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टाउनहॉल में बैठेगें नगर निगम महापौर और उप महापौर, हाईकोर्ट ने सुनाया फैसला - शिमला महापौर

कोर्ट ने शुक्रवार को टाउनहाल में महापौर और उप महापौर के कार्यलय खोलने के निर्देश जारी कर दिए हैं.  हालांकि टाउनहाल में नगर निगम के दूसरे कार्यालय अभी शिफ्ट नहीं होंगे और ये कार्यालय डीसी ऑफिस में ही रहेंगे.

municipal Corporation get town hall
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Published : Sep 6, 2019, 11:10 PM IST

शिमला: लंबी जदोजहद और कानूनी लड़ाई के बाद आखिरकार टाउनहॉल में नगर निगम के महापौर और उप महापौर को स्थान मिल ही गया. कोर्ट ने शुक्रवार को टाउनहाल में महापौर और उप महापौर के कार्यलय खोलने के निर्देश जारी कर दिए हैं. हालांकि टाउनहाल में नगर निगम के दूसरे कार्यालय अभी शिफ्ट नहीं होंगे और ये कार्यालय डीसी ऑफिस में ही रहेंगे.

टाउनहाल के जीर्णोद्धार के बाद कई सरकारी विभाग टाउनहॉल पर अपनी दावेदारी पेश कर रहे थे, जिसके बाद ये मामला कोर्ट में चला गया था. नगर निगम ने इस भवन को दोबारा से निगम को देने की अपील की थी, लेकिन पर्यटन निगम और भाषा व संस्कृति विभाग ने भी इस भवन पर अपनी दावेदारी पेश की थी. हालांकि भवन के दूसरे हिस्से का किस कार्य के लिए प्रयोग होगा इस पर कोर्ट ने फैसला नहीं सुनाया है.

नगर निगम के महापौर कुसुम सदरेट ने कहा कि टाउनहॉल में पहले से ही नगर निगम का कार्यक्रम चल रहा था. जीर्णोउधार के बाद इस पर अन्य विभाग भी दावेदारी पेश कर रहे थे, लेकिन कोर्ट ने आज नगर निगम के पक्ष में फैसला सुनाया है.

वीडियो

बता दें कि शिमला के टाउनहॉल में नगर निगम का कार्यालय चल रहा था, लेकिन 2014 में इसका जीर्णोद्धार के लिए एचपीटीडीपी को दिया गया. जिसमें करीब 8 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं, जिसके लिए एचपीटीडीपी ने एडीबी (एशियन डेवलपमेंट बोर्ड) से कर्ज लिया है. जीर्णोद्धार के बाद सीएम जयराम ने नवंबर 2018 में इसका उद्घाटन भी कर दिया, लेकिन दावेदार ज्यादा होने से मामला कोर्ट पहुंच गया और दस माह बाद ये नगर निगम के हक में फैसला आया.

शिमला: लंबी जदोजहद और कानूनी लड़ाई के बाद आखिरकार टाउनहॉल में नगर निगम के महापौर और उप महापौर को स्थान मिल ही गया. कोर्ट ने शुक्रवार को टाउनहाल में महापौर और उप महापौर के कार्यलय खोलने के निर्देश जारी कर दिए हैं. हालांकि टाउनहाल में नगर निगम के दूसरे कार्यालय अभी शिफ्ट नहीं होंगे और ये कार्यालय डीसी ऑफिस में ही रहेंगे.

टाउनहाल के जीर्णोद्धार के बाद कई सरकारी विभाग टाउनहॉल पर अपनी दावेदारी पेश कर रहे थे, जिसके बाद ये मामला कोर्ट में चला गया था. नगर निगम ने इस भवन को दोबारा से निगम को देने की अपील की थी, लेकिन पर्यटन निगम और भाषा व संस्कृति विभाग ने भी इस भवन पर अपनी दावेदारी पेश की थी. हालांकि भवन के दूसरे हिस्से का किस कार्य के लिए प्रयोग होगा इस पर कोर्ट ने फैसला नहीं सुनाया है.

नगर निगम के महापौर कुसुम सदरेट ने कहा कि टाउनहॉल में पहले से ही नगर निगम का कार्यक्रम चल रहा था. जीर्णोउधार के बाद इस पर अन्य विभाग भी दावेदारी पेश कर रहे थे, लेकिन कोर्ट ने आज नगर निगम के पक्ष में फैसला सुनाया है.

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बता दें कि शिमला के टाउनहॉल में नगर निगम का कार्यालय चल रहा था, लेकिन 2014 में इसका जीर्णोद्धार के लिए एचपीटीडीपी को दिया गया. जिसमें करीब 8 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं, जिसके लिए एचपीटीडीपी ने एडीबी (एशियन डेवलपमेंट बोर्ड) से कर्ज लिया है. जीर्णोद्धार के बाद सीएम जयराम ने नवंबर 2018 में इसका उद्घाटन भी कर दिया, लेकिन दावेदार ज्यादा होने से मामला कोर्ट पहुंच गया और दस माह बाद ये नगर निगम के हक में फैसला आया.

Intro: लंबी जदोजहद ओर कानूनी लड़ाई के बाद आखिरकार टाउनहाल नगर निगम को मिल गया है। कोर्ट ने शुक्रवार को टाउनहाल में महापौर ओर उप महापौर के कार्यलय खोलने के निर्देश जारी कर दिए है। हालांकि टाउनहाल में नगर निगम के दूसरे कार्यालय अभी शिफ्ट नहीं होंगे और ये कार्यालय डीसी ऑफिस में ही रहेंगे। टाउनहाल के जीर्णोउधार के बाद कई सरकारी विभाग टाउनहाल पर अपनी दावेदारी पेश कर रहे थे। जिसके बाद ये मामला कोर्ट में चला गया था। नगर निगम ने इस भवन को दोबारा से निगम को देने की अपील की थी लेकिन पर्यटन निगम और भाषा एवं संस्कृति विभाग ने भी इस भवन पर अपनी दावेदारी पेश की थी। वही कोर्ट ने नगर निगम को राहत देते हुए फिलहाल मेयर ओर डिप्टी मेयर के दफ्तर खोलने की अनुमति दी है। Body:हालांकि भवन के दूसरे हिस्से का किस कार्य के लिए प्रयोग होगा इस पर कोर्ट ने फैसला नहीं सुनाया है। नगर निगम के महापौर कुसुम सदरेट ने कोर्ट के फैसले का स्वागत किया और कहा कि टाउनहालके पहले से ही नगर निगम का कार्यक्रम चल रहा था और इसके जीर्णोउधार के बाद इस पर अन्य विभाग भी दावेदारी पेश कर रहे थे लेकिन कोर्ट ने आज नगर निगम के पक्ष में फैसला सुनाया है।
Conclusion:

बता दे शिमला का टाउनहाल में नगर का कार्यालय चल रहा था लेकिन 2014 में इसका जीर्णोउधार के लिए एचपीटीडीपी को दिया गया । जिस पर करीब 8 करोड़ रुपये खर्च हुआ हैं। इसके लिए एचपीटीडीपी ने एडीबी (एशियन डेवलपमेंट बोर्ड) से कर्ज लिया है।जीर्णोउधार के बाद सीएम जयराम ने नवंबर 2018 में इसका उद्घाटन भी कर दिया लेकिन दावेदार ज्यादा होने से मामला कोर्ट पहुच गया और दस माह बाद ये नगर निगम के हक में फैसला आया है।
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