओं के बलिदान विषय पर 3 दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन कर रहा है. सेमिनार में देश के 30 विद्वान शामिल होंगे. राष्ट्रीय सेमिनार के संयोजक पंजाब के डीजीपी मनमोहन सिंह होंगे.
भारतीय उच्च अध्यनन संस्थान शिमला के कार्यवाहक निदेशक चमन लाल गुप्ता ने गुरुवार को आयोजित प्रेसवार्ता में बताया कि तीन दिवसीय सेमिनार में हर रोज तीन सत्र आयोजित किए जाएंगे. हर सत्र में कम से कम तीन पेपर पढ़े जाएंगे. इस तरह से 25 से 26 विद्वान अपने पेपर पढ़ेंगे. उसके बाद इसकी स्मारिका भी प्रकाशित की जाएगी
स्मारिका में गुरु तेग बहादुर का बलिदान सर्वोपरि मानते हुए उसे सर्वाधिक रेखांकित किया जाएगा. हमें जिनकी वजह से आजादी मिली है. उन्हें याद करना जरूरी है. आने वाली पीढ़ियों को पता होना चाहिए कि हमनें ये आजादी अंग्रेजों के साथ कुछ वर्ष लड़कर ही नहीं प्राप्त की है. जिस दिन से विदेशियों ने यहां पांव रखा उसी दिन से आजादी का संघर्ष शुरू हुआ था.
कार्यवाहक निदेशक ने कहा कि यहां पर हर बाबर को संग्राम सिंह मिला है, हर अकबर को महाराणा प्रताप मिला है. हर औरंगजेब को वीर शिवा जी, गुरु गोविंद सिंह मिला है, हर अंग्रेज को रानी झांसी, तात्या टोपे और अनेक वीर मिले हैं. जिन्होंने हमें आजादी दिलाने के लिए संघर्ष किया है. हमारी आजादी की लड़ाई 1947 पूरी जरूर हुई है, लेकिन चली तभी से थी जब से भारत की धरती पर किसी विदेशी ने पांव रखा. इस लिए इस वर्ष में हम अपनी पूरी विरासत और हर वीर को याद करेंगे, जिन्होंने बलिदान दिए हैं.
आपको बता दें कि कोविड के चलते उच्च अध्यनन संस्थान में शोध बुरी तरह से प्रभावित हुआ है और इस समय यहां केवल 4 शोधार्थी शोध कर रहे हैं, जबकि 40-50 फेलो रिसर्चर यहां पर एक समय में शोध कर सकते हैं. प्रदेश में कोरोना के मामले घटने के बाद उच्च अध्ययन संस्थान को पर्यटकों के लिए खोल दिया गया है.
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